पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कुत्ते के काटने के मामलों में न्यूनतम मुआवजे के लिए न्यायालय के दिशा-निर्देशों का पालन न करने पर अवमानना ​​याचिका पर नोटिस जारी किया

Update: 2024-06-19 09:43 GMT

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कुत्ते के काटने के मामले में प्रति दांत 10,000 रुपये का न्यूनतम मुआवजा देने के हाईकोर्ट के आदेश का कथित रूप से पालन न करने पर कड़ा रुख अपनाया।

अवमानना ​​नोटिस जारी करते हुए जस्टिस राजबीर सहरावत ने कहा,

"यह स्पष्ट किया जाता है कि न्यायालय गैर-अनुपालन के लिए किसी भी औचित्य को स्वीकार नहीं करेगा, भले ही वह कुछ कथित सत्य तथ्यों पर आधारित हो। यह भी स्पष्ट किया जाता है कि भले ही कहीं कोई अपील लंबित हो, उसे भी गैर-अनुपालन के औचित्य के रूप में नहीं लिया जाएगा, जब तक कि अपीलीय न्यायालय द्वारा आदेश के क्रियान्वयन पर रोक नहीं लगाई जाती।"

वर्ष 2023 में हाईकोर्ट ने पंजाब, हरियाणा एवं चंडीगढ़ में आवारा या जंगली जानवरों के खतरे की घटनाओं से संबंधित दर्ज मामलों से शीघ्रता से निपटने के लिए पुलिस को कई निर्देश जारी किए।

आवारा कुत्तों के काटने के मामले में न्यायालय ने प्रति दांत के निशान के लिए न्यूनतम 10,000 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया और जहां मांस त्वचा से अलग हो गया, वहां यह न्यूनतम 20,000 रुपये प्रति "0.2 सेमी" घाव होगा।

न्यायालय ने पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में आवारा और जंगली जानवरों से जुड़ी घटनाओं से संबंधित 193 मामलों का फैसला किया।

जस्टिस विनोद एस. भारद्वाज ने बढ़ते प्रवास और जंगली जानवरों के खतरे पर चिंता जताते हुए कहा,

"इस बात के बावजूद कि इतनी बड़ी संख्या में मामले दर्ज किए जा रहे हैं और यहां तक ​​कि न्यायालयों के समक्ष भी पेश किए जा रहे हैं, राज्य ने इस मुद्दे को संबोधित करने के लिए कोई इच्छा नहीं दिखाई। उन्होंने लोगों को हर दिन घायल होते देखकर दूसरी तरफ देखना चुना है और घटनाओं को कम दर्ज करके समस्या की गंभीरता को कम करके आंका है। किसी समस्या के अस्तित्व को नकारने से समस्या का समाधान नहीं होता बल्कि नागरिकों की पीड़ा और बढ़ जाती है।"

वर्तमान अवमानना ​​याचिका याचिकाकर्ता मोहन सिंह जसवाल द्वारा कथित तौर पर गली के कुत्ते द्वारा काटे जाने के बाद दायर की गई तथा चंडीगढ़ के अधिकारियों ने कथित तौर पर मुआवजे के लिए उनसे संपर्क करने पर ध्यान नहीं दिया। जसवाल ने हाईकोर्ट के समक्ष याचिका भी दायर की, जिसमें कथित कुत्ते के काटने के लिए मुआवजा देने के लिए यूटी अधिकारियों को निर्देश देने की मांग की गई।

हालांकि, 24 मई को दायर अवमानना ​​याचिका में कहा गया कि अधिकारियों ने प्रस्तुत किया कि आदर्श आचार संहिता के मद्देनजर अनुरोध को भारत के चुनाव आयोग को भेज दिया गया।

अवमानना ​​याचिका में कहा गया,

"प्रतिवादी केवल अपनी खाल बचाने के लिए आदर्श आचार संहिता की आड़ ले रहे हैं, जबकि इस माननीय न्यायालय द्वारा दिए गए नवीनतम निर्णय के अनुसार, यह माना गया कि राज्य आदर्श आचार संहिता का बहाना नहीं ले सकता, क्योंकि यह न्यायिक आदेशों के अनुपालन में बाधा नहीं डालता है।"

याचिका पर विचार करते हुए न्यायालय ने कहा,

"यदि आदेश का अनुपालन नहीं किया जाता है तो प्रतिवादी (उपायुक्त, चंडीगढ़ तथा आयुक्त, एमसी) अवमानना ​​कार्यवाही में आगे के आदेश प्राप्त करने के लिए सुनवाई की अगली तिथि पर व्यक्तिगत रूप से इस न्यायालय के समक्ष उपस्थित रहेंगे।"

मामले को आगे के विचार के लिए 23 सितंबर के लिए सूचीबद्ध किया गया।

केस टाइटल: मोहन सिंह जसवाल बनाम श्री विनय प्रताप सिंह आईएएस डी.सी. सीएचडी एवं अन्य

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