पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने सीएम नायब सिंह सैनी द्वारा करनाल उपचुनाव लड़े जाने को चुनौती देने वाली दूसरी याचिका खारिज की
पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने हरियाणा के करनाल निर्वाचन क्षेत्र के लिए मई में होने वाले उपचुनाव के लिए भारत के चुनाव आयोग द्वारा जारी अधिसूचना को चुनौती देने वाली जनहित याचिका खारिज कर दी। पूर्व सीएम मनोहरलाल खट्टर के इस्तीफा देने के बाद 13 मार्च को यह सीट खाली हो गई।
एक्टिंग चीफ जस्टिस जी.एस. संधावालिया और जस्टिस लपिता बनर्जी की खंडपीठ ने हरियाणा निवासी रविंदर सिंह ढुल की याचिका खारिज कर दी, जिन्होंने इस आधार पर चुनाव अधिसूचना को चुनौती दी थी कि विधानसभा की अवधि एक वर्ष से कम है।
यह तर्क दिया गया कि चुनाव अधिसूचना जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 151 (ए) का उल्लंघन है, क्योंकि धारा के प्रावधान के अनुसार जब रिक्त पद के संबंध में सदस्य का कार्यकाल शेष एक वर्ष से कम हो तो सीट के लिए उपचुनाव नहीं कराया जा सकता।
हरियाणा विधानसभा का गठन 4 नवंबर 2019 को हुआ था और यह 3 नवंबर, 2024 को अपना कार्यकाल पूरा कर रही है। इसका अर्थ है कि कार्यकाल पूरा होने में एक वर्ष से भी कम समय बचा है।
भाजपा के नए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी करनाल से चुनाव लड़ रहे हैं, क्योंकि वे विधानसभा के सदस्य नहीं हैं और संविधान के अनुच्छेद 164(4) के अनुसार,
"कोई मंत्री जो लगातार छह महीने की अवधि के लिए राज्य के विधानमंडल का सदस्य नहीं है उस अवधि की समाप्ति पर मंत्री नहीं रहेगा।"
जस्टिस सुधीर सिंह और जस्टिस हर्ष बंगर की खंडपीठ ने हाल ही में इसी तरह की एक रिट याचिका खारिज कर दी।
इसमें कहा गया था,
"मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में नए मंत्रिमंडल ने 12.03.2024 को शपथ ली और सैनी विधानसभा के सदस्य नहीं हैं, इसलिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 164(4) के अनुसार उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के छह महीने के भीतर यानी 12.03.2024 से छह महीने के भीतर राज्य विधानसभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित होना अनिवार्य है।"
पीठ ने आगे कहा था कि करनाल निर्वाचन क्षेत्र उपचुनाव कराने के लिए उपलब्ध एकमात्र रिक्ति है। इस तथ्य पर विचार करते हुए कि नए मुख्यमंत्री का शेष कार्यकाल एक वर्ष से कम है और रिक्ति उपलब्ध है ECI अधिसूचना में कोई दोष नहीं पाया जा सकता है।
केस टाइटल- रविंदर सिंह ढुल बनाम हयाना राज्य और अन्य।