भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 9-11: भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के पदाधिकारियों का चयन, कार्यकाल और पद से हटाना
हमने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) की स्थापना, उसकी संरचना, और अध्यक्ष (Chairperson) व सदस्यों (Members) के कार्यकाल के बारे में जाना। लेकिन इन महत्वपूर्ण पदों पर बैठे लोगों का चयन कैसे होता है? यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि ये पद ऐसे व्यक्तियों को दिए जाएं जो योग्य, निष्पक्ष और जानकार हों। भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 9 (Section 9) इसी प्रक्रिया को परिभाषित करती है, जिसे चयन समिति (Selection Committee) कहते हैं।
धारा 9: चयन समिति (Selection Committee)
धारा 9(1) में यह बताया गया है कि CCI के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी, लेकिन यह नियुक्ति एक चयन समिति द्वारा अनुशंसित (recommended) नामों के पैनल (panel) में से की जाएगी। इसका मतलब है कि केंद्र सरकार सीधे किसी व्यक्ति को नियुक्त नहीं कर सकती, बल्कि उसे पहले चयन समिति द्वारा सुझाए गए नामों पर विचार करना होगा।
चयन समिति में ये सदस्य शामिल होते हैं:
• भारत के मुख्य न्यायाधीश या उनके नामित व्यक्ति: यह समिति के अध्यक्ष (Chairperson) होते हैं।
• कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के सचिव: यह समिति के सदस्य (Member) होते हैं।
• कानून और न्याय मंत्रालय के सचिव: यह भी समिति के सदस्य (Member) होते हैं।
• दो प्रतिष्ठित विशेषज्ञ: ये दो ऐसे विशेषज्ञ होते हैं जिनके पास अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, अर्थशास्त्र, व्यवसाय, वाणिज्य, कानून, वित्त, लेखा, प्रबंधन, उद्योग, सार्वजनिक मामलों या Competition संबंधी मामलों (जिसमें Competition कानून और नीति शामिल है) में विशेष ज्ञान और पेशेवर अनुभव हो।
चयन समिति का गठन यह सुनिश्चित करता है कि CCI में नियुक्तियाँ निष्पक्ष और योग्य व्यक्तियों की हों। इसमें न्यायिक, कानूनी और प्रशासनिक विशेषज्ञता का मिश्रण होता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि नामों का पैनल पूरी तरह से जांचा-परखा हो।
धारा 9(2) के अनुसार, चयन समिति का कार्यकाल और नामों के पैनल का चयन करने का तरीका, जैसा कि निर्धारित किया जा सकता है, वैसा ही होगा। यह सरकार को समय-समय पर चयन प्रक्रिया को अनुकूलित करने का लचीलापन देता है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह हमेशा प्रासंगिक और कुशल बनी रहे।
CCI के सदस्यों की स्वतंत्रता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करना
चयन समिति की भूमिका CCI के कामकाज के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करती है कि CCI एक स्वतंत्र और विश्वसनीय संस्था के रूप में कार्य करे:
• राजनीतिक प्रभाव से बचाव: चयन समिति में भारत के मुख्य न्यायाधीश या उनके नामित व्यक्ति की उपस्थिति, नियुक्तियों को किसी भी राजनीतिक प्रभाव से बचाती है। यह CCI की निष्पक्षता में जनता का विश्वास बनाए रखने में मदद करता है।
• विशेषज्ञता सुनिश्चित करना: समिति में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल होते हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि चुने गए व्यक्ति Competition से संबंधित जटिल मामलों को समझने और उन पर निर्णय लेने के लिए आवश्यक ज्ञान और अनुभव रखते हों।
• पारदर्शिता और जवाबदेही: नामों के पैनल को केंद्र सरकार को सौंपने की प्रक्रिया में एक स्तर की पारदर्शिता होती है, और यह नियुक्ति प्रक्रिया को अधिक जवाबदेह बनाती है।
भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम: CCI के अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल, इस्तीफ़ा और पद से हटाना (Term, Resignation and Removal of CCI Chairperson and Members)
हमने पिछले खंड में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (Competition Commission of India - CCI) की स्थापना और संरचना के बारे में जाना। अब हम इस बात पर ध्यान देंगे कि CCI के अध्यक्ष (Chairperson) और सदस्यों (Members) का कार्यकाल (term of office) कितना होता है और उन्हें किन परिस्थितियों में अपने पद से हटना पड़ सकता है। भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 10 (Section 10) और धारा 11 (Section 11) इन महत्वपूर्ण पहलुओं को विस्तार से बताती हैं।
धारा 10: कार्यकाल (Term of Office)
धारा 10(1) CCI के अध्यक्ष और सदस्यों के कार्यकाल को परिभाषित करती है। इसमें कहा गया है कि अध्यक्ष और प्रत्येक अन्य सदस्य अपने पद पर आने की तारीख से पाँच साल की अवधि के लिए पद धारण करेंगे और वे पुनर्नियुक्ति (re-appointment) के पात्र होंगे। यह प्रावधान एक निश्चित अवधि के लिए स्थिरता सुनिश्चित करता है और साथ ही अच्छे प्रदर्शन के लिए पुनर्नियुक्ति का अवसर भी देता है।
