यदि सरकार अनुबंध की शर्तों को बदल दे तो ठेकेदार को क्या कानूनी सुरक्षा मिलेगी?

Update: 2025-03-25 12:23 GMT
यदि सरकार अनुबंध की शर्तों को बदल दे तो ठेकेदार को क्या कानूनी सुरक्षा मिलेगी?

सुप्रीम कोर्ट ने श्रिपति लखू माने बनाम महाराष्ट्र जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड (2022) के मामले में एक महत्वपूर्ण कानूनी प्रश्न पर विचार किया—क्या किसी ठेकेदार (Contractor) द्वारा काम रोक देना, जब दूसरा पक्ष अपने वादों (Reciprocal Promises) को पूरा नहीं करता, अनुबंध (Contract) का परित्याग (Abandonment) माना जाएगा?

यह मामला भारतीय अनुबंध अधिनियम, 1872 (Indian Contract Act, 1872) से संबंधित था, जिसमें अनुबंध में परिवर्तन (Alteration), उल्लंघन (Breach), और कानूनी उपायों (Legal Remedies) की चर्चा की गई।

विचार किए गए कानूनी प्रावधान (Legal Provisions Considered)

इस निर्णय में मुख्य रूप से भारतीय अनुबंध अधिनियम, 1872 की धारा 67 (Section 67) को ध्यान में रखा गया, जो यह कहती है कि यदि कोई पक्ष (Promisee) वचन निभाने वाले पक्ष (Promisor) को उचित सुविधाएं प्रदान करने में असफल रहता है, तो वचन निभाने वाले पक्ष को प्रदर्शन से छूट मिल सकती है। कोर्ट ने Quantum Meruit के सिद्धांत (Principle) का भी उल्लेख किया, जिसके तहत यदि किसी पक्ष की गलती से अनुबंध समाप्त हो जाता है, तो दूसरा पक्ष किए गए कार्य के लिए उचित भुगतान (Reasonable Remuneration) मांग सकता है।

मुख्य कानूनी प्रश्न (Key Legal Issues)

सुप्रीम कोर्ट ने निम्नलिखित प्रश्नों पर विचार किया:

1. क्या भुगतान न होने और अनुबंध की शर्तों में बदलाव के कारण ठेकेदार द्वारा काम रोकना परित्याग माना जाएगा?

2. क्या हाईकोर्ट (High Court) द्वारा ठेकेदार को दी गई क्षतिपूर्ति (Compensation) को कम करना उचित था?

3. अनुबंध के उल्लंघन (Breach of Contract) और कानूनी उपायों (Legal Remedies) के बीच क्या अंतर है?

अनुबंध के परित्याग (Abandonment of Contract) पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि परित्याग (Abandonment) केवल किसी अधिकार (Right) को छोड़ने के संदर्भ में होता है, न कि किसी दायित्व (Obligation) को छोड़ने के संदर्भ में। यदि कोई पक्ष अनुबंध की शर्तों को बदलता है या अपने वादों को पूरा नहीं करता, तो दूसरा पक्ष अनुबंध को रोक सकता है, लेकिन इसे परित्याग नहीं माना जा सकता।

अदालत ने Halsbury's Laws of England का हवाला देते हुए कहा कि यदि एक पक्ष अपने दायित्व (Obligation) को पूरा करने से इनकार कर देता है, तो दूसरा पक्ष या तो अनुबंध के उल्लंघन (Breach of Contract) के लिए मुकदमा दायर कर सकता है या Quantum Meruit के तहत किए गए कार्य के लिए उचित भुगतान की मांग कर सकता है। इस मामले में, ठेकेदार को उसके किए गए कार्य के लिए भुगतान पाने का पूरा अधिकार था।

अनुबंध कानून के मौलिक मुद्दे (Fundamental Issues in Contract Law)

यह मामला अनुबंध कानून (Contract Law) के कई महत्वपूर्ण सिद्धांतों (Principles) को उजागर करता है:

1. महत्वपूर्ण परिवर्तनों का प्रभाव (Effect of Material Alterations)

o यदि अनुबंध की शर्तों में एकतरफा (Unilateral) बदलाव किया जाता है, तो दूसरा पक्ष उन बदली हुई शर्तों को मानने के लिए बाध्य नहीं होता।

o कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब एक पक्ष अनुबंध की शर्तों को बदल देता है और दूसरा पक्ष काम करने से मना कर देता है, तो यह परित्याग नहीं बल्कि वैध प्रतिक्रिया (Legitimate Response) होती है।

2. पारस्परिक वादों और प्रदर्शन रोकने का अधिकार (Reciprocal Promises and Right to Withhold Performance)

o धारा 67 (Section 67) के अनुसार, यदि एक पक्ष अपने वादे को पूरा नहीं करता, तो दूसरा पक्ष भी अपने प्रदर्शन से मुक्त हो सकता है।

o सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ठेकेदार द्वारा काम न करने का कारण अनुबंध का उल्लंघन था, न कि अनुबंध को छोड़ना।

3. अनुबंध उल्लंघन बनाम परित्याग (Breach vs. Abandonment of Contract)

o सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि परित्याग (Abandonment) और उल्लंघन (Breach) में अंतर होता है। परित्याग का अर्थ है अधिकारों को स्वेच्छा से छोड़ना, जबकि उल्लंघन तब होता है जब एक पक्ष दूसरे पक्ष के उल्लंघन के कारण कार्य करने से इनकार करता है।

o इस मामले में, सरकार अनुबंध समाप्त करने और ठेकेदार से हर्जाने (Damages) की मांग करने के लिए धारा 75 (Section 75) के तहत कदम उठा सकती थी, लेकिन उन्होंने अनुचित रूप से इसे परित्याग कहा।

महत्वपूर्ण पूर्वनिर्णय (Important Precedents)

सुप्रीम कोर्ट ने अपने पहले के निर्णयों का हवाला दिया, जिनमें कहा गया था कि:

• यदि अनुबंध की शर्तों में बदलाव किया जाता है या एक पक्ष अपने दायित्वों को पूरा नहीं करता, तो दूसरा पक्ष प्रदर्शन करने के लिए बाध्य नहीं होता।

• यदि अनुबंध में कोई महत्वपूर्ण परिवर्तन किया जाता है, तो प्रभावित पक्ष को काम रोकने का अधिकार होता है।

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय (Supreme Court's Decision)

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के इस निर्णय को पलट दिया कि ठेकेदार ने अनुबंध छोड़ दिया था। अदालत ने निचली अदालत (Trial Court) का निर्णय बहाल किया और ठेकेदार को उसका पूरा मुआवजा देने का आदेश दिया। इसके अलावा, बैंक गारंटी (Bank Guarantee) को भी समाप्त करने का आदेश दिया गया।

इस मामले से अनुबंध कानून का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत स्पष्ट होता है जब कोई पक्ष अपने दायित्वों को पूरा नहीं करता, तो दूसरा पक्ष अनुबंध से पीछे हट सकता है, और यह परित्याग नहीं माना जाएगा। यह निर्णय अनुबंध प्रदर्शन (Contract Performance) और उसमें हुए परिवर्तनों (Contractual Alterations) से जुड़े मामलों में एक महत्वपूर्ण मिसाल (Precedent) स्थापित करता है।

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