मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कानून के प्रावधानों की अनदेखी करते हुए गुप्त आदेश पारित करने वाले जिला जज के कामकाज पर रिपोर्ट मांगी

Update: 2025-04-08 06:10 GMT
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कानून के प्रावधानों की अनदेखी करते हुए गुप्त आदेश पारित करने वाले जिला जज के कामकाज पर रिपोर्ट मांगी

भूमि अधिग्रहण पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम 2013 में उचित मुआवज़ा और पारदर्शिता के अधिकार से संबंधित गुप्त आदेश खारिज करते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने उक्त जिला जज की फाइलों का निरीक्षण करने और जिला जज के कामकाज के बारे में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकल पीठ ने कहा,

"यदि चौथे जिला जज ने अधिनियम 2013 की धारा 64 के तहत प्रावधानों को पढ़ने के लिए खुद को तैयार किया होता तो ऐसा गुप्त आदेश पारित नहीं किया जाता। तदनुसार, दिनांक 03.08.2024 का विवादित आदेश गुप्त होने के कारण अपास्त किया जाता है। मामले को संबंधित जिला जज को तीस दिनों की अतिरिक्त अवधि के भीतर आवेदन पर अपने गुण-दोष के आधार पर निर्णय लेने के लिए भेजा जाता है।"

यह याचिका जिला कोर्ट के उस आदेश से व्यथित होकर दायर की गई, जिसमें अधिनियम की धारा 64 के तहत आवेदन पर विचार करने से इनकार किया गया, केवल इस आधार पर कि कलेक्टर ने संदर्भ नहीं दिया। इसके अभाव में याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।

प्रावधान में कहा गया कि कोई भी इच्छुक व्यक्ति जिसने अवार्ड स्वीकार नहीं किया, वह मांग कर सकता है कि कलेक्टर द्वारा मामले को प्राधिकरण के निर्धारण के लिए संदर्भित किया जाए। कलेक्टर को तब 30 दिनों के भीतर उपयुक्त प्राधिकरण को संदर्भ देना होगा, ऐसा न करने पर आवेदक प्राधिकरण को आवेदन कर सकता है।

न्यायालय ने नोट किया कि याचिकाकर्ता ने उचित प्राधिकरण से तभी संपर्क किया, जब कलेक्टर ने 30 दिनों के भीतर उसके अभ्यावेदन पर कार्रवाई करने में विफल रहा। केवल इस आधार पर इस आवेदन को खारिज नहीं किया जा सकता कि कलेक्टर ने संदर्भ नहीं दिया।

न्यायालय ने आगे कहा कि अधिनियम की धारा 37 (2) के तहत दी गई सूचना के छह सप्ताह के भीतर कलेक्टर के समक्ष आवेदन दायर किया गया। इसलिए जिला जज धारा 64 में निहित प्रावधान को पढ़ने में विफल रहे और एक रहस्यमय आदेश पारित कर दिया।

न्यायालय ने विवादित आदेश रद्द कर दिया तथा मामले को संबंधित जिला जज को आवेदन पर निर्णय लेने के लिए भेज दिया।

केस टाइटल: मंगलशरण बनाम मध्य प्रदेश राज्य एवं अन्य, रिट याचिका संख्या 9548/2025

Tags:    

Similar News