भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 50-52 : वित्त, लेखा और लेखा-परीक्षा

Update: 2025-08-22 12:32 GMT

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) को अपने कार्यों को प्रभावी ढंग से करने के लिए एक मजबूत वित्तीय ढांचे की आवश्यकता होती है। अध्याय VIII (Chapter VIII) CCI के वित्त, लेखा-परीक्षा (audit) और अनुदान (grants) से संबंधित प्रावधानों को विस्तृत करता है। यह अध्याय सुनिश्चित करता है कि आयोग को पर्याप्त धन मिले, वह उसका उचित प्रबंधन करे, और उसके खातों की नियमित और पारदर्शी लेखा-परीक्षा हो। यह CCI को एक वित्तीय रूप से स्वतंत्र और जवाबदेह संस्था बनाता है।

धारा 50: केंद्र सरकार द्वारा अनुदान (Grants by Central Government)

यह धारा CCI के वित्तीय पोषण (financial sustenance) का मुख्य स्रोत निर्धारित करती है।

• प्रावधान:

धारा 50 के अनुसार, केंद्र सरकार, संसद द्वारा कानून बनाकर उचित विनियोग (appropriation) करने के बाद, आयोग को ऐसे धन का अनुदान दे सकती है, जिसे सरकार इस अधिनियम के उद्देश्यों के लिए उपयोग करने के लिए उपयुक्त समझे।

• इसका महत्व:

यह प्रावधान CCI को एक स्वतंत्र नियामक निकाय के रूप में कार्य करने में सक्षम बनाता है। चूंकि CCI सीधे सरकार से अनुदान प्राप्त करता है, इसलिए उसे अन्य स्रोतों पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं होती, जिससे उसकी स्वायत्तता (autonomy) बनी रहती है। यह भी सुनिश्चित करता है कि CCI को उसके कार्यों के लिए पर्याप्त संसाधन मिलें।

धारा 51: प्रतिस्पर्धा कोष का गठन (Constitution of Competition Fund)

धारा 51 एक समर्पित कोष (dedicated fund) के गठन का प्रावधान करती है, जिसे "प्रतिस्पर्धा कोष" (Competition Fund) कहा जाता है। यह कोष CCI के सभी वित्तीय लेनदेन के लिए एक केंद्रीय भंडार के रूप में कार्य करता है।

1. कोष में जमा होने वाली राशि (Amounts Credited to the Fund)

धारा 51(1) उन सभी स्रोतों को सूचीबद्ध करती है जिनसे इस कोष में धन जमा किया जाएगा:

• आयोग को प्राप्त सभी सरकारी अनुदान (Government grants)।

• इस अधिनियम के तहत प्राप्त फीस (fees)।

• उपर्युक्त राशियों पर अर्जित ब्याज (interest)।

• नोट: Competition (Amendment) Act, 2007 के तहत एक खंड (clause) को हटा दिया गया था, जो अन्य स्रोतों को संदर्भित करता था।

2. कोष का उपयोग (Application of the Fund)

धारा 51(2) यह बताती है कि कोष का उपयोग किन उद्देश्यों के लिए किया जाएगा:

• अध्यक्ष, सदस्यों, महानिदेशक और आयोग के अन्य कर्मचारियों के वेतन (salaries) और भत्ते (allowances) का भुगतान करना।

• आयोग के कार्यों के निर्वहन और इस अधिनियम के उद्देश्यों के लिए आयोग के अन्य व्यय (other expenses) को पूरा करना।

3. कोष का प्रशासन (Administration of the Fund)

धारा 51(3) और 51(4) कोष के प्रशासन के लिए एक समिति के गठन का प्रावधान करती हैं।

• अध्यक्ष द्वारा निर्धारित सदस्यों की एक समिति इस कोष का प्रशासन करेगी।

• यह समिति सुनिश्चित करेगी कि कोष से धन केवल उन्हीं उद्देश्यों के लिए खर्च किया जाए जिनके लिए इसका गठन किया गया है।

धारा 52: लेखा और लेखा-परीक्षा (Accounts and Audit)

