आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को विलंबित वेतन पर ब्याज देने पर विचार करें: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार से कहा
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को विलंबित वेतन भुगतान पर ब्याज देने पर विचार करने का निर्देश दिया।
चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस संजीव बेरी की खंडपीठ ने लगभग 50,000 आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को छह महीने से कथित रूप से मानदेय का भुगतान न किए जाने पर स्वतः संज्ञान लिया था।
हालांकि, मुख्य सचिव ने दलील दी कि उक्त आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के छह महीने के बकाया मानदेय का भुगतान कर दिया गया।
उत्तर से पता चलता है कि तकनीकी समस्या के कारण देरी हुई। एसएनए बैंक खाते की मैपिंग पूरी होने के बाद धनराशि जारी कर दी गई।
खंडपीठ ने आगे कहा,
"चूंकि पंजाब एक कल्याणकारी राज्य है, इसलिए वह उन आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को मानदेय के विलंबित भुगतान पर उचित मात्रा में ब्याज देने पर भी विचार कर सकता है, जिन्हें पिछले कई महीनों से मानदेय नहीं मिला है।"
इसने आगे कहा,
"हमें उम्मीद है कि पंजाब राज्य इस अवसर पर आगे आएगा। इस न्यायालय की उपरोक्त टिप्पणी को यंत्रवत् रूप से खारिज करने के बजाय उचित आदेश पारित करेगा।"
याचिका का निपटारा करते हुए न्यायालय ने कहा,
"विलंबित भुगतान पर ब्याज के भुगतान के संबंध में उपरोक्त निर्णय 60 दिनों की अवधि के भीतर लिया और किया जाए।"
यह स्वतः संज्ञान लिया गया
'द इंडियन एक्सप्रेस' ई-पेपर में प्रकाशित समाचार रिपोर्ट "अतिरिक्त कार्य करने के लिए मजबूर; छह महीने बाद भी पंजाब में 50,000 से अधिक आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को मानदेय नहीं मिला" पर।
2 अक्टूबर को प्रकाशित समाचार पत्र की रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब भर के लगभग 27,000 केंद्रों में कार्यरत 50,000 से अधिक आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को पिछले छह महीनों से उनका मानदेय नहीं मिला है। कार्यकर्ताओं को प्रति माह ₹11,000 मिलते हैं, जिसमें से ₹4,500 मानदेय का हिस्सा है। इसमें केंद्र सरकार की ओर से 3,000 रुपये और राज्य सरकार की ओर से 1,500 रुपये शामिल हैं। हालाँकि, यूनियन नेताओं ने आरोप लगाया कि अप्रैल से यह राशि उनके खातों में जमा नहीं हुई।
इस देरी से तंग आकर बाल देखभाल कर्मचारियों ने बुधवार को चंडीगढ़ स्थित सामाजिक सुरक्षा विभाग के कार्यालय के बाहर जमकर विरोध प्रदर्शन किया।
Title: Court on its own motion v. State of Punjab through its Chief Secretary