जल अधिनियम 1974 की धारा 34 से 38 : प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों की निरीक्षणीय शक्तियों तथा अनुपालन सुनिश्चित करने की प्रक्रिया

Update: 2025-09-03 13:24 GMT

धारा 34 : केंद्र सरकार का अंशदान (Contributions by Central Government)

धारा 34 के अंतर्गत यह व्यवस्था की गई है कि केंद्र सरकार प्रत्येक वित्तीय वर्ष (Financial Year) में केंद्रीय बोर्ड को अंशदान (Contribution) दे सकती है। यह अंशदान तभी दिया जा सकता है जब संसद (Parliament) द्वारा विधि (Law) के माध्यम से उपयुक्त विनियोजन (Appropriation) किया गया हो। इसका उद्देश्य यह है कि केंद्रीय बोर्ड (Central Board) को इस अधिनियम (Act) के अंतर्गत अपने कार्यों को पूरा करने के लिए आवश्यक वित्तीय सहायता (Financial Assistance) उपलब्ध हो सके।

इस प्रावधान का मूल भाव यह है कि प्रदूषण नियंत्रण जैसे गंभीर विषय में केंद्रीय स्तर पर वित्तीय सहयोग सुनिश्चित किया जाए, ताकि बोर्ड अपने प्रशासनिक और तकनीकी कार्य प्रभावी रूप से कर सके।

धारा 35 : राज्य सरकार का अंशदान (Contributions by State Government)

धारा 35 राज्य सरकार से संबंधित है। इसमें प्रावधान है कि राज्य सरकार प्रत्येक वित्तीय वर्ष में राज्य बोर्ड (State Board) को अंशदान दे सकती है। यह अंशदान भी उसी प्रकार विधायिका (Legislature of the State) द्वारा विधि के तहत किए गए उपयुक्त विनियोजन के बाद ही संभव है।

इस व्यवस्था का उद्देश्य राज्य स्तर पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को वित्तीय रूप से सुदृढ़ (Financially Strong) बनाना है ताकि वह अपने कार्यों का निर्वहन सुचारू रूप से कर सके।

धारा 36 : केंद्रीय बोर्ड की निधि (Fund of Central Board)

धारा 36 यह सुनिश्चित करती है कि केंद्रीय बोर्ड की अपनी अलग निधि (Fund) हो। इस निधि में वे सभी धनराशियाँ जमा होंगी जो समय-समय पर केंद्र सरकार द्वारा दी जाएँगी। इसके अतिरिक्त, केंद्रीय बोर्ड को प्राप्त अन्य सभी राशि — चाहे वे उपहार (Gifts), अनुदान (Grants), दान (Donations), परोपकार राशि (Benefactions), शुल्क (Fees) या किसी अन्य माध्यम से प्राप्त हों — सभी इसी निधि में सम्मिलित की जाएँगी।

इस निधि से बोर्ड अपने सभी भुगतान करेगा और अपनी गतिविधियों पर व्यय करेगा। साथ ही, यदि किसी अन्य प्रचलित कानून (Law in Force) में यह प्रावधान है कि केंद्रीय बोर्ड को वायु प्रदूषण (Air Pollution) की रोकथाम या नियंत्रण से संबंधित कोई कार्य करना है, तो उसके लिए होने वाला व्यय भी इसी निधि से किया जाएगा।

धारा 37 : राज्य बोर्ड की निधि (Fund of State Board)

धारा 37 केंद्रीय बोर्ड के प्रावधान की ही तरह राज्य बोर्ड के लिए निधि की व्यवस्था करती है। इसमें कहा गया है कि राज्य बोर्ड की अपनी निधि होगी, जिसमें राज्य सरकार द्वारा दी जाने वाली धनराशि और अन्य स्रोतों से प्राप्त राशि — जैसे उपहार, अनुदान, दान, परोपकार राशि और शुल्क — जमा होंगी।

राज्य बोर्ड अपने कार्यों के निर्वहन हेतु इसी निधि से व्यय करेगा। यदि वायु प्रदूषण नियंत्रण से संबंधित किसी अन्य कानून के अंतर्गत राज्य बोर्ड को कुछ कार्य करना आवश्यक हो, तो उसके लिए भी व्यय इसी निधि से किया जाएगा।

धारा 37A : बोर्ड की ऋण लेने की शक्ति (Borrowing Powers of Board)

धारा 37A बोर्ड को एक विशेष वित्तीय अधिकार प्रदान करती है। इसमें कहा गया है कि बोर्ड, केंद्रीय सरकार या राज्य सरकार की सहमति (Consent) अथवा उनके द्वारा दी गई किसी सामान्य अथवा विशेष अनुमति (General or Special Authority) के अनुसार, विभिन्न स्रोतों से धन उधार (Borrow Money) ले सकता है। यह ऋण वह कर्ज़ (Loans), बांड (Bonds), डिबेंचर (Debentures) या अन्य वित्तीय साधनों (Financial Instruments) के माध्यम से ले सकता है।

यह व्यवस्था बोर्ड को अतिरिक्त वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराने के लिए है ताकि वह अपने कार्यों को समय पर और प्रभावी ढंग से पूरा कर सके।

धारा 38 : बजट (Budget)

धारा 38 बजट तैयार करने की प्रक्रिया से संबंधित है। इसमें कहा गया है कि केंद्रीय बोर्ड अथवा राज्य बोर्ड, प्रत्येक वित्तीय वर्ष में अगले वित्तीय वर्ष के लिए अनुमानित आय (Estimated Receipt) और व्यय (Expenditure) का बजट तैयार करेगा।

यह बजट निर्धारित प्रारूप (Prescribed Form) और निर्धारित समय (Prescribed Time) के भीतर तैयार किया जाना आवश्यक है। तैयार बजट की प्रतियाँ केंद्रीय बोर्ड के मामले में केंद्र सरकार को और राज्य बोर्ड के मामले में राज्य सरकार को भेजी जाएँगी।

इस प्रावधान का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बोर्ड की वित्तीय गतिविधियाँ पारदर्शी (Transparent), योजनाबद्ध (Planned) और सरकार के प्रति उत्तरदायी (Accountable) रहें।

अध्याय VI के अंतर्गत धाराएँ 34 से 38 बोर्डों की वित्तीय संरचना (Financial Structure) को स्पष्ट करती हैं।

• धारा 34 और 35 केंद्र एवं राज्य सरकारों के अंशदान से संबंधित हैं।

• धारा 36 और 37 क्रमशः केंद्रीय बोर्ड और राज्य बोर्ड की निधि की व्यवस्था करती हैं।

• धारा 37A बोर्ड को आवश्यकतानुसार ऋण लेने का अधिकार देती है।

• धारा 38 बजट तैयार करने की जिम्मेदारी निर्धारित करती है।

इन प्रावधानों का सम्मिलित उद्देश्य यह है कि बोर्डों को पर्याप्त वित्तीय संसाधन मिलें और वे प्रदूषण नियंत्रण के अपने कार्य सुचारू, प्रभावी और योजनाबद्ध तरीके से पूरा कर सकें।

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