बिल्डर्स को विनियमित करने और ग्राहकों के अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 बनाया गया है। जमीन पर मकान बनाकर बेचना वर्तमान समय का एक बड़ा धंधा बन गया है। बिल्डर जमीन पर ऐसे मकान बनाते हैं और उन्हें बेचते हैं तथा इस पर मुनाफा कमाते हैं। एक समय तक इस धंधे में बिल्डर द्वारा ग्राहकों के साथ बहुत ज्यादा ज्यादती की जाती रही है। अनेक घटनाएं ऐसी मिली है जहां बिल्डर ने मकान का नक्शा और क्वालिटी दिखाई कुछ और तथा बेची कुछ और। ग्राहकों के अधिकार छीने जा रहे थे उनके साथ धोखाधड़ी और छल कपट किया जा रहा था। इस धोखाधड़ी और छल कपट से निपटने के लिए ही इस अधिनियम को बनाया गया है।
इस अधिनियम में किस बिल्डर की होती है शिकायत
बिल्डर और ग्राहकों के बीच ऐसे बहुत से मामले हैं जहां विवाद की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। यहां पर ग्राहकों के पास यह अधिकार है कि वह अपने साथ होने वाले किसी भी छल के संबंध में बिल्डर की शिकायत कर सकें।
मुख्य रूप से 2 मामलों में बिल्डर की शिकायत होती है-
(1) ऐसा बिल्डर जिसने अपने प्रोजेक्ट को रेरा में रजिस्टर्ड नहीं करवाया है।
(2) ऐसा बिल्डर जिसने एग्रीमेंट की शर्तों का उल्लंघन किया है।
कैसे करें शिकायत
पहले मामले में किसी बिल्डर की शिकायत की जा सकती है अगर उसने अपना प्रोजेक्ट रेरा में रजिस्टर्ड नहीं करवाया है और बगैर रजिस्टर्ड करवाएं उसने अपने प्रोजेक्ट को बेचना शुरू कर दिया है। यहां पर यह ध्यान देना चाहिए कि कोई भी ऐसा बिल्डर जो 500 मीटर से अधिक जमीन पर अपना प्रोजेक्ट तैयार कर रहा है और जिसके द्वारा अट्ठारह अपार्टमेंट से अधिक बनाए जा रहे हैं उसे अपना प्रोजेक्ट रेरा में रजिस्टर्ड करवाना आवश्यक है।
यदि वे ऐसा प्रोजेक्ट रजिस्टर्ड नहीं करवाता है और ग्राहकों को बेचना शुरू कर दिया है तब उस बिल्डर के खिलाफ ग्राहक शिकायत कर सकते हैं। ऐसी शिकायत ऑनलाइन माध्यम से रेरा की वेबसाइट के जरिए होती है रेरा की वेबसाइट से किसी भी बिल्डर के संबंध में समस्त जानकारियों को निकाला जाए जिसके द्वारा ऐसा प्रोजेक्ट तैयार किया जा रहा था।
फिर उन जानकारियों को लेकर उस बिल्डर के विरुद्ध एक शिकायत तैयार की जाए। उस शिकायत के साथ कुछ सपोर्टिंग दस्तावेज भी प्रस्तुत किए जाएं जिससे यह साबित होता है कि बिल्डर द्वारा बगैर रजिस्टर्ड करवाएं प्रोजेक्ट को बेचा जा रहा है।
इस कंप्लेंट को कोई भी व्यक्ति कर सकता है और इस कंप्लेंट में किसी प्रकार का शिकायत शुल्क नहीं देना होता है। रेरा इस पर संज्ञान लेकर बिल्डर को नोटिस जारी करता है पर अपना पक्ष रखने के लिए समय देता है तथा इस बात की जांच करता है कि बिल्डर द्वारा अपने प्रोजेक्ट को रजिस्टर्ड क्यों नहीं करवाया गया और ऐसे रजिस्टर के पूर्व क्यों अपने प्रोजेक्ट को बेचना शुरू किया गया।
