समरी ट्रायल के प्रावधानों का सरल विश्लेषण : धारा 283, भारतीय नगरिक सुरक्षा संहिता, 2023

Update: 2024-11-28 15:14 GMT

भारतीय नगरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bhartiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023), जिसे 1 जुलाई 2024 से लागू किया गया, ने पुराने दंड प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code) को प्रतिस्थापित कर दिया है। इसके अध्याय XXII में समरी ट्रायल (Summary Trials) की प्रक्रिया पर चर्चा की गई है।

समरी ट्रायल एक ऐसा त्वरित प्रक्रिया (Fast-track Procedure) है जिसका उद्देश्य छोटे अपराधों (Minor Offenses) के मामलों को शीघ्रता से सुलझाना है। इससे न्यायपालिका पर अनावश्यक बोझ नहीं पड़ता और मामूली अपराधों को जल्दी निपटाने का अवसर मिलता है।

इस लेख में, हम धारा 283 के विभिन्न प्रावधानों को सरल हिंदी में समझाएंगे। इससे पहले, Live Law के पिछले लेखों में, हमने सत्र न्यायालय (Sessions Court), वारंट ट्रायल (Warrant Trial), और समन ट्रायल (Summons Trial) के प्रावधानों पर चर्चा की थी।

समरी ट्रायल कौन कर सकता है? (Who Can Conduct Summary Trials?)

धारा 283(1) के तहत, दो प्रकार के मजिस्ट्रेट (Magistrates) को समरी ट्रायल करने का अधिकार दिया गया है:

1. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (Chief Judicial Magistrate)।

2. प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट (Magistrate of the First Class)।

ये मजिस्ट्रेट उन अपराधों को संभाल सकते हैं जो इस धारा के तहत निर्दिष्ट हैं। इस प्रक्रिया का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि छोटे अपराधों के मामलों का शीघ्र निपटारा हो।

समरी ट्रायल के तहत आने वाले अपराध (Offenses Triable in a Summary Way)

1. चोरी (Theft) [धारा 283(1)(b)(i)]

अगर चोरी की संपत्ति का मूल्य ₹20,000 से अधिक नहीं है, तो इस अपराध को समरी ट्रायल के तहत निपटाया जा सकता है।

उदाहरण (Example): अगर कोई व्यक्ति ₹15,000 मूल्य का मोबाइल फोन चुराता है, तो यह मामला प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा समरी ट्रायल प्रक्रिया के तहत निपटाया जा सकता है।

2. चोरी की संपत्ति को प्राप्त करना या रखना (Receiving or Retaining Stolen Property) [धारा 283(1)(b)(ii)]

अगर चोरी की संपत्ति का मूल्य ₹20,000 तक है, तो इस अपराध को समरी ट्रायल में निपटाया जा सकता है।

उदाहरण (Example): एक दुकानदार जानबूझकर ₹10,000 मूल्य की चोरी की गई वस्तुएं खरीदता है। यह मामला शीघ्रता से निपटाया जा सकता है।

3. चोरी की संपत्ति को छुपाने या बेचने में सहायता (Assisting in Concealment or Disposal of Stolen Property) [धारा 283(1)(b)(iii)]

अगर छुपाई या बेची गई चोरी की संपत्ति का मूल्य ₹20,000 से अधिक नहीं है, तो यह अपराध समरी ट्रायल के तहत आता है।

उदाहरण (Example): एक ड्राइवर चोरी हुए लैपटॉप को छुपाने में मदद करता है, जिसकी कीमत ₹18,000 है। यह मामला संक्षिप्त प्रक्रिया से निपट सकता है।

4. सार्वजनिक सेवक को रोकने के लिए नुकसान पहुंचाना (Harm to Public Servants) [धारा 283(1)(b)(iv)]

धारा 331 के उप-धारा (Sub-sections) (2) और (3) के अंतर्गत आने वाले अपराध, जो किसी सार्वजनिक सेवक (Public Servant) को उसके कर्तव्यों से रोकने के लिए किए जाते हैं, समरी ट्रायल में आते हैं।

उदाहरण (Example): कोई व्यक्ति एक नगर निगम के कर्मचारी को उसकी ड्यूटी के दौरान मामूली चोट पहुंचाता है। यह मामला समरी ट्रायल प्रक्रिया में निपटाया जा सकता है।

5. शांति भंग के इरादे से अपमान और धमकी (Insult and Criminal Intimidation) [धारा 283(1)(b)(v)]

