Transfer Of Property Act एक विशाल अधिनियम है। जैसा कि कहा जाता है जिस प्रकार आपराधिक विधानों में भारतीय दंड संहिता का महत्व है उसी प्रकार सिविल विधि में संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 का महत्व है जो अनेकों प्रकार के अधिकारों का उल्लेख कर रहा है। संपत्ति अंतरण का एक माध्यम ऐक्सचेंज भी होता है। ऐक्सचेंज के माध्यम से भी संपत्ति का अंतरण किया जा सकता है। संपत्ति अंतरण अधिनियम के अंतर्गत ऐक्सचेंज से संबंधित प्रावधानों को विधायिका ने प्रस्तुत किया है। इस अधिनियम की धारा 118 ऐक्सचेंज की परिभाषा प्रस्तुत करती है।
धारा 118 में उल्लिखित सिद्धान्त चल एवं अचल दोनों ही प्रकार की सम्पत्तियों पर लागू होता है। ऐक्सचेंज दो व्यक्तियों के मध्य सम्पत्ति के स्वामित्व का पारस्परिक हस्तान्तरण है, परन्तु इन दोनों चीजों में से कोई भी केवल धन नहीं है या दोनों चीजें केवल धन हैं, तब यह संव्यवहार ऐक्सचेंज कहा जाता है। जब किसी वस्तु का मूल धन के रूप में अदा किया जाता है तब वह संव्यवहार विक्रय होता है। यदि संव्यवहार का प्रतिफल अंशत: भूमि है तथा अंशतः धन है, या नकद है तो ऐसा संव्यवहार विक्रय न होकर ऐक्सचेंज होगा। एक सम्पत्ति के स्वामित्व का दूसरो सम्पत्ति के स्वामित्व से आदान-प्रदान ऐक्सचेंज है। यदि आदान-प्रदान की वस्तुएँ या चीजें सम्पत्ति हैं, तो उनका स्वरूप क्या है, यह महत्वपूर्ण नहीं होता है।
उदाहरणार्थ एक खेत का ऐक्सचेंज एक मकान से हो सकेगा। एक मोटर कार का ऐक्सचेंज एक भवन या खेत से हो सकेगा। ऐक्सचेंज जैसा कि धारा 118 में परिभाषित है, एक चल सम्पत्ति का दूसरी चल सम्पत्ति से अथवा एक चल सम्पत्ति का अचल सम्पत्ति से बदलना ऐक्सचेंज है।
ऐक्सचेंज की प्रमुख विशेषताएँ पक्षकार
अन्य संव्यवहारों, जैसे विक्रय बन्धक या पट्टा में दो पक्षकारों को आवश्यकता होती है, उसी प्रकार ऐक्सचेंज में भी दो पक्षकारों को आवश्यकता होती है। महत्वपूर्ण यह है कि अन्य संव्यवहारों में पक्षकारों को विशिष्ट नाम दिया गया है जैसे विक्रेता एवं क्रेता, बन्धककर्ता एवं बन्धकदार या पट्टाकर्ता एवं पट्टदार, इस प्रकार का कोई सम्बोधन ऐक्सचेंज के सन्दर्भ में प्रयुक्त नहीं किया गया है यद्यपि इस संव्यवहार को विक्रय के सन्निकट माना जाता है, क्योंकि स्वामित्व का अन्तरण होता है। अन्तर केवल यह है कि स्वामित्व का अन्तरण मूल्य के एवज में न होकर स्वामित्व के अन्तरण के रूप में होता है। पक्षकार संविदा करने के लिए सक्षम हैं या नहीं सम्पत्ति पर उनका अन्तरणीय अधिकार है या नहीं, वस्तु अन्तरणीय है या नहीं, इत्यादि का विनियमन संविदा के सामान्य सिद्धान्तों से विनियमित होता है।
