पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने POCSO Act के तहत बलात्कार का मामला खारिज किया, पीड़िता के आरोपी के साथ 'खुशी से' विवाहित होने का उल्लेख किया
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (POCSO Act) के तहत दर्ज एक बलात्कार के मामले को यह देखते हुए खारिज कर दिया कि पीड़िता अब आरोपी के साथ खुशी से विवाहित है।
जस्टिस कीर्ति सिंह ने कहा,
"यह सुनवाई योग्य है कि चूंकि याचिकाकर्ता और अभियोजन पक्ष-प्रतिवादी... अब खुशी-खुशी विवाहित हैं, इसलिए आपराधिक कार्यवाही जारी रखने से याचिकाकर्ता और (अभियोक्ता) दोनों को अनुचित उत्पीड़न होगा।"
पीड़िता के पिता ने FIR दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया गया कि याचिकाकर्ता उनकी नाबालिग बेटी को बहला-फुसलाकर ले गया। इसके बाद IPC की धारा 376 और अन्य प्रावधानों के तहत अपराध जोड़े गए। हालांकि, सुनवाई के दौरान, पीड़िता ने अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन नहीं किया और अपने बयान से पलट गई।
याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि अभियुक्त को झूठा फंसाया गया और याचिकाकर्ता और पीड़िता दोनों ने 12 जनवरी, 2023 को विवाह कर लिया, जैसा कि रिकॉर्ड में दर्ज विवाह प्रमाण पत्र से प्रमाणित होता है। यह भी दलील दी गई कि दंपति को 15 अक्टूबर, 2023 को एक संतान की प्राप्ति हुई है और वे शांतिपूर्ण जीवन जी रहे हैं।
दूसरी ओर, शिकायतकर्ता और पीड़िता के वकील ने इस याचिका का विरोध नहीं किया और पुष्टि की कि प्रतिवादी नंबर 3 (पीड़िता) याचिकाकर्ता के साथ सुखी वैवाहिक जीवन जी रही है। उसे FIR रद्द करने पर कोई आपत्ति नहीं है। हालांकि, राज्य सरकार ने आरोपों की गंभीरता का हवाला देते हुए याचिका का विरोध किया।
कोर्ट के पूर्व निर्देश के अनुसार, दोनों पक्ष एडिशनल जिला एवं सेशन जज, रूपनगर के समक्ष उपस्थित हुए, जिन्होंने समझौते की सत्यता की पुष्टि की कि विवाह बिना किसी दबाव या अनुचित प्रभाव के संपन्न हुआ।
खंडपीठ ने के. धंदापानी बनाम पुलिस निरीक्षक द्वारा राज्य (आपराधिक अपील संख्या 796/2022), तरुण वैष्णव बनाम राजस्थान राज्य (एस.बी. आपराधिक विविध याचिका संख्या 6323/2022) सहित कई निर्णयों का हवाला दिया, जिनमें अदालतों ने पारिवारिक जीवन में व्यवधान को रोकने के लिए समान तथ्यात्मक परिस्थितियों में आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया।
सोनू @ सुनील बनाम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली राज्य मामले का भी हवाला दिया गया, जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में जहां वयस्क होने वाले बच्चे, प्यार के नाम पर ऐसे कृत्य करते हैं, जो POCSO Act सहित विभिन्न कानूनों के तहत अपराध की श्रेणी में आते हैं, अदालतें अभियुक्त को मुकदमे और सजा देने के बजाय, उसकी जान बचाने के लिए प्रेरित होती हैं।
तदनुसार, हाईकोर्ट ने याचिका स्वीकार की और याचिकाकर्ता के खिलाफ FIR और सभी परिणामी कार्यवाही रद्द कर दी।
Title: XXX v XXX