पंजाब में जहरीली शराब से मौत: मामले में शामिल अधिकारियों की भूमिका की जांच के निर्देश देने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका

Update: 2024-03-28 04:50 GMT

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के समक्ष जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई। उक्त याचिका में नकली शराब की बिक्री की जांच की मांग की गई, जिसके कारण कथित तौर पर पंजाब में इसके उपभोक्ताओं की मौत हो गई।

गौरतलब है कि मार्च में जहरीली शराब के कारण 21 लोगों की मौत हो गई, जो आसानी से उपलब्ध है। यह पंजाब के संगरूर में पुलिस और उत्पाद शुल्क अधिकारियों की मिलीभगत से कथित तौर पर अवैध रूप से बेची जा रही है।

पंजाब के निवासी बिक्रमजीत सिंह बाजवा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि आचार संहिता लागू होने और आगामी संसदीय चुनाव के बावजूद दोषियों को गलत इरादों से नकली शराब बेचने की खुली छूट दी जा रही है। संगरूर जिले के रविदास पुरा, तिबरी, गुजरान, ओप्पली और धोंडोली खुर्द गांवों से मौतों की सूचना मिली है।

याचिका में आरोप लगाया गया कि यह पंजाब में तीसरी बड़ी घटना है, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई। इसके बावजूद, न तो दोषियों को सजा दी गई और न ही पुलिस उन गिरोहों की सांठगांठ को तोड़ पाई, जो बिना किसी सरकारी डर के नकली शराब बेच रहे हैं।

याचिकाकर्ता का कहना है कि जांच के दौरान पता चला कि नकली शराब में मेथनॉल मिलाया गया, जो इंसानों के लिए घातक है।

नतीजतन, यह मेथनॉल की बिक्री के लिए सख्त दिशानिर्देश भी चाहता है, जिससे घातक घटनाओं को रोका जा सके।

याचिका में कहा गया,

"अब समय आ गया है कि सख्त दिशानिर्देश तैयार किया जाए, जिससे मेथनॉल का उपयोग केवल उसी उद्देश्य के लिए किया जा सके, जिसके लिए इसे बनाया गया है और मेथनॉल के परिवहन के संबंध में राज्य के रजिस्टर में प्रविष्टि होनी चाहिए या होनी चाहिए। मेथनॉल का उपयोग करने वाली प्रत्येक औद्योगिक इकाई द्वारा उपयोग की गई मात्रा और इकाई को आवंटित मात्रा के संबंध में स्व-घोषणा पत्र और उसके बाद ही सुरक्षा उपाय किए जा सकते हैं, क्योंकि मेथनॉल आवश्यक घटक है और इसके बिना नकली शराब नहीं बनाई जा सकती है।''

केस टाइटल: बिक्रमजीत सिंह बाजवा बनाम पंजाब राज्य एवं अन्य।

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