होम लोन पर घर खरीदने से काफी सारे लीगल बेनिफिट्स हैं। घर या ज़मीन से जुड़े हुए सारे लीगल फायदे घर खरीदने वाले व्यक्ति को मिल जाते हैं। ऐसे मामले में कभी भी घर खरीदने वाले व्यक्ति के साथ चीटिंग जैसी घटना नहीं होती है क्योंकि बैंक ही सारी लीगल फॉरमैलिटी को चैक करता है।
यह हैं बेनिफिट्स-
जमीन या मकान के स्वामित्व का अनुसंधान-
जब भी हम कोई जमीन या मकान खरीदते हैं तब जिस व्यक्ति से मकान यह जमीन खरीदी जा रही है उसके बारे में पूरी जानकारी जुटाई जाती है। एक आम आदमी के लिए ऐसी जानकारी जुटाना बहुत मुश्किल होता है। आए दिन यह देखने को मिलता है कि जमीन और मकान के मामले में लोगो साथ धोखाधड़ी हो जाती है और कई ऐसे लोग जो किसी जमीन और मकान पर अपना हक नहीं रखते हैं उसके बाद भी उसे किसी दूसरे को बेचकर उसके साथ छल करके रुपए वसूल लेते हैं। ऐसे में खरीददार बीच में ही अटक कर रह जाता है और उसका रुपया फंस जाता है।
जब कभी एक बैंक किसी भी व्यक्ति को कर्ज देती है वह कर्ज देकर जमीन या मकान खरीदने के लिए रुपया देती है तब वह उस जमीन या मकान की पूरी जांच करती है। बैंक कोई भी ऐसी जगह कर्ज नहीं देती है जो अवैध हो और जिसके बारे में उसके मालिक के पास कोई भी मालिकाना दस्तावेज नहीं हो या फिर कहीं भी कोई धोखाधड़ी हो। इसके लिए बैंक अपनी एक लीगल पैनल बनाकर रखती है जो किसी भी संपत्ति के दस्तावेजों की जांच करते हैं।
संपत्ति के बारे में टाइटल सर्च रिपोर्ट तैयार करते हैं ऐसी टाइटल सर्च रिपोर्ट किसी भी संपत्ति का एक रिकॉर्ड होती है। बैंक के वकील संपत्ति वर्तमान में किस व्यक्ति के नाम रजिस्टर्ड है इस बात की जानकारी निकालते हैं और साथ ही साथ पूर्व में संपत्ति का इतिहास क्या रहा है उसकी भी समस्त जानकारी निकालते हैं।
पिछले 30 वर्षों का रिकॉर्ड बैंक के वकील निकालकर अपनी टाइटल सर्च रिपोर्ट पर में पेश करते हैं।
अगर पिछले 30 वर्ष के रिकॉर्ड में किसी भी दस्तावेज की कमी होती है उस कमी को उस टाइटल सर्च रिपोर्ट में लिख दिया जाता है। फिर बैंक ऐसे मामले में कर्ज नहीं देती है क्योंकि वह किसी भी धोखाधड़ी से बचना चाहती है और सभी दस्तावेजों का बहुत अच्छे से परिशीलन करती है।
बैंक इस बात पर ध्यान देती है कि वर्तमान में संपत्ति किस व्यक्ति के नाम है और उसके पास संपत्ति किस तरह से आई है और उसके मालिकाना हक के लिए उसके पास क्या दस्तावेज उपलब्ध है। बैंक ऐसे दस्तावेजों की गहनता से जांच करती है। वह जांच करके यह मालूम करती है कि जो दस्तावेज पेश किया जा रहा है वह दस्तावेज कूटरचित तो नहीं है। किसी भी कूटरचित दस्तावेज पर बैंक किसी प्रकार का कर्ज नहीं देती है।
इन सभी बातों से यह साबित होता है कि किसी भी मकान या जमीन के बारे में एक बैंक बहुत अच्छे से अनुसंधान कर सकती है। ऐसे अनुसंधान के बाद किसी संपत्ति को खरीदा जाता है तब व्यक्ति के साथ धोखाधड़ी होने की संभावना बहुत कम हो जाती है। एक आम आदमी इतने अच्छे से अनुसंधान नहीं कर पाता है इसके लिए उसे वकील नियुक्त करना होते हैं और वकीलों को उनकी फीस देना होती है जबकि यहां पर बैंक अनुसंधान का काम अपने स्तर पर करती है तथा एक खरीदार के लिए यह काम निशुल्क हो जाता है। संपत्ति की जांच जिसे खरीदा जाना है सरलतापूर्वक हो जाती है।
