वायु अधिनियम की धाराएं 27 से 31A: नमूनों की जांच, अपील और बोर्ड की शक्तियां

Update: 2025-08-09 13:15 GMT

धारा 27 – नमूनों की जाँच की रिपोर्ट (Reports of the Result of Analysis on Samples)

जब राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (State Pollution Control Board) धारा 26 के तहत किसी स्थान से वायु या उत्सर्जन (Emission) का नमूना लेता है, तो वह नमूना बोर्ड द्वारा स्थापित या मान्यता प्राप्त (Recognised) प्रयोगशाला (Laboratory) में भेजा जाता है। वहाँ नियुक्त बोर्ड विश्लेषक (Board Analyst) उस नमूने की जाँच करता है और निर्धारित प्रारूप (Prescribed Form) में तीन प्रतियों (Triplicate) में रिपोर्ट तैयार करता है।

रिपोर्ट मिलने के बाद बोर्ड:

• एक प्रति उस उद्योग या संस्थान के अधिभोगी (Occupier) या उसके प्रतिनिधि (Agent) को भेजता है।

• दूसरी प्रति अदालत में संभावित कार्रवाई (Legal Proceedings) के लिए सुरक्षित रखी जाती है।

• तीसरी प्रति बोर्ड के रिकॉर्ड में रखी जाती है।

अगर नमूना धारा 26(3) या 26(4) के तहत किसी अन्य प्रयोगशाला में भेजा गया है, तो वहाँ का सरकारी विश्लेषक (Government Analyst) भी इसी तरह तीन प्रतियों में रिपोर्ट बनाकर बोर्ड को देगा, और बोर्ड उसी प्रक्रिया का पालन करेगा।

यदि अधिभोगी खुद से नमूने की जाँच करवाने का अनुरोध करता है, या वह जानबूझकर नमूना कंटेनर पर हस्ताक्षर करने या उसे स्वीकार करने से मना करता है, तो उसकी जाँच का खर्चा उसी से वसूला जाएगा। भुगतान न करने पर यह रकम भूमि राजस्व बकाया (Arrears of Land Revenue) की तरह वसूली जाएगी, यानी सरकार इसे टैक्स की तरह वसूल सकती है।

उदाहरण: मान लीजिए एक कपड़ा फैक्ट्री पर ज़्यादा धूल और धुएँ के उत्सर्जन का शक है। बोर्ड अधिकारी नमूना लेकर राज्य वायु प्रयोगशाला में भेजते हैं। रिपोर्ट में प्रदूषण मानकों से अधिक निकलता है। एक रिपोर्ट फैक्ट्री को भेजी जाती है, एक अदालत में इस्तेमाल के लिए रखी जाती है, और एक बोर्ड के रिकॉर्ड में रहती है।

धारा 28 – राज्य वायु प्रयोगशाला (State Air Laboratory)

राज्य सरकार धारा 28 के तहत:

1. खुद एक या अधिक राज्य वायु प्रयोगशाला स्थापित कर सकती है, या

2. किसी मौजूदा प्रयोगशाला या संस्थान को राज्य वायु प्रयोगशाला घोषित कर सकती है।

राज्य सरकार, राज्य बोर्ड से परामर्श (Consultation) करके, नियम बना सकती है जिसमें यह तय होगा:

• प्रयोगशाला के कार्य (Functions)।

• नमूने भेजने की प्रक्रिया।

• रिपोर्ट का प्रारूप (Format)।

• रिपोर्ट के लिए देय शुल्क (Fees)।

• और अन्य आवश्यक प्रक्रियाएँ।

उदाहरण: राज्य सरकार किसी विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग को राज्य वायु प्रयोगशाला घोषित कर सकती है, जो औद्योगिक क्षेत्रों में वायु की जाँच कर रिपोर्ट देगा।

धारा 29 – विश्लेषकों की नियुक्ति (Appointment of Analysts)

राज्य सरकार योग्य व्यक्तियों को सरकारी विश्लेषक (Government Analyst) नियुक्त कर सकती है, जो राज्य वायु प्रयोगशाला में नमूनों की जाँच करेंगे।

