अधिवक्ता पर कथित हमले के मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने मंगलवार को चंडीगढ़ से सटे पंजाब के नयागांव क्षेत्र में 30 नवंबर को हरियाणा पुलिस के सादे कपड़ों में मौजूद कर्मियों द्वारा अधिवक्ता अमित पर कथित हमले के मामले में स्वतः संज्ञान (सुओ मोटो) लिया।
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने प्राथमिकी (FIR) दर्ज करने में अनुचित देरी को लेकर 15 दिसंबर से हड़ताल पर जाने का प्रस्ताव पारित किया था।
अदालत ने नोट किया कि 30 नवंबर को हुई इस घटना के संबंध में पीड़ित अधिवक्ता अमित द्वारा थाना नयागांव में एक लिखित शिकायत दी गई थी, जिसमें हिसार (हरियाणा) की CIA शाखा के 5-6 पुलिस अधिकारियों द्वारा संज्ञेय अपराध किए जाने का आरोप लगाया गया था। इसके बावजूद, शिकायत दिए जाने के 12 दिन बीत जाने के बाद भी किसी भी संज्ञेय अपराध के संबंध में अब तक प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई।
चीफ़ जस्टिस शील नागू और जस्टिस संजीव बेरी की खंडपीठ ने कहा,
“शिकायत को पढ़ने से प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि संज्ञेय अपराध किए गए हैं और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार [(2014) 2 SCC 1] में दिए गए कानून के बावजूद अब तक प्राथमिकी दर्ज न किया जाना समझ से परे है।”
मामले को 17 दिसंबर को सूचीबद्ध करते हुए न्यायालय ने कहा,
“मामले को 17.12.2025 को दोपहर 2:00 बजे लिया जाए, ताकि पंजाब राज्य यह स्पष्ट कर सके कि अब तक संज्ञेय अपराध की प्राथमिकी क्यों दर्ज नहीं की गई। पुलिस महानिदेशक, पंजाब द्वारा कल तक एक शपथपत्र दायर किया जाए।”
इस स्तर पर, पंजाब राज्य की ओर से वरिष्ठ उप महाधिवक्ता सैल सभलोक वर्चुअल माध्यम से उपस्थित हुए और उन्होंने निष्पक्ष रूप से सहमति दी कि मामले को अगले दिन लिया जाए तथा पुलिस महानिदेशक, पंजाब का शपथपत्र दाखिल किया जाना सुनिश्चित किया जाएगा।
अदालत ने यह भी कहा कि चूंकि उपरोक्त आदेश पारित किया जा चुका है, इसलिए सभी अधिवक्ताओं से अपेक्षा की जाती है कि वे शीघ्रातिशीघ्र कार्य पर लौटें।