एक महत्वपूर्ण शर्त भी है: अध्यक्ष या अन्य सदस्य 65 साल की उम्र पूरी करने के बाद अपने पद पर नहीं रह सकते। यह सेवानिवृत्ति की एक ऊपरी सीमा निर्धारित करता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि आयोग में नेतृत्व समय-समय पर बदलता रहे।
धारा 10(2) बताती है कि अगर अध्यक्ष या किसी सदस्य का पद इस्तीफा, हटाए जाने, मृत्यु या किसी अन्य कारण से खाली हो जाता है, तो उस पद को धारा 9 के प्रावधानों के अनुसार एक नए व्यक्ति की नियुक्ति करके भरा जाएगा। यह सुनिश्चित करता है कि आयोग का काम बिना रुकावट के चलता रहे।
धारा 10(3) के अनुसार, अध्यक्ष और प्रत्येक अन्य सदस्य को पद संभालने से पहले एक शपथ (oath) लेनी होगी। यह शपथ पद और गोपनीयता दोनों की होगी, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि वे अपने कर्तव्यों का निष्पक्ष और गोपनीय तरीके से निर्वहन करें।
धारा 10(4) और 10(5) अध्यक्ष के पद के खाली होने या उनके काम करने में असमर्थ होने की स्थिति से निपटती हैं। अगर अध्यक्ष का पद उनकी मृत्यु, इस्तीफा या किसी अन्य कारण से खाली हो जाता है, तो सबसे वरिष्ठ सदस्य तब तक अध्यक्ष के रूप में कार्य करेगा जब तक कि इस अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार नया अध्यक्ष नियुक्त नहीं हो जाता।
इसी तरह, अगर अध्यक्ष अनुपस्थिति, बीमारी या किसी अन्य कारण से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में असमर्थ हैं, तो सबसे वरिष्ठ सदस्य तब तक उनके कर्तव्यों का निर्वहन करेगा जब तक कि अध्यक्ष फिर से कार्यभार नहीं संभाल लेते। यह प्रावधान नेतृत्व में एक seamless transition (निर्बाध बदलाव) सुनिश्चित करता है।
धारा 11: इस्तीफा, पद से हटाना और निलंबन (Resignation, Removal and Suspension)
धारा 11(1) में इस्तीफा देने की प्रक्रिया बताई गई है। अध्यक्ष या कोई अन्य सदस्य केंद्रीय सरकार को संबोधित करते हुए, अपने हाथ से लिखित नोटिस देकर अपना पद छोड़ सकते हैं। हालाँकि, एक शर्त है: जब तक केंद्र सरकार उन्हें जल्दी पद छोड़ने की अनुमति नहीं देती, तब तक उन्हें तीन महीने तक या जब तक उनका उत्तराधिकारी पद पर नहीं आ जाता, या उनके कार्यकाल की समाप्ति तक, जो भी सबसे पहले हो, पद पर बने रहना होगा। यह प्रावधान अचानक इस्तीफे से होने वाली प्रशासनिक बाधाओं को रोकता है।
धारा 11(2) उन आधारों को सूचीबद्ध करती है जिन पर केंद्र सरकार अध्यक्ष या किसी सदस्य को उनके पद से हटा सकती है। इनमें शामिल हैं:
• अगर उन्हें कभी दिवालिया (insolvent) घोषित किया गया हो;
• अगर उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान किसी भी सवेतन रोजगार (paid employment) में लगे रहे हों;
• अगर उन्हें ऐसे अपराध के लिए दोषी ठहराया गया हो जिसमें केंद्र सरकार की राय में नैतिक अधमता (moral turpitude) शामिल हो;
• अगर उन्होंने ऐसा वित्तीय या अन्य हित (financial or other interest) अर्जित कर लिया हो जो सदस्य के रूप में उनके कार्यों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करने की संभावना रखता हो;
• अगर उन्होंने अपनी स्थिति का इस तरह से दुरुपयोग किया हो कि उनका पद पर बने रहना सार्वजनिक हित (public interest) के लिए हानिकारक हो; या
• अगर वे शारीरिक या मानसिक रूप से सदस्य के रूप में कार्य करने में असमर्थ हो गए हों।
धारा 11(3) एक बहुत ही महत्वपूर्ण सुरक्षा उपाय (safeguard) है। यह सुनिश्चित करता है कि अध्यक्ष या किसी सदस्य को उनके पद से केवल वित्तीय हित (धारा 11(2)(d)) या पद के दुरुपयोग (धारा 11(2)(e)) के आधार पर तब तक नहीं हटाया जा सकता जब तक कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच करके यह रिपोर्ट न दे दी हो कि उन्हें इन आधारों पर पद से हटाया जाना चाहिए। इसका मतलब है कि इन दो गंभीर आरोपों के लिए, अंतिम निर्णय सुप्रीम कोर्ट द्वारा ही लिया जाएगा, न कि सीधे सरकार द्वारा। यह CCI के सदस्यों की स्वतंत्रता की रक्षा करता है और उन्हें राजनीतिक दबाव से बचाता है।
भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 10 और 11 CCI के अध्यक्ष और सदस्यों के लिए एक स्पष्ट और निष्पक्ष ढाँचा प्रदान करती हैं। कार्यकाल की अवधि और पुनर्नियुक्ति का प्रावधान स्थिरता और जवाबदेही सुनिश्चित करता है, जबकि इस्तीफा और हटाने के प्रावधान पारदर्शिता और integrity (ईमानदारी) बनाए रखते हैं। विशेष रूप से, पद के दुरुपयोग जैसे आरोपों के लिए सुप्रीम कोर्ट की भूमिका, CCI को एक स्वतंत्र और निष्पक्ष नियामक संस्था के रूप में कार्य करने की अनुमति देती है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था में Competition को बनाए रखने के अपने महत्वपूर्ण कार्य को प्रभावी ढंग से कर सकती है।