पंजाब बाढ़: राहत के लिए दायर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट बोला- आदेश देंगे तो सरकार जवाब देने में उलझ जाएगी

Update: 2025-09-02 08:32 GMT

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने बाढ़ पीड़ितों को तत्काल राहत और पुनर्वास उपलब्ध कराने संबंधी जनहित याचिका पर फिलहाल कोई आदेश पारित करने से इनकार किया।

चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस यशवीर सिंह राठौर की खंडपीठ ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा,

“जैसे ही हम कोई आदेश देंगे, सरकार की ऊर्जा मदद करने से हटकर जवाब दाखिल करने में लग जाएगी। अधिकारी राहत कार्य छोड़कर अदालत में फाइल तैयार करने बैठ जाएंगे।”

खंडपीठ ने यह भी कहा कि याचिका में पर्याप्त तथ्यों का अभाव है। याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि वह बेहतर विवरण उपलब्ध कराए।

वकील शुभम द्वारा एडवोकेट अंग्रेज सिंह के माध्यम से दायर याचिका में दावा किया गया कि 25 अगस्त से 29 अगस्त के बीच आई भीषण बाढ़ ने पंजाब और हरियाणा के कई इलाकों को प्रभावित किया हजारों लोगों की ज़िंदगी और संपत्ति पर असर पड़ा और अब तक 29 से अधिक मौतें हो चुकी हैं।

याचिकाकर्ता ने कोर्ट से मांग की,

1. बाढ़ पीड़ितों को भोजन, पानी, आश्रय, चिकित्सा सुविधा जैसी न्यूनतम मदद दी जाए।

2. एक कोर्ट-निगरानी समिति बनाई जाए जो राहत कार्यों की निगरानी करे।

3. पंजाब सरकार को विशेष गिरदावरी कर किसानों, व्यापारियों, पशुपालकों और प्रभावित परिवारों को मुआवज़ा देने का आदेश दिया जाए।

4. केंद्र सरकार और संबंधित एजेंसियां (NDMA, CWC, BBMB, IMD) भाखड़ा और पोंग बांध के लिए आपात कार्ययोजना सार्वजनिक करें।

अदालत ने कहा,

“सिर्फ़ मीडिया रिपोर्ट में मौतों का उल्लेख यह साबित नहीं करता कि सरकारी तंत्र काम नहीं कर रहा। आपदा प्रबंधन विभाग अपना काम कर रहा होगा।”

मामले की अगली सुनवाई में याचिकाकर्ता को विस्तृत तथ्यों के साथ नई सामग्री प्रस्तुत करने के लिए कहा गया।

केस टाइटल: शुभम बनाम पंजाब राज्य एवं अन्य

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