Hindu law किसे कहा जाता है?

Update: 2025-07-11 04:58 GMT

भारत की जनता को उनकी रूढ़ि और प्रथा से जुड़ा हुआ व्यक्तिगत लॉ दिया गया है। भारत के सभी नागरिकों को अपनी धार्मिक तथा जातिगत परंपराओं और रिवाजों को अपने व्यक्तिगत मामलों में कानून का दर्जा दिया गया है। इन परंपराओं और रीति-रिवाजों को अधिनियम के माध्यम से समय-समय पर बल दिया गया है तथा इन प्रथाओं को सहिंताबद्ध किया गया है।

भारत के मुसलमानों को उनकी शरीयत के अधीन विधान दिया गया है जो उनके विवाह, तलाक तथा उत्तराधिकार से संबंधित मामलों को नियंत्रित करता है। इसी प्रकार भारत के हिंदुओं को उनका अपना सहिंताबद्ध विधान उनके व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रित करने के लिए दिया गया है। यह हिंदू विधान हिंदू शास्त्रों और हिंदू उपविधियों के अधीन बनाया गया है।

इस विधान में चार महत्वपूर्ण अधिनियम है जो हिंदुओं के व्यक्तिगत मामले अधिनियमित करते हैं। यह अधिनियम भारत की संसद द्वारा पारित किए गए हैं।

इन अधिनियम में यह ध्यान रखा गया है कि कहीं पर भी यह अधिनियम हिंदू विधि की आस्थाओं पर प्रहार नहीं करें तथा जहां तक हो सके प्राचीन शास्त्रीय हिंदू विधि के अधीन रहते हुए इन अधिनियमों को सहिंताबद्ध करने का प्रयास भारत की संसद द्वारा किया गया है।

विधि समय के अनुसार बदलती रहती है परंतु फिर भी सब विधियों में रूढ़ि और प्रथा (Custom and usage) का स्थान ऊपर होता है। रूढ़ि और प्रथा यदि युक्तियुक्त है एवं अनिश्चितकालीन समय से चली आ रही है तो ऐसी परिस्थिति में रूढ़ि और प्रथाओं को मान्यता दी जाती है।

इस बात में विशेष बल इस पर दिया जाता है कि यह रूढ़ि और प्रथाएं मौजूदा समय में भारत के संविधान के मूल उद्देश्यों के ऊपर नहीं जा रही हो।

यदि कोई रूढ़ि और प्रथा भारत के संविधान को आध्यारोहित (overlap) कर रही है तो ऐसी परिस्थिति में उस रूढ़ि और प्रथा को सहिंताबद्ध (codified) नहीं किया जाता है तथा उन्हें अधिनियम के अंतर्गत मान्यता नहीं दी जाती है।

भारत की संसद द्वारा हिंदू विधि से संबंधित जो 4 विशेष अधिनियम बनाए गए हैं वह निम्न है-

हिंदू विवाह अधिनियम 1955-

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956-

हिंदू अप्राप्तवयता और संरक्षता अधिनियम 1956-

हिंदू दत्तक एवं भरण पोषण अधिनियम 1956-

यह चार अधिनियम हिंदुओं के व्यक्तिगत मामले (स्वीय विधि) जिन्हें अंग्रेजी में पर्सनल लॉ कहा जाता है उन्हें नियंत्रित करते हैं तथा उनसे संबंधित संपूर्ण विधि इस अधिनियम के अंतर्गत समावेश कर दी गई है।

इन अधिनियमों का निर्माण हिंदू विधि के अधीन वेदों, शास्त्रों, उपनिषदों, मनुस्मृति श्रुतियां, स्मृतियां,पुराण, प्राचीनता, निरंतरता, युक्तियुक्तता, मानवता एवं लोकनीति तथा सार्वजनिक प्रयोग के अधीन किया गया है।

हिंदू विवाह अधिनियम विवाह एवं तलाक के संबंध में प्रावधान उपलब्ध करता है। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम किसी भी बगैर वसीयत के मृत होने वाले व्यक्ति की संपत्ति के उत्तराधिकार के संबंध में कानून बताता है। इसी प्रकार एडॉप्शन का एक्ट बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया के संबंध में उल्लेख करता है।

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