Lok Sabha Election 2024: मतदान की तारीख और मतगणना की तारीख के बीच अंतर पर किए थे सवाल, हाईकोर्ट ने याचिका खारिज की
मद्रास हाईकोर्ट ने आगामी लोकसभा चुनाव 2024 में मतदान की तारीख और मतगणना की तारीख के बीच अंतर पर सवाल उठाने वाली याचिका को बुधवार को खारिज कर दिया।
चीफ जस्टिस एसवी गंगापुरवाला और जस्टिस भरत चक्रवर्ती की खंडपीठ ने कहा कि याचिका किसी सार्वजनिक मुद्दे का समर्थन नहीं करती। अदालत चुनाव आयोजित करने के तरीके के संबंध में भारतीय चुनाव आयोग (ECI) को निर्देश जारी नहीं कर सकती।
अदालत ने याचिका खारिज करने से पहले मौखिक रूप से टिप्पणी की,
“क्या यह सचमुच जनहित याचिका है? आप कैसे प्रभावित हैं? चुनाव की तारीख, इसे कैसे आयोजित किया जाना है, आदि ECI के दायरे में है। अदालतें ECI को चुनाव कराने का निर्देश कैसे दे सकती हैं? क्या आप हमें दिखा सकते हैं कि कैसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया गया? कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जो कहता हो कि चुनाव प्रक्रिया इतने दिनों में पूरी करनी होगी। यह बिल्कुल भी जनहित याचिका नहीं है।''
याचिकाकर्ता एज़िलान ने तर्क दिया कि मतदान की तारीख और गिनती की तारीख के बीच लंबा अंतराल मनमाना, अवैध और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है। तमिलनाडु में पहले चरण में 19 अप्रैल, 2024 को मतदान होना है और सात चरणों में मतदान पूरा होने के बाद 4 जून, 2024 को गिनती होनी है।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि लंबा अंतराल संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की भावना के भी खिलाफ है। यह प्रस्तुत किया गया कि जनता को इतने लंबे समय तक रडार पर नहीं रखा जा सकता। सुझाव दिया गया कि वोटों की गिनती भी चरणों में की जाए।
हालांकि, अदालत ने यह स्पष्ट किया कि वह चुनाव आयोग को ऐसा कोई निर्देश जारी नहीं कर सकती। अदालत ने कहा कि ECI ने अपने विवेक के आधार पर तारीखें तय की थीं और स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से चुनाव कराने की बड़ी जिम्मेदारी है।
अदालत ने कहा कि ECI को सुरक्षा, कर्मचारियों की तैनाती, कर्मचारियों के प्रशिक्षण आदि जैसे विभिन्न कारकों पर विचार करना होगा। इस प्रकार चुनाव कार्यक्रम में हस्तक्षेप करना अदालत का काम नहीं है।
इस प्रकार, याचिका में कोई योग्यता नहीं पाते हुए अदालत ने इसे खारिज कर दिया।
केस का शीर्षक: एज़िलान बनाम मुख्य चुनाव आयुक्त