ग्राहकों को यह ध्यान देना चाहिए कि वह उसी प्रोजेक्ट को खरीदें जिसे रेरा में रजिस्टर्ड करवाया गया है और वह जिसे रेरा द्वारा रजिस्टर्ड बिल्डर द्वारा बनाया गया है। पर यहां पर यह नियम लागू रेरा द्वारा दिए गए क्राइटेरिया जो 500 मीटर जमीन और 18 अपार्टमेंट का उल्लेख करता है उसके मामले में ही रजिस्ट्रेशन का नियम लागू होता है। छोटे स्तर पर कार्य करने वाले बिल्डर को इससे छूट दी गई है, उनसे संबंधित मामलों को सिविल कोर्ट में ही ले जाया जा सकता है।
रेरा कानून के अंतर्गत शिकायतों को वेबसाइट के माध्यम से ऑनलाइन दर्ज करवाने का मूल मकसद ग्राहकों को शीघ्र से शीघ्र न्याय उपलब्ध करवाना है तथा उन्हें अधिक कानूनी पचड़े में पड़ने से बचाना है।
ऐसी ऑनलाइन शिकायत को कोई भी व्यक्ति कर सकता है भले ही उसका इस प्रोजेक्ट से कोई हित रहा हो या न रहा हो।
ऐसा बिल्डर जिसने एग्रीमेंट की शर्तों का उल्लंघन किया है उसके खिलाफ शिकायत
भारत में किसी एग्रीमेंट को मनवाने के लिए स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट उपलब्ध है पर इसी के साथ बिल्डिंग लाइन में बिल्डर द्वारा किए गए किसी एग्रीमेंट में फेरफार करने या उसकी शर्तों को नहीं मानने के संबंध में रेरा भी लागू होता है। यहां पर रेरा की विशेष सुविधा ग्राहकों को दी गई है। जब कभी किसी के साथ किसी बिल्डर से किसी प्रोजेक्ट में कोई हिस्सा खरीदने के लिए एग्रीमेंट किया जाता है तब बिल्डर द्वारा जिस प्रकार से शर्त बताई गई है और जिन चीजों को देने का उल्लेख किया है उन्हें नहीं देता है तब उसकी शिकायत रेरा में की जा सकती है।
जैसे कि किसी बिल्डर द्वारा यह कहा जाता है कि उसके द्वारा बनाए गए बंगले या फ्लैट में मार्बल का पत्थर लगाया जाएगा तथा सागवान लकड़ी के दरवाजे लगाए जाएंगे और उच्च क्वालिटी की किसी कंपनी का कलर इस्तेमाल किया जाएगा पर बिल्डर अपनी इस शर्त को नहीं मानता है।
मार्बल की जगह कोई अन्य पत्थर को घर में लगाता है, सागवान की लकड़ी की जगह बबूल की लकड़ी के दरवाजे लगाता है, तब उस बिल्डर के विरुद्ध ग्राहक शिकायत कर सकते हैं क्योंकि शर्त के संबंध में यह उल्लेख किया है अगर किसी शर्त को तय किया गया है तब उसे पूरा किया जाए।
एक आम आदमी पर भी यह जिम्मेदारी कानून द्वारा दी गई है फिर एक बिल्डर को तो इससे कोई राहत दी ही नहीं जा सकती क्योंकि उसके द्वारा जनता को ग्राहक बनाकर अपना प्रोजेक्ट को बेचा जा रहा है।
ऐसे प्रोजेक्ट में कोई हिस्सा खरीदते समय किसी व्यक्ति को एक बहुत बड़ी धनराशि अदा करनी होती है कानून बिल्डर से यही अपेक्षा करता है कि जो शर्त उसने प्रोजेक्ट के संबंध में तय की है उस शर्त को अंतिम समय तक माने और ग्राहक को वही क्वालिटी का घर उपलब्ध करवाएं जिस के संबंध में उसने शर्त को तय किया है।
अगर बिल्डर ऐसी शर्त नहीं माने तब रेरा की वेबसाइट पर कोई भी ग्राहक अपनी शिकायत को अपलोड कर सकता है इसके लिए ग्राहक को अपने स्टेट की रेरा की वेबसाइट पर जाना होगा तथा वहां पर लॉग इन करना होगा।
