गवाहों की गवाही के लिए आयोग किसे भेजा जाए: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 320

Update: 2024-12-26 15:08 GMT

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023), जो 1 जुलाई 2024 को लागू हुई, ने दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (Criminal Procedure Code, 1973) का स्थान लिया। इस नए कानून में गवाहों की गवाही (Testimony) सुनिश्चित करने के लिए कई सुधार किए गए हैं। इसमें धारा 319 और 320 अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

धारा 319 यह प्रावधान करती है कि किन परिस्थितियों में गवाह की भौतिक उपस्थिति (Physical Attendance) को समाप्त कर दिया जाए और उसकी गवाही दर्ज करने के लिए आयोग (Commission) जारी किया जाए। इसी क्रम में, धारा 320 यह स्पष्ट करती है कि ऐसे आयोग को किस अधिकारी या न्यायालय को भेजा जाएगा, यह गवाह की भौगोलिक स्थिति (Geographical Location) पर निर्भर करता है।

धारा 319 की भूमिका: गवाह की उपस्थिति समाप्त करना और आयोग जारी करना

धारा 319 इस आधार पर आयोग जारी करने की अनुमति देती है कि गवाह की उपस्थिति सुनिश्चित करना असंभव, बहुत महंगा, या अत्यधिक असुविधाजनक हो सकता है। अदालत यह सुनिश्चित करती है कि गवाह की गवाही न्याय (Justice) के लिए आवश्यक हो।

इस प्रावधान का उद्देश्य न्यायिक प्रक्रिया को सुविधाजनक और कुशल बनाना है, ताकि न्याय में देरी या बाधा न हो। यह प्रावधान संवैधानिक पदाधिकारियों (Constitutional Dignitaries), जैसे राष्ट्रपति (President), उपराष्ट्रपति (Vice-President), और राज्यपाल (Governor), को भी न्यायिक प्रक्रिया में लाने का तरीका प्रदान करता है।

धारा 320 धारा 319 के इस आधार पर आगे बढ़ती है और गवाह की स्थिति के अनुसार आयोग को संबोधित करने के नियम निर्धारित करती है।

धारा 320 का उद्देश्य और इसके प्रावधान (Purpose and Provisions of Section 320)

धारा 320 यह तय करती है कि गवाह की गवाही के लिए आयोग किसे भेजा जाएगा। यह गवाह की स्थिति के अनुसार तीन प्रकार के मामलों को संबोधित करती है:

(1) जब गवाह संहिता के क्षेत्र में हो (Witness within the Sanhita's Jurisdiction)

यदि गवाह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के क्षेत्र में है, तो धारा 320(1) के अनुसार आयोग उस क्षेत्र के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (Chief Judicial Magistrate, CJM) को भेजा जाएगा, जहां गवाह स्थित है।

उदाहरण के लिए, एक आपराधिक मामला जयपुर, राजस्थान में चल रहा है और गवाह मुंबई, महाराष्ट्र में रहता है। चूंकि दोनों स्थान संहिता के अंतर्गत आते हैं, आयोग मुंबई के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को भेजा जाएगा। मजिस्ट्रेट गवाह की गवाही दर्ज कर अदालत को भेजेगा।

(2) जब गवाह भारत में हो लेकिन संहिता के क्षेत्र से बाहर हो (Witness in India but Outside Sanhita's Jurisdiction)

धारा 320(2) उन मामलों को कवर करती है जहां गवाह भारत में है, लेकिन किसी ऐसे राज्य या क्षेत्र में है जहां संहिता लागू नहीं होती। ऐसे मामलों में आयोग को केंद्रीय सरकार (Central Government) द्वारा अधिसूचना (Notification) के माध्यम से निर्दिष्ट किसी न्यायालय या अधिकारी को भेजा जाएगा।

उदाहरण के लिए, अगर गवाह भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में है, जहां यह संहिता अभी लागू नहीं हुई है, तो आयोग को केंद्रीय सरकार द्वारा नामित अधिकारी या न्यायालय को भेजा जाएगा। यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि संहिता की सीमाओं के बाहर भी न्यायिक प्रक्रिया बाधित न हो।