अगर कोई व्यक्ति शांति भंग (Breach of Peace) करने के इरादे से किसी का अपमान करता है या धमकी देता है, और यह धारा 352 या धारा 351 की उप-धाराओं (Sub-sections) (2) और (3) के तहत आता है, तो इसे समरी ट्रायल में लिया जा सकता है।

उदाहरण (Example): दो व्यक्तियों के बीच बहस के दौरान, एक व्यक्ति दूसरे को नुकसान पहुंचाने की धमकी देता है। अगर मामला गंभीर नहीं है, तो इसे जल्दी निपटाया जा सकता है।

6. उपरोक्त अपराधों का दुष्प्रेरण या प्रयास (Abetment or Attempt of Offenses) [धारा 283(1)(b)(vi)-(vii)]

अगर कोई व्यक्ति इन अपराधों का दुष्प्रेरण (Abetment) करता है या प्रयास (Attempt) करता है, तो यह भी समरी ट्रायल के दायरे में आता है।

उदाहरण (Example): अगर कोई व्यक्ति ₹12,000 की संपत्ति चोरी करने की योजना बनाता है, लेकिन असफल रहता है, तो यह मामला समरी ट्रायल के तहत निपटाया जा सकता है।

7. मवेशी-अनधिकार अधिनियम (Cattle-Trespass Act) के तहत अपराध [धारा 283(1)(b)(viii)]

1871 के मवेशी-अनधिकार अधिनियम (Cattle-Trespass Act) की धारा 20 के तहत दर्ज शिकायतों को भी समरी ट्रायल के तहत निपटाया जा सकता है।

उदाहरण (Example): एक किसान अपनी फसल को नुकसान पहुंचाने वाले आवारा मवेशियों के खिलाफ शिकायत दर्ज करता है। इस तरह के मामलों को मजिस्ट्रेट जल्दी सुलझा सकते हैं।

मजिस्ट्रेट का विवेकाधिकार (Discretion of Magistrate) [धारा 283(2)]

धारा 283(2) मजिस्ट्रेट को यह अधिकार देता है कि वह किसी भी ऐसे अपराध को समरी ट्रायल में सुन सके, जिसकी सजा तीन साल से अधिक न हो, और जो आजीवन कारावास (Life Imprisonment) या मृत्युदंड (Death Penalty) का कारण न बने। लेकिन, मजिस्ट्रेट को इस फैसले के लिए आरोपी को सुनने का अवसर देना होगा और कारण लिखित में दर्ज करना होगा।

उदाहरण (Example): अगर कोई व्यक्ति ₹25,000 के छोटे धोखाधड़ी (Fraud) के मामले में फंसता है, तो मजिस्ट्रेट इसे समरी ट्रायल प्रक्रिया में ले सकता है।

सामान्य प्रक्रिया पर लौटने का प्रावधान (Reverting to Regular Trial) [धारा 283(3)]

अगर सुनवाई के दौरान मजिस्ट्रेट को लगे कि मामला इतना जटिल है कि इसे समरी ट्रायल प्रक्रिया में निपटाना उचित नहीं है, तो वह सामान्य प्रक्रिया (Regular Procedure) में लौट सकता है। इसके लिए पहले से पूछे गए गवाहों (Witnesses) को फिर से बुलाकर मामला फिर से सुना जाएगा।

उदाहरण (Example): अगर एक चोरी का मामला साधारण लगता है, लेकिन सुनवाई के दौरान एक बड़ी साजिश का पता चलता है, तो मजिस्ट्रेट इसे सामान्य प्रक्रिया में भेज सकता है।

समरी ट्रायल के लाभ (Advantages of Summary Trials)

समरी ट्रायल प्रक्रिया न्यायिक प्रणाली (Judicial System) के लिए अत्यंत उपयोगी है। यह:

• लंबित मामलों (Backlog) को कम करता है।

• छोटे अपराधों के मामलों का शीघ्र निपटान सुनिश्चित करता है।

• गंभीर मामलों के लिए न्यायालय के संसाधनों (Resources) को बचाता है।

धारा 283, भारतीय नगरिक सुरक्षा संहिता, 2023 का हिस्सा, न्यायिक प्रणाली में छोटे अपराधों के लिए त्वरित समाधान प्रदान करता है। मजिस्ट्रेट को समरी ट्रायल प्रक्रिया का अधिकार देकर यह सुनिश्चित किया गया है कि मामूली मामलों में न्याय में अनावश्यक देरी न हो। साथ ही, यह प्रावधान यह भी सुनिश्चित करता है कि किसी भी जटिल मामले को आवश्यकतानुसार सामान्य प्रक्रिया में सुना जाए, ताकि न्याय (Justice) का पालन हो सके।

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