जल अधिनियम 1974 की धारा 29 से 31 : पुनरीक्षण, कार्य निष्पादन का अधिकार और सूचना देने का दायित्व

Update: 2025-09-01 11:11 GMT

धारा 29 : पुनरीक्षण का प्रावधान (Provision of Revision)

धारा 29 में राज्य सरकार को यह अधिकार दिया गया है कि वह किसी भी समय, चाहे स्वयं (Suo Motu) या किसी व्यक्ति के आवेदन पर, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (State Board) द्वारा धारा 25, 26 या 27 के अंतर्गत पारित किसी भी आदेश (Order) की वैधता (Legality) और उपयुक्तता (Propriety) की जाँच कर सके।

राज्य सरकार यदि यह पाती है कि आदेश में कोई त्रुटि है या सुधार की आवश्यकता है तो वह उसके संबंध में उपयुक्त आदेश पारित कर सकती है। हालाँकि, यह भी अनिवार्य शर्त रखी गई है कि राज्य सरकार कोई भी आदेश तब तक पारित नहीं करेगी जब तक राज्य बोर्ड और उस व्यक्ति, जिस पर उस आदेश का प्रभाव पड़ेगा, को सुनवाई (Opportunity of Being Heard) का उचित अवसर न दिया जाए।

इसके अतिरिक्त, यह स्पष्ट किया गया है कि यदि किसी आदेश के विरुद्ध अपील (Appeal) का अधिकार उपलब्ध है और या तो अपील दाखिल नहीं की गई है अथवा अपील लंबित (Pending) है, तो उस स्थिति में राज्य सरकार पुनरीक्षण (Revision) नहीं कर सकती। इसका उद्देश्य यह है कि अपील और पुनरीक्षण की कार्यवाही में टकराव (Conflict) न हो और एक ही आदेश पर दो अलग-अलग प्रक्रियाएँ समानांतर न चलें।

धारा 30 : राज्य बोर्ड को कार्य निष्पादन का अधिकार (Power of State Board to Carry out Certain Works)

इस धारा के अनुसार जब किसी व्यक्ति को धारा 25 या धारा 26 के अंतर्गत सहमति (Consent) दी जाती है और उस सहमति के साथ कुछ शर्तें (Conditions) लगाई जाती हैं, तो यह उस व्यक्ति का दायित्व बनता है कि वह समय पर उन शर्तों से संबंधित आवश्यक कार्य (Work) पूरा करे।

यदि वह व्यक्ति निर्धारित समय सीमा में कार्य नहीं करता, तो राज्य बोर्ड उसे एक नोटिस (Notice) जारी करेगा। इस नोटिस में उसे कम से कम तीस दिन का समय दिया जाएगा, जिसमें उसे आवश्यक कार्य करना होगा।

लेकिन यदि नोटिस मिलने के बाद भी वह व्यक्ति कार्य पूरा नहीं करता, तो समयसीमा समाप्त होने के बाद राज्य बोर्ड स्वयं वह कार्य कर सकता है या किसी अन्य एजेंसी से करवा सकता है।

राज्य बोर्ड द्वारा किए गए इस कार्य पर होने वाला पूरा व्यय (Expenses), साथ ही उस पर लगने वाला ब्याज (Interest), संबंधित व्यक्ति से वसूला जाएगा। यह वसूली भूमि राजस्व (Land Revenue) या लोक मांग (Public Demand) की तरह की जाएगी। इसका अर्थ यह है कि यदि कोई व्यक्ति अपने दायित्व से बचना चाहता है तो राज्य बोर्ड को यह अधिकार है कि वह उसके स्थान पर कार्य करवाकर उसकी लागत और ब्याज कानूनी रूप से उससे वसूल ले।

धारा 31 : सूचना देने का दायित्व (Furnishing of Information to State Board and Other Agencies)

इस धारा में उन परिस्थितियों को संबोधित किया गया है जहाँ किसी दुर्घटना (Accident) या अप्रत्याशित घटना (Unforeseen Event) के कारण किसी स्थान पर उद्योग, प्रक्रिया या निपटान प्रणाली से अचानक जहरीले (Poisonous), हानिकारक (Noxious) या प्रदूषणकारी (Polluting) पदार्थ का निकास (Discharge) हो जाए, या होने की संभावना हो।

यदि ऐसा निकास किसी धारा (Stream), कुएँ (Well), नाले (Sewer) या भूमि (Land) को प्रदूषित कर देता है, या प्रदूषित करने की आशंका उत्पन्न करता है, तो उस स्थान का प्रभारी व्यक्ति (Person in Charge) तुरंत राज्य बोर्ड और अन्य संबंधित प्राधिकरणों (Authorities or Agencies) को इसकी सूचना देगा।

इस धारा का दूसरा उपबंध (Sub-section) यह स्पष्ट करता है कि यदि कोई स्थानीय निकाय (Local Authority) सीवरेज प्रणाली (Sewerage System) या सीवेज वर्क्स (Sewage Works) संचालित करता है और वहाँ भी किसी प्रकार का जहरीला, हानिकारक या प्रदूषणकारी पदार्थ निकासित होता है, तो स्थानीय निकाय पर भी वैसा ही दायित्व होगा जैसा किसी उद्योग संचालक पर होता है। अर्थात स्थानीय प्राधिकरण भी राज्य बोर्ड और अन्य एजेंसियों को तत्काल सूचना देने के लिए बाध्य रहेगा।

धारा 29, 30 और 31 सामूहिक रूप से एक संतुलित और सुदृढ़ प्रशासनिक ढाँचा तैयार करती हैं।

• धारा 29 राज्य सरकार को यह शक्ति देती है कि वह राज्य बोर्ड के आदेशों की वैधता और औचित्य की समीक्षा करे, परंतु यह शक्ति अपील की प्रक्रिया से टकराए नहीं।

• धारा 30 यह सुनिश्चित करती है कि यदि कोई व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी पूरी करने में असफल होता है तो राज्य बोर्ड स्वयं कार्य कर सके और उसका खर्च उस व्यक्ति से वसूल सके।

• धारा 31 दुर्घटनाओं और अप्रत्याशित परिस्थितियों में सूचना देने की अनिवार्यता को रेखांकित करती है, जिससे तत्काल कार्यवाही कर प्रदूषण को रोका जा सके।

इन धाराओं का मुख्य उद्देश्य है— प्रदूषण नियंत्रण प्रणाली को प्रभावी बनाना, जिम्मेदारियों को स्पष्ट करना और आकस्मिक स्थितियों में भी पर्यावरण की रक्षा करना।

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