आवेदनों का सत्यापन पूरा होते ही वकीलों का नामांकन किया जाएगा: मध्य प्रदेश बार काउंसिल, हाईकोर्ट ने मांगे निर्देश
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर पीठ ने मंगलवार (26 नवंबर) को राज्य बार काउंसिल से पिछले चार महीनों से वकीलों के नामांकन में अनावश्यक देरी के लिए मौखिक रूप से सवाल किया।
सुनवाई के दौरान न्यायालय ने राज्य बार काउंसिल से मामले में निर्देश लेने और बुधवार को न्यायालय को इस बारे में सूचित करने को कहा कि क्या नामांकन की प्रक्रिया चल रही है।
चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की खंडपीठ इंदौर में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व संयुक्त सचिव राकेश सिंह भदौरिया की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें चार महीने से वकीलों का नामांकन न होने का आरोप लगाया गया।
याचिका के अनुसार नामांकन समिति की अंतिम बैठक 29 जुलाई को हुई। उसके बाद से कोई भी बैठक नहीं बुलाई गई, जिससे राज्य बार में इच्छुक अधिवक्ताओं का नामांकन रुक गया। याचिकाकर्ता ने राज्य बार काउंसिल को नामांकन समिति को फिर से बुलाने और लंबित आवेदनों के समाधान में तेजी लाने का निर्देश देने के लिए परमादेश की रिट मांगी थी। पीठ ने मामले को आज के लिए सुरक्षित रख लिया।
मंगलवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने मामले की तात्कालिकता पर जोर देते हुए कहा, राज्य बार काउंसिल को अंतिम तिथि का नोटिस जारी किया गया था। मामले की तात्कालिकता यह है कि नए वकीलों के लगभग 6000 नामांकन आवेदन लंबित हैं। लगभग चार महीने से राज्य बार काउंसिल द्वारा कोई निर्णय नहीं लिया गया। हर दिन नए कानून के छात्रों के लिए नुकसानदेह है। जुलाई से, राज्य बार काउंसिल द्वारा कोई नया नामांकन नहीं किया गया।
उपरोक्त तर्क का जवाब देते हुए प्रतिवादी/राज्य बार काउंसिल के वकील ने कहा,
“नामांकन प्रक्रिया चल रही है और जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा।”
प्रतिवादी के वकील ने कहा,
“हमने दस्तावेज सत्यापन और पुलिस सत्यापन के लिए दस्तावेज भेजे हैं। सभी का सत्यापन चल रहा है। जैसे ही दस्तावेज आएंगे हम नामांकन कर देंगे।''
कोर्ट ने मौखिक रूप से पूछा,
''कितने अभ्यर्थी हैं? यह सत्यापन प्रक्रिया कब से चल रही है?''
इस पर प्रतिवादी के वकील ने जवाब दिया,
''लगभग 6000, जुलाई से हमने सत्यापन के लिए पत्र भेजे हैं। जैसे ही सत्यापन आएगा जैसे ही वह आते जाएंगे नामांकन कर जाएंगे।''
कोर्ट ने आगे मौखिक रूप से कहा,
''क्या किसी का सत्यापन आया है?''
इस पर वकील ने जवाब दिया,
'जैसे ही आएगा, हम कर देंगे।''
जस्टिस कैत ने मौखिक रूप से पूछा,
''आपने इसे प्रक्रिया के लिए कब भेजा? चार महीने पहले?''
प्रतिवादी के वकील ने जवाब दिया,
''नहीं, सर। पिछले महीने, एक नामांकन समिति का गठन किया गया था।''
इस पर कोर्ट ने मौखिक रूप से पूछा कि क्या पहले कोई समिति नहीं थी, क्योंकि नामांकन समिति हमेशा होती है।
तब वकील ने जवाब दिया,
"मैं निर्देश लूंगा"।
इसके बाद हाईकोर्ट ने मौखिक रूप से कहा,
"निर्देश लें और कल आएं। जिसका भी सत्यापन आया है, उसे हमें दिखाएं कि आप नामांकन कर रहे हैं। आप अनावश्यक रूप से देरी क्यों कर रहे हैं?”
राज्य बार काउंसिल के वकील से मामले में निर्देश प्राप्त करने के लिए कहते हुए कोर्ट ने इसे आज (27 नवंबर) सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।
केस टाइटल: राकेश सिंह भदौरिया बनाम मध्य प्रदेश राज्य बार काउंसिल और अन्य