POCSO Act के तहत अपराध सार्वजनिक नैतिकता के विरुद्ध बच्चे के अभिभावक के रूप में कार्य करना न्यायालय का कर्तव्य: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (POCSO Act) के तहत अपराधों की गंभीरता और गंभीरता की पुष्टि करते हुए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसे अपराध सार्वजनिक नैतिकता के विरुद्ध हैं।
न्यायालय ने नाबालिग के साथ बलात्कार करने के आरोपी व्यक्ति की अग्रिम ज़मानत खारिज कर दी। यह भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 137 (अपहरण), 96 (बच्चे की खरीद), 3(5) (सामान्य आशय), 64(1) (बलात्कार) और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 की धारा 4 (प्रवेशात्मक यौन हमला) के तहत अपराध है।
जस्टिस शालिनी सिंह नागपाल ने कहा,
"बच्चों के यौन उत्पीड़न के मामलों में न्यायालय का कर्तव्य बच्चे के अभिभावक के रूप में कार्य करना है। ऐसे मामलों में यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 के विधायी उद्देश्य और व्यक्ति की स्वतंत्रता को ध्यान में रखना होगा, क्योंकि ऐसे अपराधों का पीड़ित बच्चे पर गंभीर, दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है और इससे गंभीर मनोवैज्ञानिक आघात पहुंचता है।"
मामले के तथ्यों दोषसिद्धि की सजा की अवधि और यह भी कि अपराध सार्वजनिक नैतिकता के विरुद्ध है, उसको ध्यान में रखते हुए अग्रिम ज़मानत की याचिका खारिज कर दी गई।
याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि याचिकाकर्ता मुख्य अभियुक्त का साला है, यानी उसका अभियोक्ता के साथ प्रेम संबंध था। रिकॉर्ड में दर्ज इंस्टाग्राम चैट की प्रति का हवाला देते हुए यह तर्क दिया गया कि अभियोक्ता और अभियुक्त-याचिकाकर्ता के बीच हुई बातचीत में ऐसा कुछ भी नहीं था, जिससे याचिकाकर्ता की संलिप्तता का संकेत मिलता हो।
इसके अलावा, FIR दर्ज करने में पांच दिन की देरी हुई। पीड़ित की मेडिकल जांच के अनुसार, जांच के समय उसने हरे रंग की सलवार पहनी हुई, लेकिन पुलिस ने नीले रंग की सलवार बरामद की।
बयानों पर सुनवाई के बाद न्यायालय ने पाया कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (BNSS) की धारा 183 के तहत दर्ज अपने बयान में पीड़िता ने कहा कि घटना वाले दिन, वह और याचिकाकर्ता, जो उसकी सहेली का साला है, गुजरात से गांव पहुंचे; याचिकाकर्ता ने उसे जबरन घग्गर नदी के पास यूकेलिप्टस के पेड़ों की ओर खींच लिया और उसके विरोध के बावजूद, उसके साथ गलत काम किया।
अदालत ने आगे कहा कि मेडिकल लीगल रिपोर्ट में भी अभियोजन पक्ष द्वारा दिए गए इतिहास से पता चलता है कि वह कथित दिन याचिकाकर्ता के साथ गांव पहुंची थी, जहां उसने नदी के किनारे उसके साथ बलात्कार किया।
उपरोक्त के आलोक में अदालत ने याचिका खारिज कर दी।
Title: XXXX v. XXXX