पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 90, 91: सरकारी दस्तावेजों की छूट और निरीक्षण
आइए पंजीकरण अधिनियम, 1908 (Registration Act, 1908) के अंतिम भाग को समझते हैं, जो कुछ विशेष सरकारी दस्तावेजों को पंजीकरण की आवश्यकता से छूट देता है और उनके निरीक्षण की प्रक्रिया को निर्धारित करता है। यह धाराएं पंजीकरण प्रणाली के दायरे और सीमाओं को परिभाषित करती हैं।
90. सरकार द्वारा या उसके पक्ष में निष्पादित कुछ दस्तावेजों की छूट (Exemption of certain documents executed by or in favour of Government)
यह धारा उन विशिष्ट दस्तावेजों या नक्शों को सूचीबद्ध करती है जिन्हें पंजीकरण की आवश्यकता नहीं होती। इसका कारण यह है कि ये दस्तावेज पहले से ही सरकारी रिकॉर्ड का हिस्सा होते हैं, और उन्हें फिर से पंजीकृत करने से अनावश्यक प्रशासनिक कार्यभार बढ़ेगा।
उपधारा (1) के अनुसार, इस अधिनियम या किसी भी पिछले पंजीकरण अधिनियम में निहित कुछ भी, निम्नलिखित दस्तावेजों या नक्शों के पंजीकरण की आवश्यकता नहीं मानेगा, न तो वर्तमान में और न ही कभी अतीत में:
• (a) वे दस्तावेज जो भूमि-राजस्व (land-revenue) के बंदोबस्त या संशोधन के कार्य में लगे किसी अधिकारी द्वारा जारी, प्राप्त या सत्यापित किए गए हैं, और जो ऐसे बंदोबस्त के रिकॉर्ड का हिस्सा हैं।
• (b) वे दस्तावेज और नक्शे जो सरकार की ओर से किसी भी भूमि के सर्वेक्षण या संशोधन के कार्य में लगे किसी अधिकारी द्वारा जारी, प्राप्त या प्रमाणित किए गए हैं, और जो ऐसे सर्वेक्षण के रिकॉर्ड का हिस्सा हैं।
• (c) वे दस्तावेज जो किसी भी कानून के तहत, पटवारियों (patwaris) या ग्राम रिकॉर्ड तैयार करने वाले अन्य अधिकारियों द्वारा समय-समय पर किसी भी राजस्व कार्यालय में दायर किए जाते हैं।
• (d) सनदें (sanads), इनाम (inam), हक के दस्तावेज (title-deeds) और अन्य दस्तावेज जो सरकार द्वारा भूमि या भूमि में किसी भी हित के अनुदान या समनुदेशन का साक्ष्य हैं।
• (e) बॉम्बे लैंड-रेवेन्यू कोड, 1879 की धारा 74 या धारा 76 के तहत दिए गए नोटिस या धारकों द्वारा कब्जे या हस्तांतरित भूमि का परित्याग।
उपधारा (2) एक महत्वपूर्ण कानूनी प्रभाव स्थापित करती है। यह कहती है कि धारा 48 और 49 (sections 48 and 49) के उद्देश्यों के लिए, ऐसे सभी दस्तावेजों और नक्शों को इस अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार पंजीकृत माना जाएगा (deemed to have been and to be registered)। इसका मतलब है कि भले ही वे भौतिक रूप से पंजीकृत न हों, कानूनी रूप से उन्हें उसी तरह की प्राथमिकता और वैधता प्राप्त है जैसे कि एक पंजीकृत दस्तावेज को मिलती है।
• उदाहरण: सरकार ने किसी व्यक्ति को एक सनद जारी की जिसमें उसे एक विशेष भूमि का अनुदान दिया गया। इस सनद को पंजीकरण कार्यालय में पंजीकृत करने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, यदि उस व्यक्ति और किसी तीसरे पक्ष के बीच उस भूमि के संबंध में कोई विवाद होता है, तो कानूनी रूप से उस सनद को एक पंजीकृत दस्तावेज माना जाएगा और उसे धारा 48 के तहत मौखिक समझौतों पर प्राथमिकता मिलेगी।
91. ऐसे दस्तावेजों का निरीक्षण और प्रतियाँ (Inspection and copies of such documents)
यह धारा उन दस्तावेजों तक पहुंच को नियंत्रित करती है जिन्हें पंजीकरण से छूट दी गई है।
उपधारा (1) के अनुसार, धारा 90 के खंड (a), (b), (c) और (e) में उल्लिखित सभी दस्तावेज और नक्शे, और खंड (d) में उल्लिखित दस्तावेजों के सभी रजिस्टर, उन्हें निरीक्षण करने के लिए आवेदन करने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए खुले होंगे, बशर्ते कि इसके लिए राज्य सरकार द्वारा निर्धारित नियमों और शुल्कों का पालन किया जाए। इसके अलावा, ऐसे दस्तावेजों की प्रतियाँ भी उन सभी व्यक्तियों को दी जाएंगी जो ऐसी प्रतियों के लिए आवेदन करते हैं।
• उदाहरण: यदि आप किसी गांव में किसी विशेष भूमि का सरकारी सर्वेक्षण रिकॉर्ड देखना चाहते हैं, तो आप राज्य सरकार द्वारा निर्धारित शुल्क का भुगतान करके राजस्व कार्यालय में उसका निरीक्षण कर सकते हैं और उसकी प्रति भी प्राप्त कर सकते हैं।
उपधारा (2) में कहा गया है कि इस उप-धारा के तहत निर्धारित या धारा 69 (section 69) के तहत बनाए गए हर नियम को, बनाए जाने के तुरंत बाद, राज्य विधानमंडल के समक्ष रखा जाएगा। यह विधायी निरीक्षण सुनिश्चित करता है।
पंजीकरण अधिनियम, 1908 के प्रावधानों का अंत
ये धाराएँ पंजीकरण अधिनियम, 1908 के सभी प्रावधानों को समाप्त करती हैं। यह अधिनियम एक व्यापक और सुव्यवस्थित कानूनी ढाँचा प्रदान करता है जो भारत में संपत्ति लेनदेन और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेजों को पंजीकृत करने की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है। इसने संपत्ति के अधिकारों की कानूनी निश्चितता, सार्वजनिक रिकॉर्ड की विश्वसनीयता और नागरिकों के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।