तृतीय श्रेणी पद पर कार्यरत कर्मचारी के सेवानिवृत्ति लाभों से अतिरिक्त भुगतान के आधार पर कोई वसूली नहीं की जा सकती: मणिपुर हाइकोर्ट
मणिपुर हाइकोर्ट की जस्टिस अहंथम बिमोल सिंह की सिंगल जज बेंच ने डब्ल्यू मनीलीमा देवी बनाम मणिपुर राज्य एवं अन्य के मामले में रिट याचिका पर निर्णय लेते हुए माना कि तृतीय श्रेणी पद पर कार्यरत कर्मचारी के सेवानिवृत्ति लाभों से अतिरिक्त भुगतान के आधार पर कोई वसूली नहीं की जा सकती।
मामले की पृष्ठभूमि
डब्ल्यू. मनीलीमा देवी (याचिकाकर्ता) को 1986 में शिक्षा निदेशक, मणिपुर (DEM) द्वारा 6 महीने की अवधि के लिए स्थानापन्न सहायक स्नातक शिक्षक नियुक्त किया गया और समय-समय पर उनकी सेवाओं को बढ़ाया गया। DEM द्वारा दिनांक 21.07.1992 के आदेश द्वारा याचिकाकर्ता को अस्थायी रूप से आर्ट ग्रेजुएट टीचर नियुक्त किया गया। इसके अलावा, DEM द्वारा दिनांक 16.02.2005 के आदेश द्वारा 1986 में स्थानापन्न आधार पर उनकी नियुक्ति की तिथि से लेकर 1992 में आर्ट ग्रेजुएट टीचर के रूप में उनकी नियमित नियुक्ति तक की उनकी सेवा अवधि को नियमित कर दिया गया।
याचिकाकर्ता ने रिटायरमेंट की आयु प्राप्त करने के बाद 31.10.2019 को रिटायरमेंट ले ली। याचिकाकर्ता की रिटायरमेंट के बाद उनकी पेंशन और अन्य रिटायरमेंट लाभ जारी करने के लिए उचित प्रक्रिया अपनाई गई। हालांकि, महालेखाकार कार्यालय ने 2020 में मणिपुर सरकार के अवर सचिव (पेंशन सेल) को पत्र लिखा, जिसमें याचिकाकर्ता के वेतनमान के निर्धारण में कुछ अनियमितताओं को उजागर किया गया और अवर सचिव से अनियमितताओं में अपेक्षित सुधार करने का अनुरोध किया गया। हालांकि, गलतियों के सुधार की दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की गई। परिणामस्वरूप याचिकाकर्ता को उनकी रिटायरमेंट के बाद से लगभग 5 वर्षों तक रिटायरमेंट लाभ नहीं मिला।
इस प्रकार रिट याचिका दायर की गई।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि यदि यह मान भी लिया जाए कि याचिकाकर्ता को कुछ अतिरिक्त भुगतान किया गया तो भी वे 19 वर्ष से अधिक समय पहले किए गए और प्रतिवादी याचिकाकर्ता के सेवानिवृत्ति लाभों और पेंशन से कथित अतिरिक्त भुगतान की वसूली नहीं कर सकता।
दूसरी ओर, प्रतिवादियों ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता के वेतनमान के निर्धारण और स्थानापन्न आधार पर की गई उसकी पिछली सेवा को नियमित करने में अधिकारियों द्वारा कुछ अनियमितताएं की गई। इस प्रकार जब तक अपेक्षित सुधार नहीं किए जाते याचिकाकर्ता को मिलने वाले पेंशन या अन्य रिटायरमेंट लाभ जारी नहीं किए जा सकते।
न्यायालय के निष्कर्ष
न्यायालय ने पाया कि यदि यह मान भी लिया जाए कि याचिकाकर्ता के वेतन निर्धारण में संबंधित अधिकारियों द्वारा कोई अनियमितता की गई तो भी ऐसा लगभग 2 दशक पहले किया गया। इसके अलावा, याचिकाकर्ता की आयु रिटायरमेंट की आयु हो गई। इस प्रकार अधिकारियों द्वारा याचिकाकर्ता के सेवानिवृत्ति लाभों और अन्य सेवा लाभों से कोई वसूली नहीं की जा सकती।
न्यायालय ने पंजाब राज्य और अन्यबनाम रफीक मसीह (व्हाइट वॉशर) एवं अन्य के मामले पर भरोसा किया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने माना कि नियोक्ता द्वारा वसूली कानून में तब अस्वीकार्य होगी, जब यह:-
(i) तृतीय श्रेणी और चतुर्थ श्रेणी सेवा (या समूह सी और समूह डी सेवा) से संबंधित कर्मचारियों से वसूली हो।
(ii) सेवानिवृत्त कर्मचारियों, या वसूली के आदेश के एक वर्ष के भीतर सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों से वसूली हो।
(iii) कर्मचारियों से वसूली हो जब वसूली का आदेश जारी होने से पहले पांच वर्ष से अधिक अवधि के लिए अतिरिक्त भुगतान किया गया हो।
न्यायालय ने पाया कि याचिकाकर्ता ने अपनी रिटायरमेंट से पहले तृतीय श्रेणी पद संभाला था। इस प्रकार वेतन और भत्तों के अधिक भुगतान के आधार पर याचिकाकर्ता के सेवानिवृत्ति लाभों से कोई वसूली नहीं की जा सकती।
उपर्युक्त टिप्पणियों के साथ न्यायालय ने रिट याचिका का निपटारा कर दिया।
केस टाइटल- डब्ल्यू. मनीलीमा देवी बनाम मणिपुर राज्य एवं अन्य