पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने भारत-पाक युद्ध में घायल हुए सैनिक को दिव्यांगता लाभ देने से इनकार करने पर केंद्र सरकार की निंदा की
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने 1971 के भारत-पाक युद्ध में विस्फोट के दौरान गंभीर रूप से घायल हुए सैनिक को दिव्यांगता लाभ देने से इनकार करने पर केंद्र सरकार की आलोचना की।
न्यायालय ने सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (AFT) के उस आदेश को चुनौती देने वाली केंद्र सरकार की याचिका खारिज की, जिसके तहत मृतक सैनिक की पत्नी को पेंशन लाभ प्रदान किया गया।
शाम सिंह को पाकिस्तान की ओर से आए एक बम के उनके पास फटने से चोटें आईं और हमले के कारण उनकी आँखों की रोशनी चली गई। उन्हें लगी यह चोट न तो सैन्य सेवा के कारण थी और न ही बढ़ी थी। इसलिए उन्होंने 2017 में एएफटी के समक्ष आवेदन दायर किया।
AFT ने 2023 में निर्देश दिया कि सिंह की पत्नी को लाभ जारी किए जाएं, क्योंकि उनका 2021 में निधन हो गया। अन्य आधारों के अलावा, सरकार ने तर्क दिया कि सिंह को 2017 में ट्रिब्यूनल के समक्ष 44 वर्ष बीत जाने के बाद मूल आवेदन दायर करने के बजाय पहले ही अवसर पर अपील दायर करनी चाहिए थी।
जस्टिस हरसिमरन सिंह सेठी और जस्टिस विकास सूरी की खंडपीठ ने कहा,
"यह ध्यान देने योग्य है कि जिस सैनिक ने 1971 के भारत-पाक युद्ध में देश के लिए लड़ाई लड़ी और बम विस्फोट के दौरान घायल हुआ, उसे हकदार लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता, खासकर तब, जब रिकॉर्ड में ऐसा कुछ भी स्पष्ट रूप से दर्ज न हो, जिससे यह पता चले कि ऐसे सैनिक को इस बात की जानकारी थी कि वह 1971 के भारत-पाक युद्ध में हुई दिव्यांगता के कारण युद्ध चोट पेंशन के लाभ का हकदार है।"
न्यायालय ने कहा कि यद्यपि सैनिक को युद्ध क्षति पेंशन के उक्त लाभ के बारे में जानकारी नहीं थी, लेकिन याचिकाकर्ताओं को यह अच्छी तरह पता था कि सैनिक को युद्ध में चोट लगी है और वह युद्ध क्षति पेंशन के लाभ का हकदार है। फिर भी संघ ने उक्त तथ्य की अनदेखी की और ऐसे सैनिक, यानी शाम सिंह को उक्त लाभ प्रदान नहीं किया, जिसके वह हकदार हैं और इसके बजाय यह अपेक्षा की कि सैनिक उक्त लाभ का दावा करने के लिए वापस आएंगे।
न्यायालय ने कहा कि इतना ही नहीं, प्रतिवादी शाम सिंह के पति की विकलांगता को भी सैन्य सेवा के कारण नहीं माना जा रहा है।
न्यायालय ने कहा,
"याचिकाकर्ताओं की ओर से इस तरह की कार्रवाई की सराहना नहीं की जा सकती, खासकर जब यह उस सैनिक से संबंधित हो, जिसने देश के लिए लड़ाई लड़ी और दिव्यांगता का शिकार हुआ और वह भी दो देशों के बीच युद्ध में।"
खंडपीठ ने कहा कि केंद्र सरकार को सिंह को उक्त लाभ देने से इनकार करने में देरी पर आपत्ति उठाने के बजाय उन्हें युद्ध क्षति पेंशन का लाभ देने के लिए आगे आना चाहिए था।
न्यायालय ने केंद्र की याचिका खारिज करते हुए कहा,
"शाम सिंह को युद्ध चोट पेंशन का लाभ देने से इनकार करने में देरी के लिए याचिकाकर्ताओं द्वारा लिया गया आधार स्वीकार नहीं किया जा सकता।"
Title: The Union of India and others v. Ex Sep Sham Singh & another