इसी तरह, राज्य बोर्ड भी, राज्य सरकार की मंजूरी से, योग्य व्यक्तियों को बोर्ड विश्लेषक (Board Analyst) नियुक्त कर सकता है, जो धारा 17 के तहत मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं में नमूनों का परीक्षण करेंगे।

उदाहरण: किसी पर्यावरण रसायन विशेषज्ञ (Environmental Chemistry Expert) को सरकारी विश्लेषक के रूप में नियुक्त किया जा सकता है, जो औद्योगिक धुएँ के नमूनों की जाँच करेगा।

धारा 30 – विश्लेषकों की रिपोर्ट (Reports of Analysts)

सरकारी विश्लेषक या बोर्ड विश्लेषक द्वारा हस्ताक्षरित रिपोर्ट को अदालत में साक्ष्य (Evidence) के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

इसका मतलब है कि अदालत को हर बार विश्लेषक को गवाही के लिए बुलाने की ज़रूरत नहीं होगी, जब तक अदालत खुद न चाहे।

उदाहरण: यदि बोर्ड किसी उद्योग के खिलाफ कार्रवाई करता है, तो विश्लेषक की रिपोर्ट अदालत में प्रमाण के रूप में प्रस्तुत की जा सकती है।

धारा 31 – अपील का अधिकार (Right to Appeal)

अगर कोई व्यक्ति राज्य बोर्ड के आदेश से असंतुष्ट है, तो वह अपील प्राधिकरण (Appellate Authority) के पास आदेश मिलने के 30 दिन के भीतर अपील कर सकता है।

अगर अपील 30 दिन के बाद दाखिल की जाती है, तो भी प्राधिकरण उचित कारण (Sufficient Cause) होने पर उसे स्वीकार कर सकता है।

• अपील प्राधिकरण एक व्यक्ति या तीन व्यक्तियों का हो सकता है, जिसे राज्य सरकार तय करेगी।

• अपील की प्रक्रिया, प्रारूप और शुल्क (Fee) नियमों में तय होंगे।

• प्राधिकरण दोनों पक्षों को सुनकर जल्द से जल्द निर्णय करेगा।

उदाहरण: अगर बोर्ड किसी इस्पात संयंत्र (Steel Plant) को बंद करने का आदेश देता है, तो संयंत्र का मालिक अपील प्राधिकरण के पास जाकर अपनी बात रख सकता है।

धारा 31A – निर्देश देने की शक्ति (Power to Give Directions)

यह धारा बोर्ड को अत्यधिक शक्तियाँ देती है।

बोर्ड किसी व्यक्ति, अधिकारी या प्राधिकरण को लिखित निर्देश दे सकता है, जिन्हें पालन करना अनिवार्य होगा। इनमें शामिल हो सकते हैं:

• किसी उद्योग, प्रक्रिया या संचालन को बंद करना, प्रतिबंधित करना या नियंत्रित करना।

• बिजली, पानी या अन्य सेवा की आपूर्ति रोकना या नियंत्रित करना।

उदाहरण: अगर कोई पावर प्लांट बार-बार प्रदूषण मानकों का उल्लंघन करता है, तो बोर्ड बिजली विभाग को निर्देश देकर उस प्लांट की बिजली आपूर्ति रोक सकता है, जब तक कि उचित प्रदूषण नियंत्रण उपकरण न लगा दिए जाएँ।

धारा 27 से 31A तक की व्यवस्थाएँ यह सुनिश्चित करती हैं कि वायु प्रदूषण की निगरानी (Monitoring) और नियंत्रण (Control) कानूनी, तकनीकी और प्रशासनिक तरीके से हो। इसमें नमूनों की जाँच, विश्लेषकों की नियुक्ति, रिपोर्ट का कानूनी मूल्य, अपील की प्रक्रिया और बोर्ड को त्वरित कार्रवाई की शक्तियाँ—सभी शामिल हैं।

इन प्रावधानों का उद्देश्य यह है कि उद्योग और अन्य संस्थान प्रदूषण नियंत्रण मानकों का पालन करें और जनता के स्वास्थ्य तथा पर्यावरण की रक्षा हो सके।

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