General Election: लाइसेंसी हथियारों को सरेंडर करने के "ब्लैंकेट ऑर्डर" के खिलाफ याचिका पर पंजाब के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

Update: 2024-05-06 07:19 GMT

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने चुनाव के दौरान लाइसेंस धारकों के स्वामित्व वाले फायरआर्म्स को जमा करने के लिए स्थानीय पुलिस द्वारा पारित कथित ब्लैंकेट ऑर्डर (Blanket Order) को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर पंजाब सरकार के अधिकारियों और राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से जवाब मांगा।

एक्टिंग चीफ जस्टिस जीएस संधावालिया और जस्टिस लपिता बनर्जी की खंडपीठ ने पंजाब सरकार राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी, पंजाब के पुलिस महानिदेशक, बरनाला के डिप्टी कमिश्नर, एसएसपी बरनाला और एसएचओ को नोटिस जारी किया।

पंजाब के बरनाला निवासी गुरप्रीत सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि स्थानीय पुलिस बिना किसी लिखित नोटिस या आदेश के आम चुनावों के मद्देनजर उन पर अपना हथियार जमा करने का दबाव बना रही है।

आरोप है कि चुनाव के दौरान हथियार जमा करने का यह सख्त आदेश यह कहते हुए दिया गया कि व्यक्तिगत लाइसेंस का आकलन करना असंभव है।

याचिका में कहा,

"हथियार जमा करने की पूरी प्रक्रिया औपनिवेशिक विरासत वाली है और यह 1857 के विद्रोह के बाद मूल आबादी के प्रति औपनिवेशिक आकाओं के अविश्वास पर आधारित है और स्वतंत्रता के बाद कानूनी रूप से वैध लाइसेंस धारकों के प्रति ऐसा रवैया उचित नहीं है।"

याचिका में कहा गया कि पंजाब में 4 लाख से भी कम हथियार लाइसेंस हैं, जो उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों की तुलना में बहुत कम है, जहां हथियारों के लाइसेंस तीन गुना से भी अधिक हैं और देश में कुल लाइसेंसों का एक तिहाई है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के हाल ही में दिए गए फैसले रविशंकर तिवारी और अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य, जिला मजिस्ट्रेट अमेठी और अन्य सिविल [रिट संख्या 2844/2024] के माध्यम से पर भरोसा किया गया, जिसमें यह माना गया कि हथियारों को सरेंडर करने के लिए एकमुश्त आदेश कानून की नज़र में बुरा है।

उपर्युक्त के आलोक में याचिकाकर्ता ने राज्य अधिकारियों को निर्देश देने की मांग की कि वे याचिकाकर्ता के साथ-साथ समान स्थिति वाले व्यक्तियों को टेलीफोन पर कॉल करके चुनाव के दौरान स्थानीय पुलिस के पास अपने आग्नेयास्त्र जमा करने के लिए मजबूर न करें।

यह उल्लेख करना उचित है कि हाल ही में केरल हाईकोर्ट ने स्क्रीनिंग समिति को शस्त्र एक्ट के तहत लाइसेंस धारकों को जारी किए गए हथियारों को सरेंडर करने के अपने आदेश पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया।

याचिका स्वीकार करते हुए जस्टिस एन. नागरेश की सिंगल जज पीठ ने कहा कि जब तक चुनाव आयोग द्वारा प्रदान किए गए मापदंडों के आलोक में हथियारों को सरेंडर करना उचित रूप से आवश्यक न हो तब तक हथियारों को सरेंडर करने के लिए एकमुश्त निर्देश नहीं दिए जा सकते हैं।

मामले को आगे के विचार के लिए 08 मई तक के लिए टाल दिया गया।

केस टाइटल- गुरप्रीत सिंह बनाम पंजाब राज्य और अन्य।

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