आयकर अधिनियम में छूट:-
ऐसे व्यक्ति जो किसी संपत्ति को खरीदते हैं वह कहीं न कहीं अपनी आय पर आयकर भी दे रहे होते हैं। आजकल सभी प्रकार की नौकरियों में अग्रिम आयकर काट लिया जाता है। जिन व्यक्तियों की आय आयकर के दायरे में आती है उन्हें कर अदा करना होता है। जब कभी ऐसा कर अदा किया जाता है तब उसमें से कुछ छूट मिलती है। उन्हें आयकर अधिनियम की धारा 80 सीसी की छूट कहा जाता है। उन छूट में एक पॉइंट होम लोन की किश्त भी है। जो होम लोन की किश्त एक करदाता द्वारा बैंक को जमा की जाती है उसमे आयकर में छूट मिल जाती है। इससे यह होता है कि जो राशि सरकार को कर के लिए दी जा रही थी अब उस राशि को हमने एक संपत्ति में निवेश कर दिया है। यहां पर इस राशि को संपत्ति में निवेश कर देने के परिणामस्वरूप भविष्य में एक अच्छा रिटर्न उस व्यक्ति द्वारा लिया जा सकता है जो आयकर के दायरे में आता है। इसलिए जो लोग आयकर के दायरे में आते हैं उनके द्वारा संपत्ति को कर्ज पर ही खरीदा जाता है।
किराया बंद निवेश चालू:-
जिस व्यक्ति के पास रहने के लिए घर नहीं होता है उसे किराए के घर में रहना होता है। जब भी कभी ऐसा किराए का घर लिया जाता है तब उसके लिए प्रतिमाह किराया अदा करना होता है। होम लोन का कर्ज़ हर माह की किश्त में चुकाया जाता है। इस किश्त को कर्जदार हर माह चुकाता है। किराया भी प्रत्येक माह का मकान मालिक को देना होता है। जब कभी हम ऐसा होम लोन लेते हैं तब किराए की राशि होम लोन की क़िस्त में चली जाती है। किराया देने के बाद वापस नहीं आता है पर होम लोन में जिस राशि को हमने किश्त के रूप में जमा किया है वह एक प्रकार से हमारा निवेश हो जाता है। बैंक ऐसे होम लोन पर कम से कम ब्याज दर लगाती है।
मान लीजिए कि यदि एक होम लोन 20 लाख रुपए का लिया गया है तब ब्याज लगाने के बाद ऐसा होम लोन 35 लाख रुपए का हो जाता है और इस 35 लाख रूपए को 20 वर्ष की अवधि में जमा किया गया। मकान और जमीन की कीमत और दो चार साल में बढ़ती है। जैसे जैसे शहर का घनत्व बढ़ता है वैसे वैसे ही मकान या जमीन की कीमत में बढ़ोतरी होती चली जाती है। जिस दर से हम ब्याज अदा करते हैं उस दर से कहीं गुना अधिक जमीन और मकान की कीमत में बढ़ोतरी होती है। जिस मकान को 20 वर्ष पूर्व 20 लाख रुपए में कर्ज लेकर खरीदा गया था 20 वर्ष बाद ऐसी संपत्ति की कीमत 50 लाख के आसपास हो जाती है जबकि कर्ज़ के रूप में 35 रुपए लाख भरे गए है। अब यहां पर व्यक्ति को सीधे 15 लाख का लाभ होता है और इसी के साथ किराया बंद हो जाता है।
यह कहा जा सकता है कि जब कभी हम होम लोन लेते हैं तब एक प्रकार का निवेश चालू हो जाता है और किराया बंद हो जाता है। कोई भी ऐसा व्यक्ति जिसके पास रहने के लिए घर नहीं है उसके लिए सबसे सर्वोत्तम विकल्प यही है कि वह होम लोन के माध्यम से एक घर खरीद ले जिससे अगले दो दशक तक उसका निवेश सुनिश्चित हो जाए और निवेश भी ऐसी राशि का होता है जिसे कर के रूप में सरकार को दिया जाना था। अनेक निजी क्षेत्र और सरकारी क्षेत्र में नौकरियां करने वाले लोगों के लिए होम लोन एक सर्वोत्तम विकल्प है पर यह आवश्यक नहीं है कि ऐसे होम लोन को केवल नौकरियां करने वाले लोग ही लें अपितु व्यवसाय करने वाले लोग भी होम लोन ले सकते हैं।