मस्जिद में नमाज़ न पढ़ने देने की याचिका पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने रक्षा मंत्रालय से मांगा जवाब

Update: 2025-04-05 06:47 GMT
मस्जिद में नमाज़ न पढ़ने देने की याचिका पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने रक्षा मंत्रालय से मांगा जवाब

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान रक्षा मंत्रालय से सवाल किया कि जब जबलपुर की रिड्ज़ रोड स्थित मस्जिद नूर में आम मुस्लिम नागरिकों को नमाज़ पढ़ने से रोका जा रहा है तो ऐसा क्यों हो रहा है, जबकि मंदिर और चर्च में आम जनता को पूजा-पाठ की अनुमति है?

चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की खंडपीठ ने कहा,

“उत्तरदाता यह स्पष्ट करें कि क्या आम नागरिकों को मंदिर और चर्च में पूजा करने की अनुमति है और यदि हाँ, तो फिर मुस्लिम समुदाय के नागरिकों को मस्जिद नूर में नमाज़ पढ़ने से क्यों रोका जा रहा है, जो कि कंट्रोलर ऑफ डिफेंस अकाउंट (CDA) रिड्ज़ रोड, जबलपुर की रक्षा भूमि के पीछे स्थित है?”

यह याचिका मस्जिद नूर प्रबंधन समिति के सचिव के माध्यम से दायर की गई, जिसमें कहा गया कि उत्तरदाता नंबर 4 (स्टेशन कमांडर) ने याचिकाकर्ता और अन्य मुस्लिम नागरिकों को मस्जिद में नमाज़ पढ़ने से रोक दिया।

मस्जिद नूर जो कि वर्ष 1918 से ही आम नागरिकों और सेना के जवानों द्वारा इबादत के लिए इस्तेमाल की जा रही है वक्फ बाय यूज़ के रूप में वक्फ अधिनियम 1995 की धारा 3 के अंतर्गत मान्य है।

याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि अब तक किसी भी अधिकारी द्वारा नमाज़ पढ़ने पर कोई रोक नहीं थी। लेकिन हाल ही में उत्तरदाता नंबर 4 द्वारा मौखिक रूप से नमाज़ पर रोक लगाई गई, जिससे याचिकाकर्ता और अन्य नागरिकों के धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन हो रहा है।

इसके खिलाफ याचिकाकर्ता ने मध्य भारत क्षेत्र के जनरल ऑफिसर कमांडिंग और डिफेंस एस्टेट ऑफिसर को अपनी शिकायत प्रस्तुत की लेकिन जब वह स्टेशन कमांडर (उत्तरदाता नंबर 4) के कार्यालय में प्रतिलिपि देने गए तो उन्होंने उसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया।

अदालत ने इस मामले को दो सप्ताह बाद के लिए सूचीबद्ध किया है।

केस टाइटल: मस्जिद नूर बनाम भारत संघ एवं अन्य, रिट याचिका संख्या 10096/2025

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