खाद्य पदार्थों में मिलावट: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने रजिस्ट्री को तीन लोकप्रिय ब्रांडों द्वारा बेचे जाने वाले सरसों के तेल की लैब जांच कराने का निर्देश दिया
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने अपनी रजिस्ट्री को तीन अलग-अलग लोकप्रिय ब्रांडों का एक लीटर सरसों का तेल खरीदने और उसे लैब जांच के लिए भेजने का निर्देश दिया, जिससे यह पता लगाया जा सके कि कहीं इसमें खाद्य सुरक्षा मानदंडों का उल्लंघन करते हुए अन्य रिफाइंड तेल तो नहीं मिलाया गया।
पंजाब सरकार द्वारा दायर स्टेटस रिपोर्ट पर गौर करते हुए चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल की खंडपीठ ने कहा,
"सरसों के तेल की गलत ब्रांडिंग, मिलावट या मिश्रण में लिप्त दोषियों के खिलाफ की गई प्रतिकूल कार्रवाई के मामले औपचारिक नहीं हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि प्रतिवादी दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए गंभीर नहीं हैं या संबंधित कानून में पर्याप्त शक्ति नहीं है।"
खंडपीठ ने आगे कहा कि खाद्य सुरक्षा और मानक (बिक्री और विनियमन पर निषेध और प्रतिबंध, 2011) के नियम 2.1 के तहत मिश्रण की उक्त प्रक्रिया प्रतिबंधित होने के बावजूद सरसों के तेल को अन्य तेलों जैसे परिष्कृत चावल की भूसी के तेल के साथ मिश्रित करने के संबंध में बड़ी संख्या में शिकायतें प्राप्त हो रही हैं।
परिणामस्वरूप, न्यायालय ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ या पंजाब या हरियाणा राज्यों में स्थित किसी भी केंद्रीय लैब से कम से कम तीन अलग-अलग लोकप्रिय ब्रांडों के सरसों के तेल का परीक्षण करना उचित होगा।
इसमें कहा गया,
"जांच 15 दिनों के भीतर किया जाना चाहिए। उस संबंध में रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में इस न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की जानी चाहिए, जिसमें विशेष रूप से यह बताया जाना चाहिए कि सरसों के तेल में कोई अन्य तेल मिलाया गया है या नहीं और उसका प्रतिशत कितना है।"
उपर्युक्त के आलोक में न्यायालय ने रजिस्ट्रार जनरल को चीफ जस्टिस की आकस्मिकता निधि से तीन अलग-अलग लोकप्रिय ब्रांडों के एक-एक लीटर सरसों के तेल की खरीद करने और प्रत्येक ब्रांड के 500 मिलीलीटर की मात्रा को जांच के लिए क्षेत्रीय एगमार्क लैब अमृतसर भेजने का निर्देश दिया।
इस मामले को 13 नवंबर के लिए सूचीबद्ध करते हुए न्यायालय ने निर्देश दिया कि लैब की रिपोर्ट सुनवाई की अगली तारीख को या उससे पहले न्यायालय के समक्ष रखी जाए।
केस टाइटल: राजेश गुप्ता बनाम भारत संघ और अन्य