हाईकोर्ट ने गुरमीत राम रहीम की 21 दिन की फरलो की मांग वाली याचिका पर हरियाणा सरकार से जवाब मांगा

Update: 2024-07-03 06:03 GMT

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम द्वारा दायर याचिका पर हरियाणा सरकार से जवाब मांगा। उक्त याचिका में 21 दिन की फरलो के लिए उनके आवेदन पर विचार करने के लिए राज्य को निर्देश देने की मांग की गई।

एक्टिंग चीफ जस्टिस जीएस संधावालिया और जस्टिस लपिता बनर्जी की खंडपीठ ने मामले को 31 जुलाई के लिए सूचीबद्ध किया।

याचिका में कहा गया कि डेरा प्रमुख हरियाणा गुड कंडक्ट प्रिजनर (अस्थायी रिहाई) अधिनियम, 2002 के तहत रिहाई के लिए पात्र हैं और एकमात्र प्रतिबंध हाईकोर्ट का आदेश है, जिसमें हरियाणा सरकार से बिना उसकी अनुमति के आगे पैरोल देने के उनके मामले पर विचार न करने के लिए कहा गया।

डेरा द्वारा आयोजित कार्यक्रम "सेवादार श्रद्धांजलि भंडारा" में भाग लेने के लिए रिहाई मांगी गई, जिसका उद्देश्य सामाजिक सेवाओं में अपना जीवन समर्पित करने वाले और अपनी जान गंवाने वाले नियमित स्वयंसेवकों को श्रद्धांजलि देना है।

सीनियर एडवोकेट अमन लेखी ने कहा कि राम रहीम 2002 अधिनियम के तहत "हार्ड कोर कैदी" की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आता है। परिभाषा के अनुसार, कैदी को दो या अधिक मामलों में धारा 302 आईपीसी के तहत दोषी ठहराया जाना चाहिए। फरलो आवेदन में उल्लेख किया गया कि राम रहीम को धारा 302 आईपीसी के तहत दो मामलों में दोषी नहीं ठहराया गया, बल्कि उसे धारा 120-बी के साथ धारा 302 आईपीसी के तहत दो मामलों में दोषी ठहराया गया।

यह भी तर्क दिया गया कि राम रहीम "हार्ड कोर कैदी" नहीं है, इस मुद्दे पर हाईकोर्ट ने एक रिट याचिका में पहले ही निर्णय ले लिया।

आवेदन में कहा गया,

"हर कैलेंडर वर्ष में 70 दिनों के लिए पैरोल और 21 दिनों के लिए फरलो देना हरियाणा गुड कंडक्ट प्रिजनर्स (अस्थायी रिहाई) अधिनियम, 2022 के तहत पात्र दोषियों को दिया जाने वाला अधिकार है। नियम ऐसे किसी भी दोषी को पैरोल और फरलो देने पर रोक नहीं लगाते हैं, जिसे आजीवन कारावास और निश्चित अवधि की सजा वाले तीन या अधिक मामलों में दोषी ठहराया गया हो और सजा सुनाई गई हो।"

इसमें आगे कहा गया,

"पैरोल और फरलो की उक्त अवधि में से 20 दिनों की पैरोल और 21 दिनों की फरलो अभी भी उपयुक्त अधिकारियों द्वारा विचार के लिए लंबित है। यह दोहराया जाता है कि (राम रहीम) को किसी भी स्तर पर कोई विशेष सुविधा नहीं दी गई है।"

एसीजे संधावालिया ने मौखिक रूप से राज्य से पूछा कि हिरासत में एक वर्ष पूरा होने से पहले पैरोल देने पर अधिनियम के तहत विशिष्ट प्रतिबंध के बावजूद राम रहीम को पैरोल कैसे दी गई।

न्यायाधीश ने मौखिक रूप से टिप्पणी की,

"हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि राज्य ने प्रक्रिया का पालन किया है।"

प्रश्न का उत्तर देते हुए एएजी पवन गिरधर ने कहा कि यह प्रतिबंध उन पर लागू नहीं होगा क्योंकि वह "हार्ड कोर कैदी" नहीं हैं।

राम रहीम को हाल ही में 2002 में पूर्व डेरा प्रबंधक रंजीत सिंह की हत्या की साजिश के मामले में उच्च न्यायालय द्वारा बरी कर दिया गया था।

केस टाइटल: शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति बनाम हरियाणा राज्य और अन्य।

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