हाईकोर्ट ने पंजाब विधानसभा की कार्यवाही के "पक्षपातपूर्ण टेलीकास्ट" का आरोप लगाने वाली पंजाब के नेता की याचिका का निपटारा किया
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने आज पंजाब विधानसभा अध्यक्ष को निर्देश दिया कि वह विधानसभा की कार्यवाही के पक्षपातपूर्ण प्रसारण का आरोप लगाने वाले विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा के प्रतिनिधित्व पर फैसला करें।
बाजवा ने आरोप लगाया कि विधानसभा के लाइव प्रसारण के दौरान जब विपक्षी विधायक बोल रहे होते हैं तो कैमरे पर ध्यान नहीं जाता और उनके पूरे भाषण को नहीं दिखाया जाता, जबकि जब सत्तारूढ़ दल के सदस्य बोल रहे होते हैं तो प्रसारण बहुत स्पष्ट होता है।
चीफ़ जस्टिस शील नागू और जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल की खंडपीठ ने कहा कि यह मुद्दा सदन के अध्यक्ष को तय करना है और उन्हें बाजवा की शिकायत पर तेजी से फैसला करने का निर्देश दिया।
बाजवा की ओर से पेश अधिवक्ता अर्शप्रीत खादियाल ने कहा कि जब सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्य बोल रहे होते हैं तो कैमरा केंद्रित होता है और ऑडियो की पूरी जानकारी ली जाती है और साथ ही आप स्पीकर में कैमरा डाला जाता है ताकि यह स्पष्ट हो सके कि कौन बोल रहा है। उन्होंने विधानसभा के विभिन्न शॉट्स को भी जोड़ा है जिसमें कहा गया है कि यह विपक्ष के प्रति असमान व्यवहार को दर्शाता है।
याचिका में कहा गया है कि विपक्ष के विधायक और सरकार के विधायक दोनों अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्र के प्रतिनिधि हैं, इसलिए भेदभाव उनके निर्वाचन क्षेत्रों के अधीन भेदभाव के अधीन है।
यह कहते हुए कि प्रतिवादियों की कार्रवाई विपक्षी विधायकों के खिलाफ भेदभावपूर्ण है और समानता के अधिकार का उल्लंघन है, याचिकाकर्ता ने पंजाब विधानसभा सत्र के लाइव प्रसारण के दौरान विपक्षी विधायकों को समान कवरेज देने के लिए राज्य, अध्यक्ष और विधानसभा के सचिव को निर्देश देने की मांग की।
वकील ने यह भी कहा कि विधानसभा में कार्यवाही के सीधे प्रसारण को नियंत्रित करने वाले ऐसे कोई दिशा निर्देश नहीं हैं।
कोर्ट ने स्पीकर को निर्देश जारी करते हुए याचिका का निस्तारण कर दिया।