जेल में बंद कैदी की जिंदगी को लेकर कई तरह की बातें सुनने को मिलती हैं। या यू कहें किस्से सुनने को मिलते हैं। सजा काट रहे कैदी के लिए जेल में दिन-रात अलग अलग गिने जाने का किस्सा या फिर उम्रकैद की सजा में केवल 14 साल तक की जेल की सजा का किस्सा। जेल में कैदी कैसे रहते हैं? क्या खाते हैं? वीआईपी लोगों को क्या अलग से कोई सुविधा मिलती है? कैदी क्या काम करते हैं? कितने पैसे मिलते हैं? कुल मिलाकर सवाल ये है कि जेल के अंदर कैदियों की जिंदगी कैसी होती है?
हम इन सभी सवालों का जवाब देंगे। लेकिन एक -एक करके। लाइव लॉ आपके लिए जेल और कैदियों पर स्पेशल सीरीज लेकर आया है। हम इसमें जेल से जुड़ी सारी चीजें बताएंगे।
आज के एपिसोड में भारत में कितनी तरह की जेलें हैं, इस पर बात करेंगे। इससे पहले जेल मैनुअल क्या होता है ये समझ लीजिए।
आपको बता दें, जेल स्टेट सब्जेक्ट है इसलिए अलग-अलग राज्यों में जेल के नियम अलग-अलग हैं। राज्यों का अपना जेल मैनुअल होता है। जेल मैनुअल एक रूल बुक है जिसमें जेल में बंद कैदियों के लिए नियम कायदे लिखे होते हैं? जेल प्रशासन इसके हिसाब से ही काम करता है। जेल मैनुअल में कैंदियों के रहने, खाने, काम के बंटे से लेकर फांसी तक के नियम निर्धारित होते हैं।
भारत में कितनी तरह की जेलें हैं? ओपन जेल, अन्य जेलों से कितना अलग है?
भारत में कुल 8 तरह की जेलें हैं। जेल राज्य का विषय है, इसलिए जेलें राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आती हैं। कैदियों की सुरक्षा, रहने की व्यवस्था, मेडिकल सुविधाओं के लिए सरकारें समय-समय पर केंद्र सरकार की मदद लेती रहती हैं।
सेंट्रल जेल
सबसे प्रमुख सेंट्रल जेल होती है। सेंट्रल जेल में उन कैदियों को रखा जाता है, जिन्हें दो साल से अधिक की सजा हुई हो या जिन्होंने किसी घिनौने अपराध को अंजाम दिया हो। यहां बंद कैदी जेल में काम कर पैसे कमा सकते हैं। सेंट्रल जेल में अन्य जेलों की तुलना में कैदियों को रखने के लिए अधिक जगह होती है। मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा 11 सेंट्रल जेले हैं। महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु और पंजाब में 9 सेंट्रल जेलें हैं। इसके बाद दिल्ली और कर्नाटक में 8 हैं। वहीं अरूणाचल प्रदेश और मेघालय जैसे राज्यों में कोई सेंट्रल जेल नहीं है।
डिस्ट्रिक्ट जेल
डिस्ट्रिक्ट जेल यानी जिला जेल। सेंट्रल जेल और जिला जेल में ज्यादा अंतर नहीं होता है। जिला जेल उन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मुख्य जेल के रूप में काम करते हैं जहां सेंट्रल जेल नहीं होती। आकड़ों की बात करें तो उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा जिला जेल हैं।
उप जेल
उप जेल। अंग्रेजी में कहें तो सब जेल। भारत में उप जेल सब डिविजनल स्तर के जेल की भूमिका निभाते हैं। सबसे अधिक उप जेल महाराष्ट्र में हैं। वहीं हरियाणा, मेघालय, मणिपुर जैसे राज्यों में उप जेल नहीं है।
ओपन जेल
इन जेलों में ऐसी व्यवस्था होती है, जहां रहने वाले कैदियों को दिन के समय बाहर काम पर जाने दिया जाता है। और रात होते ही वे सब वापस जेल लौट आते हैं। दरअसल, ये जेल ऐसे होते हैं जिनमें दीवारें, सलाखे और ताले नहीं होते। यहां सुरक्षा व्यवस्था भी कम होती है। इन जेलों में उन कैदियों को रखा जाता है, जिनका व्यवहार अच्छा हो और जो नियमों पर खरा उतरते हैं। अगर सेंट्रल जेल के किसी कैदी का व्यवहार अच्छा होता है, तो उसे ओपन जेल में भेजा जा सकता है। भारत में भारत में ओपन जेल की शुरुआत ब्रिटिश शासनकाल में हुई थी। पहली ओपन जेल वर्ष 1905 के दौरान मुंबई में खोली गई थी। तभी से भारत में इसकी शुरुआत मानी जाती है।
जानिए स्पेशल जेल दूसरे जेलों से कैसे है अलग?
स्पेशल जेल। नाम से ही जाहिर होता है इस तरह की जेलें खतरनाक अपराधियों के लिए बनाए गए हैं। इन जेलों में घुसपैठी और आतंकवादियों को रखा जाता है। इन जेलों में कड़ी सुरक्षा होती है। महाराष्ट्र, केरल जैसे राज्यों में ऐसी जेलें हैं।
बॉस्टर्ल स्कूल
अगर कोई नाबालिग अपराध करता है तो उसे बॉस्टर्ल स्कूल में रखा जाता है। बॉस्टर्ल स्कूल एक प्रकार के यूथ डिटेंशन सेंटर होते हैं। इन स्कूलों में अपराध में शामिल नाबालिगों को रखा जाता है। यहां उनके कल्याण और पुनर्वास आदि पर जोर दिया जाता है। उन्हें जेल के माहौल से दूर रखा जाता है। शिक्षा और वोकेशनल ट्रेनिंग दी जाती है ताकि बाहर जाने के बाद उन्हें रोजगार मिल सके और वे अपराध से दूर रहें। इनका फोकस अपराधों की रोकथाम पर होता है।
हमारे देश में महिला कैदियों के लिए अलग से जेल है। इसे महिला जेल कहा जाता है जो कि नाम से ही जाहिर है। इस जेल की सबसे खास बता ये है कि यहां काम करने वाले सारे स्टॉप महिलाएं होती हैं। इसमें महिला कैदियों के साथ बच्चे भी रह सकते हैं।
हमारे देश में इन जेलों के अलावा अन्य जेलें भी है। भारत में केवल तीन अन्य जेलें हैं। ये कर्नाटक, महाराष्ट्र और केरल में स्थित है। इन तीनों को छोड़कर भारत के किसी भी राज्य में अन्य जेलें नहीं हैं।