जांच का तरीका जांच एजेंसी की समझदारी, संविधान संरक्षक के रूप में न्यायालय कार्रवाई की निगरानी करेगा: धोखाधड़ी मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि वह निवेशकों को धोखा देने से संबंधित 50 से अधिक एफआईआर में आरोपी पंजाब के रियल एस्टेट डेवलपर जरनैल बाजवा के खिलाफ की गई कार्रवाई की निगरानी करेगा।
बाजवा को एक दिन पहले ही गिरफ्तार किया गया था, जब न्यायालय ने पंजाब पुलिस द्वारा उसके खिलाफ कार्रवाई करने में ढुलमुल रवैये को लेकर DGP पंजाब को तलब किया था। साथ ही डेवलपर के खिलाफ दर्ज मामलों और पुलिस द्वारा की गई जांच की स्थिति का विवरण मांगा था।
जस्टिस संदीप मौदगिल ने कहा,
“जांच किस तरह से की जानी है, यह जांच एजेंसी का विवेक है, लेकिन संविधान के संरक्षक के रूप में न्यायालय की ओर से की गई कार्रवाई की निगरानी की जाएगी, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि यह बिना किसी देरी के जल्द से जल्द पूरी हो, जैसा कि राज्य के सीनियर पुलिस अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत हलफनामे के रूप में विभिन्न तिथियों पर इस न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत रिकॉर्ड से स्पष्ट है, जिससे यह आसानी से अनुमान लगाया जा सकता है कि लगभग सभी मामलों में कार्यवाही में पहले से ही अत्यधिक देरी हो रही है।"
ये टिप्पणियां कुलदीपक मित्तल नामक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते समय की गईं, जो बाजवा के साथ फर्म में भागीदार के रूप में काम कर रहा था।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि जरनैल सिंह को दी गई जमानत को हाईकोर्ट ने 20 अक्टूबर 2023 के आदेश के तहत रद्द कर दिया था। लेकिन अभी तक उसे गिरफ्तार करने की कार्रवाई शुरू नहीं की गई।
पिछली सुनवाई में न्यायालय ने बाजवा को जिन्हें 2022 में घोषित अपराधी घोषित किया गया था, अपनी सभी संपत्तियों का विवरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया, क्योंकि वह अचानक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर अपने मामले की कार्यवाही की निगरानी करते पकड़े गए थे।
28 अगस्त को मामले की फिर से शुरू हुई सुनवाई के दौरान जब कोर्ट ने बाजवा की ओर से पेश हुए वकील से उसके ठिकाने के बारे में पूछा और पूछा कि वह विशेष निर्देशों के बावजूद कोर्ट में क्यों नहीं आया तो उसे बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने बाजवा की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है और उसे व्यक्तिगत रूप से पेश होने की आवश्यकता नहीं है।
बाजवा के वकील ने आगे कहा कि उसे कोर्ट में पेश होने के लिए 15 दिन का समय चाहिए। कोर्ट ने कहा कि निर्देशों की पहली तारीख से गैर-हाजिर होने का बहाना "बिल्कुल अस्पष्ट है, जिसका कोई आधार नहीं है।
इसे इस कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना करने का एक ठोस और प्रशंसनीय कारण नहीं माना जा सकता है।
अदालत ने कहा,
"किसी को भी कानून की अदालत से ऐसी छूट नहीं दी जा सकती, खास तौर पर प्रतिवादी संख्या 4 (बाजवा) जैसे व्यक्ति को, जो आदतन अपराधी है और किसी भी तरह से इस स्तर पर किसी भी तरह की नरमी या विवेकाधीन राहत का हकदार नहीं है।"
अदालत ने आगे कहा कि गिरफ्तारी पर रोक सुप्रीम कोर्ट ने जांच में सहयोग के अधीन दी थी।
अदालत ने कहा,
"प्रतिवादी-राज्य और प्रतिवादी नंबर 4 के सीनियर वकील ने स्वीकार किया कि वह अभी तक जांच में शामिल नहीं हुआ। इसलिए जांच में सहयोग का सवाल ही नहीं उठता।"
जस्टिस मौदगिल ने यह भी कहा कि डीजीपी पंजाब ने "इस पहलू पर कानून प्रवर्तन एजेंसी की विफलता और ढिलाई को स्पष्ट रूप से स्वीकार किया।"
वर्तमान कार्यवाही में अदालत ने बाजवा का प्रतिनिधित्व करने वाले सीनियर वकील के इस तर्क को खारिज कर दिया कि याचिका निष्फल हो गई, क्योंकि उसे पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है।
न्यायाधीश ने कहा कि वर्तमान याचिका में की गई प्रार्थना केवल (बाजवा) तक ही सीमित नहीं है बल्कि सभी आरोपियों के खिलाफ है। राज्य के अनुसार वकील, अन्य आरोपी अभी भी फरार है। इसलिए अदालत को की गई कार्रवाई और जांच पूरी होने के बारे में अवगत कराने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा गया।
यह देखते हुए कि राज्य ने बाजवा के खिलाफ जांच में उठाए गए कदमों के बारे में अदालत को अवगत कराने के लिए समय मांगा है, अदालत ने सुनवाई 17 सितंबर तक टाल दी।
केस टाइटल- कुलदीपक मित्तल बनाम पंजाब राज्य और अन्य।