लॉग इन करने के बाद में शिकायत के ऑप्शन में जाकर अपनी शिकायत की पीडीएफ बनाकर और उसके साथ एग्रीमेंट के कागजों की पीडीएफ बनाकर अपलोड करनी होगी जिससे यह साबित हो की बिल्डर द्वारा एग्रीमेंट की शर्तों का उल्लंघन किया गया है।
ग्राहकों को यह ध्यान देना चाहिए कि किसी भी रकम को बिल्डर से किसी प्रकार का मौखिक एग्रीमेंट नहीं करें बल्कि लिखित एग्रीमेंट करें जिसमें सभी शर्तों का साफ साफ उल्लेख हो और कोई भी बात रिकॉर्ड पर रहे। जब बिल्डर द्वारा अपनी शर्त से मुकर जाए तब उसे रेरा के समक्ष प्रस्तुत किया जा सके।
शिकायत शुल्क
रेरा के समक्ष ऐसी शिकायत के लिए एक शुल्क लगता है जो नाम मात्र का होता है। सभी राज्यों में अलग-अलग शुल्क है। साधारण तौर पर दो ढाई हज़ार रुपए तक का शुल्क लगता है। यह समझना चाहिए कि ऐसी शिकायत एक प्रकार का मुकदमा होती है पर इसे शीघ्र से शीघ्र निपटाने के लिए बनाया गया है।
कानून के दांव पर से ग्राहकों को बचाने के लिए बनाया गया है इसलिए यहां पर जल्दी न्याय दिया जाता है। सिविल कोर्ट में कोई भी मामला ले जाने पर न्याय शीघ्र नहीं होता है और अनेक कानूनी दांवपेच होते हैं इसलिए यहां पर शिकायत शुल्क रखा गया है।
ग्राहक ऐसी शिकायत शुल्क अदा करके बिल्डर के संबंध में जानकारी जुटाकर उसकी शिकायत रेरा में कर सकता है। रेरा ऐसी शिकायत को शीघ्र से शीघ्र सुनकर उस पर कार्रवाई कर देता है और बिल्डर के अगेंस्ट यदि कोई मामला बनता है तब उसमें आदेश कर देता है। बिल्डर ऐसा आदेश मानने के लिए बाध्य है। रेरा के जिन पदाधिकारियों द्वारा ऐसा आदेश किया जाता है वह जुडिशल होते हैं और उनका कैडर जिला जज के स्तर का होता है इसलिए उनके आदेश को मानने से किसी बिल्डर द्वारा इनकार नहीं किया जा सकता है।
साथ ही इस में अपील की व्यवस्था दी गई है पर इसकी अपील भी रेरा की अपील अथॉरिटी के समक्ष होती है पर ऐसी अपील करते समय बिल्डर को 30% राशि पहले ही भुगतान करनी होती है फिर ही ऐसी अपील को एडमिट किया जाता है।
रेरा में की गई शिकायत का जल्द से जल्द निपटारा हो जाता है इसलिए किसी भी ग्राहक के साथ जब किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी हो और उसके साथ किए गए एग्रीमेंट की शर्तों को बिल्डर नहीं माने तब उसके द्वारा रेरा की वेबसाइट पर ऑनलाइन शिकायत की जानी चाहिए। अगर ऐसी ऑनलाइन शिकायत पर किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं हो रही है तब उसके सभी साक्ष्यों को इकट्ठा करके सिविल कोर्ट में भी एक बात प्रस्तुत किया जा सकता है।
जब सिविल न्यायाधीश को यह बताया जा सकता है कि उसके द्वारा रेरा में कंप्लेंट की गई और एक लंबे समय बाद भी उस पर किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गई बिल्डर ने उसके साथ धोखाधड़ी की है और उससे उच्च क्वालिटी के दाम वसूल किए हैं परंतु उसे दी गई क्वालिटी अत्यंत निम्न स्तर की है।