SC/ST Act के अंतर्गत पैरवी के लिए Special Public Prosecutor

Update: 2025-05-11 11:06 GMT

किसी भी आपराधिक प्रकरण में पीड़ित के न्याय हेतु लोक अभियोजक जिसे सामान्य भाषा में सरकारी वकील कहा जाता है की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यही वह व्यक्ति होता है जो सरकार की ओर से किसी प्रकरण में दोषियों को दंडित करवाने हेतु अपराध को साबित करता है। एक लोक अभियोजक पीड़ित के न्याय के लिए कार्य करता है। पीड़ित को न्याय दिया जाना राज्य की जिम्मेदारी होती है तथा इस उद्देश्य से ही राज्य द्वारा लोक अभियोजक की व्यवस्था की गई है।

अनेक मामलों में हम यह देखते हैं कि लोक अभियोजकों पर अदालतों में मुकदमों की अधिकता के कारण कार्य भार अधिक होता है।

इस कार्य के कारण लोक अभियोजक ठीक से कार्य भी नहीं कर पाते हैं तथा न्याय में देरी होती है। इस अधिनियम के अंतर्गत विशेष कोर्ट की स्थापना करने का उद्देश्य यही है कि अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के सदस्यों को शीघ्र न्याय उपलब्ध कराया जा सके तथा उनके लिए एक विशेष न्यायाधीश को बैठाया जा सके। उस विशेष न्यायाधीश की अदालत में Special Public Prosecutor की नियुक्ति की व्यवस्था धारा 15 के अंतर्गत की गई है।

Special Public Prosecutor और अनन्य लोक अभियोजक-

राज्य सरकार, प्रत्येक विशेष कोर्ट के लिए राजपत्र में अधिसूचना द्वारा एक लोक अभियोजक विनिर्दिष्ट करेगी या किसी ऐसे एडवोकेट को, जिसने कम-से-कम सात वर्ष तक एडवोकेट के रूप में विधि-व्यवसाय किया हो, उस कोर्ट में मामलों के संचालन के प्रयोजन के लिए Special Public Prosecutor के रूप में नियुक्ति करेगी।

राज्य सरकार, प्रत्येक अनन्य विशेष कोर्ट के लिए राजपत्र में अधिसूचना द्वारा अनन्य लोक अभियोजक को विनिर्दिष्ट करेगी या किसी ऐसे एडवोकेट को, जिसने कम-से-कम सात वर्ष तक एडवोकेट के रूप में विधि-व्यवसाय किया हो, उस कोर्ट में मामलों के संचालन के प्रयोजन के लिए अनन्य लोक अभियोजक के रूप में नियुक्त करेगी।

जैसा कि इस धारा के अध्ययन से यह ज्ञान होता है कि इस धारा की उपधारा 1 किसी एक विशेष कोर्ट के लिए एक लोक अभियोजक की व्यवस्था करने पर निर्देश देती है अर्थात एक विशेष कोर्ट एक से अधिक जिलों के लिए हो सकता है तथा हाईकोर्ट में एक Special Public Prosecutor होगा। एक Special Public Prosecutor अनेक विशेष कोर्ट के लिए नहीं हो सकता अपितु उसे केवल एक ही कोर्ट में कार्य करना होगा जहां उसे नियुक्त किया जाता है।

इस धारा का दूसरा महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि कोई भी ऐसे व्यक्ति को जिसे Special Public Prosecutor नियुक्त किया गया है उसे कम से कम 7 वर्ष का विधि व्यवसाय का अनुभव होना चाहिए अर्थात उसे 7 वर्ष तक वकील के रूप में अदालतों में कार्य करने का अनुभव होना चाहिए। यह अनुभव इसीलिए निरूपित किया गया है क्योंकि जितना अधिक अनुभवी व्यक्ति अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के न्याय हेतु कार्य करेगा उतना ही उनके हित में श्रेष्ठ होगा।

एक लोक अभियोजक कोर्ट में मामले का संचालन करता है इसीलिए एक लोक अभियोजक को अनुभवी होना भी आवश्यक होता है। कोई भी नया व्यक्ति पारंपरिक रूप से कार्य करने में सक्षम नहीं होता। अनुभवी लोक अभियोजक होने से पीड़ितों को न्याय मिलने की संभावना भी अधिक होती है वह प्रकरण को ठीक से साबित भी कर पाने में सक्षम होते हैं।

किसी मामले या मामले के समूह के लिए Special Public Prosecutor को नियुक्ति भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के अधीन राज्य सरकार द्वारा की जाती है। किसी व्यक्ति को Special Public Prosecutor के रूप में नियुक्त करना सरकार का प्रसाद है। ऐसे मामलों में प्रसाद का सिद्धान्त लागू होगा। Special Public Prosecutor के रूप में किसी व्यक्ति की नियुक्ति को इस आधार पर प्रश्नगत नहीं किया जा सकता है अथवा चुनौती नहीं दी जा सकती है कि कलेक्टर का आदेश राज्य सरकार द्वारा जारी की गयी अधिसूचना को निर्दिष्ट नहीं करता है।

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