हाईकोर्ट ने JJ Act के तहत 6 महीने बाद छोटी अपराध जांच खत्म करने के नियम पर केंद्र से जवाब मांगा
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 14 (4) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। प्रावधान में कहा गया है कि कानून का उल्लंघन करने वाले बच्चे के खिलाफ एक छोटे अपराध की जांच छह महीने के भीतर समाप्त नहीं होने पर समाप्त कर दी जाएगी।
जस्टिस हरसिमरन सिंह सेठी और जस्टिस विकास सूरी ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए मामले की सुनवाई एक अक्टूबर के लिए स्थगित कर दी।
याचिका में कहा गया है कि मुकदमे या जांच को समाप्त करने के लिए इस तरह की बाहरी सीमा निर्धारित करना पीड़ित और समाज के प्रति असंगत है। यह पीड़ित के साथ अन्याय करता है, जो किसी भी कानून का उद्देश्य नहीं हो सकता है और इसलिए, स्पष्ट रूप से मनमाना और अनुचित है और इसलिए, संविधान के अनुच्छेद 14 का पूर्ण उल्लंघन है।
अदालत ने कहा, 'भारत में कोई अन्य कानून बाहरी सीमा निर्धारित नहीं करता है, जिसके परिणामस्वरूप मुकदमा/जांच छह महीने (चार महीने और दो महीने का विस्तार) के भीतर समाप्त हो जानी चाहिए, और यदि नहीं, तो मुकदमा समाप्त हो जाएगा'
यह तर्क दिया गया था कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत अनम्य अवधि के आधार पर बरी या डिस्चार्ज की आवश्यकता नहीं है।
अब्दुल रहमान अंतुले बनाम आरएस नायक (1992) 1 SCC 225 में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के फैसले पर भरोसा किया गया था, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न कारकों पर विचार करते हुए अपराध के परीक्षण के लिए निश्चित समय सीमा निर्धारित करने से इनकार कर दिया था।