ऐक्सचेंज हेतु दो वस्तुओं की आवश्यकता होती है। ये चल अथवा अचल हो सकेंगी सम्पत्ति का विवरण ऐक्सचेंज के लिए महत्वपूर्ण है। सबसे महत्वपूर्ण तत्व यह है कि वस्तुएँ अन्तरणीय होनी चाहिए। उनके अन्तरण पर किसी प्रकार का प्रतिबन्ध या शर्त न लगी हो। यदि ऐक्सचेंज में दी जाने वालो या तो जाने वाली वस्तु के साथ ही साथ नकद धन का भुगतान हो रहा हो तो यह प्रश्न उठना अवश्यम्भावी है कि नकद का भुगतान किस हेतु किया जा रहा है। यह एक सर्वविदित तथ्य है कि दो असमान वस्तुओं के बीच आदान-प्रदान की प्रक्रिया नहीं हो सकती है। यह तभी सम्भव है जब उनके मूल्य लगभग समान हों। यदि ऐसा नहीं है तो उनके मूल्य को बराबर करने हेतु वस्तुओं के साथ-साथ नकद रकम का भी भुगतान सम्भव है।
उदाहरणार्थ क तथा ख को सम्पत्ति के बीच ऐक्सचेंज होना है। क को सम्पत्ति का मूल्य 20,000 रुपये है तथा ख की सम्पत्ति का मूल्य 10,000 रुपये है ऐसी स्थिति में यह प्रश्न उठना अवश्यम्भावी है कि क्या दोनों के बीच अन्तरण सम्भव है। इसका उत्तर सामान्यतया 'नहीं' ही होगा किन्तु यदि 10,000 रुपये मूल्य को सम्पत्ति का धारक वस्तु जिसका मूल्य अधिक है, को कुछ नकद धनराशि भी अदा करता है तो इससे संव्यवहार को प्रकृति पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि संव्यवहार का प्रमुख प्रतिफल वस्तु है। नकद रकम केवल उस अन्तर को समाप्त करने के लिए दो जाती है जिससे संव्यवहारपूर्ण हो सके। संव्यवहार ऐक्सचेंज होगा। यदि किसी वस्तु के बदले में किसी कम्पनी के शेयर दिये जाते हैं तो यह भी ऐक्सचेंज के दायरे में आयेगा।
स्वामित्व का पारस्परिक अन्तरण ऐक्सचेंज का महत्वपूर्ण तत्व यह है कि एक वस्तु के स्वामित्य से दूसरी वस्तु के स्वामित्व का अन्तरण होता है। यदि स्वामित्व का अन्तरण नहीं हो रहा है तो संव्यवहार ऐक्सचेंज नहीं होगा। यदि स्वामित्व से कम हित का अन्तरण हो रहा है जैसा कि बन्धक या पट्टे के मामले में होता है, तो अन्तरण ऐक्सचेंज के दायरे में नहीं आयेगा। ऐक्सचेंज में यह आवश्यक है कि एक व्यक्ति अपनी सम्पत्ति का स्वामित्व दूसरे व्यक्ति को दे तथा दूसरा व्यक्ति अपनी सम्पत्ति का स्वामित्व पहले वाले व्यक्ति को दे तथा दोनों उसे स्वीकार करें।
ऐक्सचेंज में चूँकि वस्तु के बदले वस्तु दी जाती है जिसे साधारण रूप में वस्तु ऐक्सचेंज कहा जाता है। इस धारा में दो गयो 'विनिमय' की परिभाषा में वस्तु ऐक्सचेंज सम्मिलित है। यदि ऐक्सचेंज में दी जाने वाली दोनों ही वस्तुएँ चल सम्पत्ति की कोटि में आती है तो उनका विनियमन अधिनियम की धारा 120 तथा माल विक्रय अधिनियम, 1930 के प्रावधानों के अनुसार होगा। धारा 120 ऐक्सचेंज के पक्षकारों के अधिकारों एवं दायित्वों के लिए प्रावधान प्रस्तुत करती है।