धारा 52 CCI के वित्तीय खातों में पारदर्शिता और जवाबदेही (accountability) सुनिश्चित करने के लिए एक कठोर लेखा-परीक्षा (audit) प्रक्रिया स्थापित करती है।

1. खातों का रखरखाव (Maintenance of Accounts)

धारा 52(1) के अनुसार, CCI को उचित खाते और अन्य प्रासंगिक रिकॉर्ड बनाए रखने होंगे। इसे भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor-General of India - CAG) के परामर्श से केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित प्रारूप (form) में एक वार्षिक लेखा विवरण (annual statement of accounts) तैयार करना होगा।

2. CAG द्वारा लेखा-परीक्षा (Audit by CAG)

धारा 52(2) लेखा-परीक्षा की प्रक्रिया को स्पष्ट करती है:

• कौन करेगा लेखा-परीक्षा: आयोग के खातों की लेखा-परीक्षा भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) द्वारा की जाएगी।

• लेखा-परीक्षा की लागत: लेखा-परीक्षा के संबंध में किए गए किसी भी खर्च का भुगतान आयोग द्वारा CAG को किया जाएगा।

3. लेखा-परीक्षा का दायरा (Scope of Audit)

• व्याख्या (Explanation): यह एक महत्वपूर्ण प्रावधान है जो स्पष्ट करता है कि CCI के आदेश, जिन पर अपीलीय न्यायाधिकरण (Appellate Tribunal) या सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) में अपील की जा सकती है, इस धारा के तहत लेखा-परीक्षा के अधीन नहीं होंगे। इसका मतलब है कि CAG आयोग के न्यायिक (judicial) निर्णयों की नहीं, बल्कि केवल उसके वित्तीय और प्रशासनिक लेनदेन की जांच करेगा।

• अधिकार और विशेषाधिकार (Powers and Privileges): धारा 52(3) में कहा गया है कि CAG और उसके द्वारा नियुक्त किसी भी व्यक्ति के पास सरकारी खातों की लेखा-परीक्षा के संबंध में CAG के पास सामान्यतः जो अधिकार और विशेषाधिकार होते हैं, वही अधिकार और विशेषाधिकार होंगे। इसमें खातों, वाउचर और अन्य दस्तावेजों की मांग करने और आयोग के किसी भी कार्यालय का निरीक्षण करने का अधिकार शामिल है।

4. वार्षिक रिपोर्ट (Annual Report)

धारा 52(4) के अनुसार, CCI के खाते, जैसा कि CAG द्वारा प्रमाणित (certified) किए गए हैं, लेखा-परीक्षा रिपोर्ट के साथ केंद्र सरकार को प्रतिवर्ष भेजे जाएंगे। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे रिपोर्ट संसद के दोनों सदनों में प्रस्तुत की जाएँ।

• इसका महत्व: यह अंतिम चरण सुनिश्चित करता है कि CCI के वित्तीय कामकाज की संसदीय निगरानी (parliamentary oversight) हो, जिससे आयोग की जवाबदेही और transparency सुनिश्चित होती है।

भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम का अध्याय VIII CCI के वित्तीय प्रबंधन के लिए एक मजबूत और पारदर्शी ढाँचा प्रदान करता है। धारा 50 CCI की वित्तीय स्वतंत्रता के लिए एक आधार प्रदान करती है, जबकि धारा 51 एक समर्पित कोष का गठन करके उसके वित्तीय लेनदेन को व्यवस्थित करती है। सबसे महत्वपूर्ण, धारा 52 CCI के खातों की CAG द्वारा एक कठोर और स्वतंत्र लेखा-परीक्षा सुनिश्चित करती है।

यह व्यवस्था CCI को अपने कार्यों के लिए पर्याप्त संसाधन रखने, उनका प्रभावी ढंग से प्रबंधन करने और उच्चतम स्तर की वित्तीय जवाबदेही बनाए रखने में सक्षम बनाती है, जिससे यह एक विश्वसनीय और कुशल नियामक निकाय बन जाता है।

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