भारत-पाक सीमा से नशीले पदार्थों की तस्करी पर गंभीर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट, आरोपी को अग्रिम ज़मानत देने से इनकार

Update: 2025-10-07 12:58 GMT

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने भारत-पाकिस्तान सीमा के माध्यम से विशेष रूप से ड्रोन के ज़रिए अवैध नशीले पदार्थों की बढ़ती तस्करी पर गंभीर चिंता व्यक्त की। कोर्ट ने कहा कि यह न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बल्कि देश के युवाओं के लिए भी गंभीर चिंता का विषय बन गया। इन टिप्पणियों के साथ हाईकोर्ट ने NDPS Act के तहत आरोपी को अग्रिम ज़मानत देने से इनकार कर दिया।

जस्टिस रूपिंदरजीत चहल की पीठ ने कहा, 

"इन दिनों ड्रोन के माध्यम से सीमा पार से अवैध नशीले पदार्थों की तस्करी में लगातार वृद्धि हुई। पाकिस्तान से सीमा पार ड्रोन के माध्यम से नशीली दवाओं की तस्करी की बढ़ती घटनाएं न केवल राष्ट्र की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा करती हैं बल्कि देश के युवाओं को भी प्रभावित करती हैं।"

FIR NDPS Act की धारा 21 के तहत दर्ज की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि एक सह-आरोपी ने पुलिस को बताया कि वर्जित वस्तु  की खेप पाकिस्तान से ड्रोन के माध्यम से प्राप्त हुई और एक रॉबर्ट मसीह (याचिकाकर्ता) उन्हें इसके लिए पैसे देता था।

कोर्ट ने इस बात पर गौर किया कि वर्तमान याचिकाकर्ता को घोषित अपराधी  भी घोषित किया गया और उसके खिलाफ़ कई अन्य मामले भी लंबित हैं। आरोपों की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने राय दी कि मामले में निष्पक्ष और प्रभावी जांच के लिए याचिकाकर्ता की हिरासत में पूछताछ आवश्यक है।

याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि मसीह को केवल सह-आरोपी हरजीत सिंह उर्फ ​​जीता के बयान के आधार पर नामित किया गया और उससे कोई बरामदगी नहीं की जानी है।

सभी दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ़ आरोप गंभीर प्रकृति के हैं। अभियोजन पक्ष के अनुसार सह-आरोपी हरजीत सिंह उर्फ ​​जीता से बरामद हेरोइन की आपूर्ति वर्तमान याचिकाकर्ता को की जानी थी और यह पाकिस्तान से ड्रोन के माध्यम से सीमा पार से प्राप्त हुई।

जस्टिस चहल ने स्पष्ट किया कि वर्तमान याचिकाकर्ता पर पाकिस्तान से दवा आपूर्ति श्रृंखला का मुख्य साजिशकर्ता होने का आरोप है। अब तक की जांच के अनुसार याचिकाकर्ता ड्रग नेक्सस का सदस्य पाया गया, जो ड्रोन का उपयोग करके पाकिस्तान से हेरोइन की तस्करी करता था।

जज ने कहा कि अग्रिम ज़मानत देते समय न्यायालय को व्यक्तिगत अधिकारों की सुरक्षा और सामाजिक हित की रक्षा के बीच संतुलन बनाना होता है। अपराध की गंभीरता आरोपी की भूमिका निष्पक्ष जांच की आवश्यकता और समाज पर ऐसे कथित अवैध कृत्यों के गहरे और व्यापक प्रभाव को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने ज़मानत देने से इनकार किया।

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