व्यवसाय सीमित हो सकता है लेकिन पर्यावरण को नुकसान नहीं होना चाहिए: ग्रीन पटाखों की बिक्री पर रोक के खिलाफ याचिका पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट की टिप्पणी
ग्रीन पटाखों की बिक्री और खरीद पर लगे प्रतिबंधों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि व्यवसाय को सीमित किया जा सकता है लेकिन पर्यावरण को नुकसान नहीं होना चाहिए।
कोर्ट 2017 में हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था। पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम करने के लिए हाईकोर्ट ने 2017 में निर्देश दिया था कि केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा राज्य पिछले वर्ष यानी 2016 में जारी किए गए अस्थायी लाइसेंसों की कुल संख्या के 20% तक ही अस्थायी लाइसेंस जारी करने के हकदार होंगे। अस्थायी लाइसेंस जारी करने का अनुदान संबंधित उपायुक्तों द्वारा स्वयं आयोजित किए जाने वाले लॉटरी ड्रॉ के आधार पर होगा और उनकी शक्ति किसी भी परिस्थिति में किसी और को नहीं सौंपी जाएगी।
याचिकाकर्ता जालंधर फायरवर्क्स एसोसिएशन ने तर्क दिया कि संविधान के अनुच्छेद 19(1)(g) के तहत व्यवसाय करने के उनके मौलिक अधिकार को सीमित किया गया।
वहीं चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस संजीव बेरी की खंडपीठ ने कहा,
"यह न्यायालय प्रथम दृष्टया इस विचार का है कि ये नीतिगत मामले हैं, जिनमें न्यायालय हस्तक्षेप नहीं कर सकते।"
चीफ जस्टिस ने आगे कहा,
"क्या यह सीमा 20% होनी चाहिए या 30% से 40%, क्या हम इसमें जाएंगे?"
हालांकि याचिकाकर्ता ने यह तर्क दिया कि यह सीमा 2016 के जनसंख्या डेटा पर आधारित है, जो अब अप्रचलित हो चुका है, क्योंकि तब से जनसंख्या बढ़ गई है।
याचिकाकर्ता ने इस संबंध में निर्देश प्राप्त करने के लिए अधिक समय मांगा।
मामले की अगली सुनवाई 16 अक्टूबर को सूचीबद्ध की गई।