हरियाणा के नए सीएम नायब सिंह सैनी की नियुक्ति को हाईकोर्ट में चुनौती

Update: 2024-03-13 11:32 GMT

हरियाणा के नए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की नियुक्ति को चुनौती देते हुए पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट में जनहित याचिका (PIL) दायर की गई।

पूर्व सीएम एमएल खट्टर के साथ पूरी कैबिनेट के इस्तीफा देने के बाद सैनी को हरियाणा का नया सीएम नियुक्त किया गया।

याचिका में कहा गया कि सैनी मौजूदा सांसद हैं और संसदीय सीट से इस्तीफा दिए बिना उन्हें हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में गोपनीयता की शपथ दिलाई गई, जो संविधान और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 (Constitution and Representation Of People Act, 1951) का उल्लंघन है।

याचिका में कहा गया,

“माननीय मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी संसद सदस्य होने के नाते भारत सरकार के अधीन लाभ के पद के धारक हैं और साथ ही विधानमंडल का सदस्य न होते हुए भी राज्य के माननीय मुख्यमंत्री का पद संभाल रहे हैं। इस तरह वह हरियाणा की विधानसभा में वह लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के साथ-साथ भारत के संविधान के प्रावधानों के तहत संसद सदस्य के पद से अयोग्यता को आमंत्रित करता है।''

वकील जगमोहन सिंह भट्टी ने हाइकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया,

"नवनियुक्त सरकार अवैध है और लोकतंत्र के साथ धोखाधड़ी है।"

याचिका में कहा गया कि सदन की कुल ताकत 90 विधायकों की है और नायब सिंह सैनी की नियुक्ति के माध्यम से यह 90 विधायकों की सीमा से अधिक है, जो भारत के संविधान के तहत स्वीकार्य नहीं है। याचिका में कहा गया कि 12-03-2024 को हरियाणा सरकार की स्थापना अवैध और शून्य है।

यह भी उजागर किया गया कि नव-नियुक्त सीएम सैनी हरियाणा विधानसभा के विधायक नहीं हैं। इसलिए उन्होंने जनता, भारत के संविधान और सरकारी खजाने के साथ धोखाधड़ी की है।

याचिका में पांच कैबिनेट मंत्रियों की नियुक्ति को भी चुनौती दी गई, जिनमें कंवरपाल गुज्जर (विधायक छछरौली), कैबिनेट मंत्री, भाजपा नेता मूलचंद शर्मा, रणजीत सिंह (विधायक स्वतंत्र), जेपी दलाल (विधायक भाजपा लोहारू), डॉ. बनवारी लाल (भाजपा विधायक बावल) शामिल हैं।

भट्टी ने मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्रियों के वेतन, अन्य वित्तीय लाभ और सुविधाओं पर रोक लगाने की मांग की है।

केस टाइटल- जगमोहन सिंह भट्टी बनाम भारत संघ एवं अन्य

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