किस परिस्थितियों में जेल अधिकारी अदालत के आदेश का पालन करने से बच सकते हैं: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023, धारा 304
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) की धारा 304 उन विशेष परिस्थितियों का उल्लेख करती है जिनमें जेल का प्रभारी अधिकारी (Officer in Charge of Prison) अदालत के धारा 302 के तहत जारी आदेश का पालन करने से बच सकता है। यह प्रावधान व्यावहारिक कठिनाइयों और कानूनी सीमाओं को ध्यान में रखते हुए न्यायिक अधिकार और प्रशासनिक आवश्यकताओं के बीच संतुलन सुनिश्चित करता है।
अदालत के आदेश का पालन न करने के कारण (Grounds for Not Executing Court Orders)
जेल अधिकारी निम्नलिखित परिस्थितियों में अदालत के आदेश का पालन करने से बच सकते हैं:
1. बीमारी या शारीरिक कमजोरी (Sickness or Physical Infirmity)
यदि कैदी बीमारी या शारीरिक कमजोरी के कारण जेल से बाहर ले जाने के लिए अनुपयुक्त है, तो अधिकारी अदालत के आदेश का पालन करने से बच सकता है।
उदाहरण (Example):
मान लीजिए, एक कैदी गंभीर रूप से बीमार है और उसे लगातार चिकित्सा देखभाल (Medical Attention) की आवश्यकता है। यदि अदालत उसके पेश होने का आदेश देती है, तो जेल अधिकारी अदालत को उसकी स्थिति की जानकारी देकर आदेश का पालन करने से बच सकता है।
2. ट्रायल या जांच लंबित होना (Commitment for Trial or Pending Investigation)
यदि कैदी किसी ट्रायल (Trial) के लिए हिरासत में है या उसके खिलाफ चल रही किसी जांच के लिए रिमांड पर है, तो जेल अधिकारी आदेश का पालन करने से बच सकता है।
उदाहरण (Example):
मान लें कि एक कैदी हत्या के मामले में न्यायिक हिरासत (Judicial Custody) में है। यदि किसी अन्य अदालत ने उसे एक छोटे से विवाद में गवाही के लिए बुलाया है, तो जेल अधिकारी अदालत को लंबित ट्रायल की जानकारी देकर आदेश का पालन करने से बच सकता है।
विशेष प्रावधान: यदि गवाही देने का स्थान जेल से 25 किलोमीटर से कम दूरी पर है, तो अधिकारी इस कारण का उपयोग करके आदेश का पालन करने से नहीं बच सकता।
3. हिरासत की अवधि समाप्त होने वाली हो (Insufficient Time Before Custody Expiry)
यदि कैदी की हिरासत की अवधि (Custody Period) आदेश का पालन करने और उसे वापस जेल लाने के लिए आवश्यक समय से पहले समाप्त हो रही है, तो अधिकारी आदेश का पालन करने से बच सकता है।
उदाहरण (Example):
यदि किसी कैदी की रिहाई दो दिनों में होनी है और अदालत का आदेश पूरा करने में पाँच दिन लगेंगे, तो अधिकारी अदालत को इस स्थिति की जानकारी देकर आदेश का पालन नहीं करेगा।
4. धारा 303 के तहत सरकारी आदेश लागू होना (Applicability of Section 303 Orders)
यदि कैदी पर राज्य या केंद्र सरकार द्वारा धारा 303 के तहत कोई आदेश लागू है, जो उसे जेल से बाहर ले जाने पर रोक लगाता है, तो अधिकारी अदालत के आदेश का पालन करने से बच सकता है।
उदाहरण (Example):
मान लें कि एक कैदी को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (National Security Law) के तहत हिरासत में रखा गया है। यदि सरकार ने धारा 303 के तहत आदेश दिया है कि उसे जेल से बाहर न ले जाया जाए, तो जेल अधिकारी अदालत के आदेश का पालन करने से बच सकता है।
अदालत को सूचना देने की बाध्यता (Obligation to Notify the Court)
यदि जेल अधिकारी इन कारणों में से किसी के आधार पर अदालत के आदेश का पालन नहीं करता है, तो उसे अदालत को कारणों का विवरण (Statement of Reasons) भेजना होगा। यह प्रक्रिया पारदर्शिता (Transparency) सुनिश्चित करती है और अदालत को उन व्यावहारिक या कानूनी चुनौतियों की जानकारी देती है जिनके कारण आदेश का पालन नहीं किया जा सकता।
गवाही के लिए 25 किलोमीटर की सीमा (Exception for Evidence within 25 Kilometres)
धारा 304 के प्रावधान में यह भी उल्लेख किया गया है कि यदि गवाही के लिए कैदी की उपस्थिति जेल से 25 किलोमीटर की दूरी पर आवश्यक है, तो अधिकारी ट्रायल लंबित होने के कारण आदेश का पालन करने से मना नहीं कर सकता।
उदाहरण (Example):
मान लीजिए कि एक कैदी किसी ट्रायल के लिए रिमांड पर है और उसे 20 किलोमीटर दूर गवाही देने के लिए बुलाया गया है। ऐसे मामले में, जेल अधिकारी अदालत के आदेश का पालन करने से बच नहीं सकता।
धारा 302 और 303 से संबंध (Relation to Sections 302 and 303)
धारा 304 का संबंध धारा 302 और धारा 303 से है। धारा 302 अदालतों को कैदियों को गवाही, ट्रायल या अन्य कार्यवाही के लिए बुलाने का अधिकार देती है। वहीं, धारा 303 सरकार को विशेष परिस्थितियों में ऐसे आदेशों को रोकने का अधिकार देती है। धारा 304 इन आदेशों को लागू करने में प्रशासनिक या कानूनी अड़चनों के लिए मार्गदर्शन प्रदान करती है।
धारा 304 यह सुनिश्चित करती है कि अदालत के आदेशों का पालन केवल उन्हीं परिस्थितियों में किया जाए, जहां यह व्यावहारिक और कानूनी रूप से संभव हो। यह प्रावधान न्यायिक अधिकारों (Judicial Authority) और प्रशासनिक सीमाओं (Administrative Limitations) के बीच संतुलन बनाए रखता है। इसके साथ ही, अदालत को कारणों की जानकारी देने की बाध्यता यह सुनिश्चित करती है कि प्रक्रिया पारदर्शी और जिम्मेदारीपूर्ण रहे।