जूनियर वकीलों से बिना वेतन के काम करने की उम्मीद नहीं की जा सकती: मद्रास हाईकोर्ट ने बार एसोसिएशन को 15-20 रुपये मासिक स्टाइपेंड देने का निर्देश दिया

Update: 2024-06-12 08:35 GMT

मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु और पुडुचेरी की बार काउंसिल को सभी बार एसोसिएशनों को सर्कुलर जारी करने का निर्देश दिया। उक्त सर्कुलर में उनसे राज्य में प्रैक्टिस करने वाले सभी जूनियर वकीलों को न्यूनतम 15,000 रुपये से 20,000 रुपये का स्टाइपेंड (Stipend) देने के लिए कहा गया।

जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम और जस्टिस सी कुमारप्पन की खंडपीठ ने इस बात पर प्रकाश डाला कि युवा वकीलों को पिछली पीढ़ियों के संघर्षों से गुजरने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए और युवा वकीलों के लिए मजबूत जगह बनाने के लिए सभी को आगे आना चाहिए।

अदालत ने यह भी बताया कि युवा वकील के रूप में पीड़ित होना कानूनी पेशे का अभिन्न अंग नहीं है। अदालत ने कहा कि युवा वकीलों से बिना भुगतान के काम करते रहने की उम्मीद करना अस्वीकार्य है।

अदालत ने कहा,

“युवा वकीलों को हमारे संघर्षों से गुजरने के लिए क्यों मजबूर किया जाना चाहिए। आइए हम एक साथ आएं और उनके लिए मजबूत जगह बनाएं। जूनियर वकील के रूप में पीड़ित होना पेशे का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। अनुच्छेद 21 युवा वकीलों पर भी लागू होता है। उनसे यह अपेक्षा करना कि वे भुगतान न किए जाने की आदत डाल लें, अस्वीकार्य और अपमानजनक है।"

इस प्रकार अदालत ने चेन्नई, मदुरै और कोयंबटूर में प्रैक्टिस करने वाले युवा वकीलों के लिए न्यूनतम 20,000 रुपये और अन्य जिलों में वकीलों के लिए न्यूनतम 15,000 रुपये का स्टाइपेंड तय किया।

अदालत ने कहा कि राज्य में प्रचलित जीवन यापन की मूल लागत और लागत सूचकांक को ध्यान में रखते हुए राशि तय की गई। अदालत ने बार काउंसिल से यह भी तय करने को कहा कि कौन "युवा वकील" के दायरे में आने के योग्य होगा। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि सभी वकीलों को उनकी लैंगिक पहचान के बावजूद मासिक स्टाइपेंड दिया जाना चाहिए।

अदालत ने टिप्पणी की कि जेंडर के बीच भुगतान में असमानता के मुद्दे पर अक्सर बात नहीं की जाती। इसे संबोधित करना महत्वपूर्ण है। अदालत ने कहा कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को भी मासिक स्टाइपेंड दिया जाना चाहिए। न्यायालय पुडुचेरी संघ में अधिवक्ता कल्याण निधि अधिनियम, 2001 के क्रियान्वयन और प्रवर्तन की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था।

न्यायालय ने पहले सुझाव दिया कि बार काउंसिल जूनियर वकील को नियुक्त करने के लिए न्यूनतम स्टाइपेंड तय करे, जिससे उसकी आजीविका सुरक्षित रहे। बुधवार को जब मामले की सुनवाई हुई तो बार काउंसिल की ओर से पेश एडवोकेट सीके चंद्रशेखर ने न्यायालय को बताया कि बार काउंसिल जूनियर वकीलों को भुगतान करने के लिए सहमत है।

इस संबंध में सर्कुलर जारी करने के लिए 2 महीने का समय मांगा। हालांकि, न्यायालय ने परिषद को चार सप्ताह के भीतर सर्कुलर जारी करने और अनुपालन की रिपोर्ट देने का निर्देश दिया।

केस टाइटल: फरीदा बेगम बनाम पुडुचेरी सरकार और अन्य

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