पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पाकिस्तान को गुप्त सूचना लीक करने के आरोपी सिपाही को जमानत दी
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने अवैध रिश्वत के बदले पाकिस्तान को संवेदनशील गुप्त सूचना लीक करने के आरोपी सिपाही को जमानत दी।
आरोपी को नियमित जमानत देते हुए जस्टिस गुरविंदर सिंह गिल ने कहा,
"व्हाट्सएप टेक्स्ट मैसेज के अलावा, जिसे भी दोषी नहीं कहा जा सकता, ऐसा कुछ भी नहीं बताया जा सका, जिससे याचिकाकर्ता को FIR में लगाए गए आरोपों से जोड़ा जा सके।"
हरियाणा पुलिस को वर्ष 2021 में एक गुप्त सूचना प्राप्त हुई थी कि रोहित कुमार जो भारतीय सेना में सिपाही के रूप में कार्यरत है, अवैध रिश्वत के बदले पाकिस्तान को संवेदनशील गुप्त जानकारी लीक कर रहा था, जिसके बाद अंबाला जिले के नारायणगढ़ तहसील के गांव कोरवा खुर्द में उसके घर पर छापा मारा गया और उसे पकड़ लिया गया।
अभियोजन पक्ष का यह भी मामला था कि याचिकाकर्ता से दो मोबाइल फोन बरामद किए गए और जांच के दौरान यह पता चला कि अवैध रिश्वत याचिकाकर्ता के पिता को दी गई। उसके बैंक अकाउंट में जमा कर दी गई।
याचिकाकर्ता के वकील ने प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता को वर्तमान मामले में झूठा फंसाया गया और यह दिखाने के लिए कोई विश्वसनीय सबूत नहीं है कि वह पाकिस्तान या किसी और को किसी भी तरह की जानकारी दे रहा था, किसी भी तरह की रिश्वत के लिए तो बिल्कुल भी नहीं।
याचिका का विरोध करते हुए राज्य के वकील ने प्रस्तुत किया कि जांच के दौरान कॉल विवरण की जांच की गई, जिसकी प्रतियां सुनवाई की अंतिम तिथि पर राज्य द्वारा दायर जवाब के साथ संलग्न की गई हैं। यह प्रस्तुत किया गया कि याचिकाकर्ता नियमित रूप से श्रुति पैरी नामक व्यक्ति के संपर्क में था, जो वास्तव में पाकिस्तान से काम कर रहा था और उसका उसी नाम से फेसबुक अकाउंट भी था।
प्रस्तुतियां सुनने के बाद न्यायालय ने नोट किया कि सुनवाई की पिछली तिथि पर राज्य के वकील ने सूचित किया कि यद्यपि कॉल-विवरण की जांच करने पर कुछ भी आपत्तिजनक नहीं पाया जा सका, लेकिन मोबाइल फोन से बरामद डेटा, जो कि 48 जीबी है, उसकी जांच अभी भी की जानी है। परिणामस्वरूप न्यायालय ने राज्य को इस संबंध में आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया।
निर्देशों के अनुसरण में राज्य ने रिपोर्ट दायर की, जिसमें संकेत दिया गया कि कुछ भी आपत्तिजनक नहीं पाया गया।
न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता 21⁄2 वर्षों से अधिक समय से सलाखों के पीछे है और आज तक 15 में से केवल 1 अभियोजन पक्ष के गवाह से पूछताछ की गई है।
इन परिस्थितियों में,
"विशेष रूप से यह तथ्य कि राज्य याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई भी आपत्तिजनक सबूत नहीं दिखा सका और याचिकाकर्ता की लंबी हिरासत भी।"
न्यायालय ने कहा कि आगे की हिरासत उचित नहीं होगी।
उपरोक्त के आलोक में न्यायालय ने नियमित जमानत मंजूर कर ली।