Contract का पालन कौन करेगा इसके संबंध में Contract Act की धारा 40 उल्लेखनीय है। इस धारा के अनुसार यदि किसी Contract की बाबत मामले की प्रकृति से ही यह बात स्पष्ट होती है कि किसी Contract के पक्षकारों का यह आशय था कि उसमें निहित किसी वचन का पालन स्वयं वचनदाता द्वारा किया जाना चाहिए तो ऐसी स्थिति में धारा 40 यह कहती है कि उक्त वचन का पालन वचनदाता को ही करना चाहिए जबकि अन्य स्थिति में वचनदाता के प्रतिनिधि भी उसका पालन कर सकेंगे।
Contract का स्वयं वचनदाता द्वारा पालन किया जा सकता है या उसके अभिकर्ता द्वारा यह व्यक्ति जो किसी दूसरे के माध्यम से कोई कृति संपादित करता है तो यह उसके द्वारा किया हुआ माना जाएगा।
40 के अंतर्गत कुछ विशेष परिस्थितियों के सिवाय कोई व्यक्ति कोई संपदा खरीदने का करार करता है वहां वह स्वयं उसे खरीदने के लिए बाध्य नहीं है वह इसे अन्य व्यक्ति द्वारा खरीद सकता है।
इस बात को इस प्रकार समझा जा सकता है कि जैसे किसी व्यक्ति ने कोई निर्णय लिया है तथा व्यक्ति मर गया तो अब उसकी संतानों से इस ऋण को वसूला जा सकता है। उसकी संतान उस ऋण को देने के लिए उत्तरदायी है क्योंकि उसकी संतान उसकी उत्तराधिकारी होती है। अंत कुछ कार्य ऐसे होते हैं जिनमें Contract का पालन उसी व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है जिसके द्वारा वचन दिया गया था।
जैसे कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के लिए कोई चित्र बनाने की Contract करता है और इसके लिए वचन देता है और वो व्यक्ति मर जाता है तो अब ऐसी स्थिति में उसकी संतान को चित्र बनाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता कि इसकी क्षतिपूर्ति उसकी संतान से प्राप्त नहीं की जा सकती क्योंकि चित्र बनाना एक नैसर्गिक गुण हैं तथा उसके उत्तराधिकारियों में भी यह कला होगी इसकी कोई गारंटी नहीं है।
जब कभी किसी Contract में एक से अधिक प्रतिज्ञाकर्ता रहते हैं तो ऐसी परिस्थिति में Contract का पालन भी एक से अधिक लोग करने के लिए बाध्य होते हैं। वह सभी व्यक्ति संयुक्त रूप से उस वचन को पूरा करने के लिए उत्तरदायी होंगे और यदि उन वचनदाताओं में से किसी की मृत्यु हो जाती है ऐसी स्थिति में प्रथम वचनदाता का प्रतिनिधि उत्तरजीवी वचनदाता का वचनदाताओं के साथ संयुक्त रूप से अंतिम उत्तरजीवी वचन दाता की मृत्यु के बाद सभी वचनदाताओ के प्रतिनिधि संयुक्त रूप से वचन को पूरा करने के लिए उत्तरदायी होंगे। प्रतिनिधियों का दायित्व वहीं तक सीमित नहीं होता है जहां तक व मृतक पक्षकार की संपत्ति प्राप्त करते हैं।
Contract Act की धारा 43 के अंतर्गत यह प्रावधान किया गया है इस धारा कुछ इस प्रकार भी समझा जा सकता है कि यदि कोई वचन 3 लोग मिल कर देते हैं तो ऐसी परिस्थिति में इस Contract का वचनग्रहिता इन तीनों में से किसी से भी वचन का पालन करवा सकता है।
जैसे किन तीन लोगों ने कोई ऋण उधार लिया है तो दो लोग दिवालिया हो जाने के कारण किसी एक से भी उस ऋण की वसूली की जा सकती है यह आवश्यक नहीं है कि सभी को समान रूप से समान अनुपात में कर्ज़ चुकाना होगा।