वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981 का अध्याय VI की धारा 37-39: दंड और प्रक्रिया

Update: 2025-08-13 11:53 GMT

वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981 का अध्याय VI उन व्यक्तियों के लिए कड़े दंड (penalties) और कानूनी प्रक्रियाओं (legal procedures) का प्रावधान करता है जो अधिनियम के नियमों का पालन करने में विफल रहते हैं या जानबूझकर उसमें बाधा डालते हैं। यह अध्याय अधिनियम के प्रवर्तन (enforcement) का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो नियमों का उल्लंघन करने वाले लोगों को जवाबदेह ठहराने के लिए कानूनी अधिकार प्रदान करता है।

धारा 37 - धारा 21 या 22 का पालन करने में विफलता या धारा 31A के तहत जारी निर्देशों का पालन न करना (Failure to comply with the provisions of section 21 or section 22 or with the directions issued under section 31A)

यह धारा विशेष रूप से अधिनियम के कुछ सबसे महत्वपूर्ण प्रावधानों के उल्लंघन से संबंधित है और इसके लिए गंभीर दंड निर्धारित करती है।

• उल्लंघन: यदि कोई व्यक्ति धारा 21 (सहमति के बिना औद्योगिक संयंत्र स्थापित करना या चलाना), धारा 22 (निर्धारित मानकों से अधिक वायु प्रदूषकों का उत्सर्जन करना) या धारा 31A (बोर्ड द्वारा जारी किए गए निर्देशों का पालन करने में विफलता) का पालन करने में विफल रहता है, तो उसे दंडित किया जाएगा।

• दंड:

o पहला उल्लंघन: उप-धारा (1) के अनुसार, ऐसे प्रत्येक उल्लंघन के लिए, कम से कम एक वर्ष और छह महीने का कारावास (imprisonment), जिसे छह साल तक बढ़ाया जा सकता है, और जुर्माना (fine) लगाया जाएगा।

o निरंतर विफलता: यदि उल्लंघन जारी रहता है, तो पहले दंड के बाद की अवधि के लिए, हर दिन के लिए पांच हजार रुपए तक का अतिरिक्त जुर्माना लगाया जा सकता है।

o एक साल बाद भी विफलता: उप-धारा (2) के अनुसार, यदि उल्लंघन सजा की तारीख के बाद भी एक साल से अधिक समय तक जारी रहता है, तो अपराधी को कम से कम दो साल का कारावास, जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है, और जुर्माना भी लगाया जाएगा।

उदाहरण:

एक औद्योगिक इकाई (industrial unit) बिना SPCB की सहमति के एक वायु प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्र में चल रही है। SPCB धारा 31A के तहत एक निर्देश जारी करता है कि इकाई को तुरंत बंद कर दिया जाए, लेकिन इकाई का मालिक इसका पालन करने से इनकार कर देता है। इस स्थिति में, मालिक पर धारा 37 के तहत मुकदमा चलाया जाएगा और उसे गंभीर कारावास और जुर्माना हो सकता है। यदि वह सजा के बाद भी इकाई चलाना जारी रखता है, तो उसे प्रतिदिन के हिसाब से अतिरिक्त जुर्माना और यहां तक कि अधिक गंभीर कारावास भी हो सकता है।

धारा 38 - कुछ विशिष्ट कृत्यों के लिए दंड (Penalties for certain acts)

यह धारा उन विशिष्ट कृत्यों के लिए दंड का प्रावधान करती है जो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कार्यों में बाधा डालते हैं या अधिनियम के तहत अनिवार्य जानकारी देने से मना करते हैं। इन कृत्यों को अपराध माना जाता है, हालांकि वे धारा 37 के तहत आने वाले गंभीर उल्लंघनों से कम गंभीर होते हैं।

• उल्लंघन:

o (a) बोर्ड द्वारा लगाए गए किसी भी स्तंभ, खंभे या नोटिस को जानबूझकर नष्ट करना या हटाना।

o (b) बोर्ड के आदेशों के तहत काम कर रहे किसी व्यक्ति को उसके कर्तव्यों का पालन करने से बाधित करना।

o (c) बोर्ड की किसी भी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना।

o (d) बोर्ड या उसके किसी अधिकारी को अधिनियम के तहत आवश्यक जानकारी देने में विफल रहना।

o (e) धारा 23 के तहत किसी दुर्घटना या अतिरिक्त उत्सर्जन की आशंका की सूचना देने में विफल रहना।

o (f) अधिनियम के तहत आवश्यक जानकारी देते समय किसी भी महत्वपूर्ण बिंदु के बारे में गलत बयान देना।

o (g) धारा 21 के तहत सहमति प्राप्त करने के लिए किसी भी महत्वपूर्ण बिंदु के बारे में गलत बयान देना।

• दंड: इन अपराधों के लिए, अपराधी को तीन महीने तक का कारावास या दस हजार रुपए तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।

उदाहरण:

एक SPCB अधिकारी एक फैक्ट्री का निरीक्षण करने के लिए आता है, लेकिन फैक्ट्री का मालिक उसे जानबूझकर परिसर में प्रवेश करने से रोकता है (धारा 38(b))। एक अन्य उदाहरण में, एक फैक्ट्री में एक दुर्घटना होती है जिसके कारण निर्धारित मानकों से अधिक मात्रा में वायु प्रदूषक उत्सर्जित होते हैं, लेकिन फैक्ट्री का प्रबंधक धारा 23 के तहत इसकी सूचना SPCB को नहीं देता है (धारा 38(e))। इन दोनों ही मामलों में, व्यक्ति पर धारा 38 के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है।

धारा 39 - अधिनियम के कुछ प्रावधानों के उल्लंघन के लिए दंड (Penalty for contravention of certain provisions of the Act)

यह धारा एक सामान्य दंड प्रावधान (general penalty clause) के रूप में कार्य करती है।

• उल्लंघन: यदि कोई व्यक्ति अधिनियम के किसी भी प्रावधान या उसके तहत जारी किए गए किसी भी आदेश या निर्देश का उल्लंघन करता है, जिसके लिए अधिनियम में कहीं और कोई विशेष दंड निर्धारित नहीं है, तो उसे इस धारा के तहत दंडित किया जाएगा।

• दंड:

o पहला उल्लंघन: तीन महीने तक का कारावास या दस हजार रुपए तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।

o निरंतर उल्लंघन: यदि उल्लंघन जारी रहता है, तो पहले दंड के बाद की अवधि के लिए, हर दिन के लिए पांच हजार रुपए तक का अतिरिक्त जुर्माना लगाया जा सकता है।

उदाहरण:

S P C B एक नए नियम के तहत सभी उद्योगों को एक निश्चित प्रकार का रिकॉर्ड बनाए रखने का निर्देश देता है। यदि कोई उद्योग इस निर्देश का पालन करने में विफल रहता है, और इस उल्लंघन के लिए अधिनियम में कोई अन्य विशिष्ट दंड नहीं है, तो मालिक को धारा 39 के तहत दंडित किया जाएगा। यह धारा सुनिश्चित करती है कि अधिनियम के किसी भी हिस्से का उल्लंघन बिना दंड के न रहे।

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