(3) जब गवाह विदेश में हो (Witness Outside India)

धारा 320(3) उन स्थितियों को संभालती है, जहां गवाह किसी विदेशी देश में है। यदि केंद्रीय सरकार ने उस देश के साथ आपराधिक मामलों में गवाहों की गवाही दर्ज करने के लिए व्यवस्था की है, तो आयोग को उस देश के निर्दिष्ट न्यायालय या अधिकारी को भेजा जाएगा। यह आयोग केंद्रीय सरकार द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार भेजा और प्राप्त किया जाएगा।

उदाहरण के लिए, यदि गवाह लंदन, यूनाइटेड किंगडम में रहता है और उसके बयान की आवश्यकता है, तो भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच न्यायिक सहयोग समझौते (Judicial Cooperation Agreement) के तहत आयोग को वहां के नामित अधिकारी को भेजा जाएगा। गवाह की गवाही उस देश के कानूनों के तहत दर्ज कर भारतीय अदालत को वापस भेजी जाएगी।

व्यावहारिक उदाहरण (Practical Examples)

धारा 320 के व्यावहारिक महत्व को समझने के लिए कुछ उदाहरण दिए गए हैं:

1. घरेलू मामला (Domestic Case)

दिल्ली की एक अदालत में चल रहे मामले में एक गवाह चेन्नई में रहता है। अदालत चेन्नई के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को आयोग भेजकर गवाह की गवाही दर्ज कराती है। यह प्रक्रिया न केवल समय बचाती है बल्कि गवाह को अनावश्यक यात्रा से भी बचाती है।

2. संहिता के क्षेत्र से बाहर गवाह (Witness Outside the Sanhita's Territory)

एक गवाह किसी ऐसे क्षेत्र में रहता है जहां यह संहिता लागू नहीं होती, जैसे भारत के दूरदराज के हिस्से। आयोग को केंद्रीय सरकार द्वारा नामित अधिकारी को भेजा जाता है, जो गवाह की गवाही को रिकॉर्ड करता है।

3. अंतरराष्ट्रीय मामला (International Case)

वित्तीय धोखाधड़ी के एक मामले में, एक गवाह दुबई, संयुक्त अरब अमीरात में है। भारत और यूएई के बीच न्यायिक सहयोग की व्यवस्था के तहत आयोग यूएई के अधिकारी को भेजा जाता है, जो गवाह की गवाही दर्ज कर भारतीय अदालत को भेजता है।

केंद्रीय सरकार की भूमिका (Role of the Central Government)

धारा 320 के सफल कार्यान्वयन में केंद्रीय सरकार की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह सरकार:

1. उन क्षेत्रों में अधिकारी या न्यायालयों को नामित करती है जहां संहिता लागू नहीं होती।

2. अंतरराष्ट्रीय सहयोग (International Cooperation) के लिए विदेशी सरकारों के साथ समझौते करती है।

3. आयोग भेजने और प्राप्त करने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित (Streamlined) करती है।

धारा 320 का महत्व (Significance of Section 320)

धारा 320 न्यायिक प्रक्रिया को कुशल और सुलभ बनाने का एक सशक्त माध्यम है। यह सुनिश्चित करती है कि गवाह की स्थिति के बावजूद उसकी गवाही रिकॉर्ड की जा सके। यह धारा न केवल न्याय के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करती है कि कोई भी तकनीकी बाधा न्यायिक प्रक्रिया में देरी का कारण न बने।

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 320 न्यायिक प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण सुधार है। यह सुनिश्चित करती है कि गवाहों की गवाही प्राप्त करने में स्थान और क्षेत्र की सीमाएं बाधा न बनें।

चाहे गवाह देश के भीतर हों या विदेश में, धारा 320 एक सुव्यवस्थित और न्यायपूर्ण तंत्र प्रदान करती है। यह प्रावधान न्याय तक सभी की समान पहुंच सुनिश्चित करता है और न्यायिक प्रक्रिया को अधिक प्रभावी और निष्पक्ष बनाता है।

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