जल अधिनियम की धारा 23 और 24 : प्रवेश और निरीक्षण की शक्ति तथा प्रदूषित पदार्थ डालने पर रोक

Update: 2025-08-28 16:15 GMT

भारत का जल (Prevention and Control of Pollution) अधिनियम, 1974 एक महत्त्वपूर्ण पर्यावरणीय कानून है। इसका मुख्य उद्देश्य जल प्रदूषण को रोकना और जल को शुद्ध तथा सुरक्षित बनाए रखना है। इस अधिनियम की धारा 23 और 24 बहुत अहम हैं। धारा 23 अधिकारियों को किसी स्थान में प्रवेश और निरीक्षण (Inspection) की शक्ति देती है, जबकि धारा 24 जल स्रोतों (streams, wells, land, sewer) में प्रदूषित पदार्थ डालने पर स्पष्ट रोक लगाती है। ये दोनों धाराएँ मिलकर कानून के Prevention (रोकथाम) और Enforcement (प्रवर्तन/पालन करवाने) दोनों पहलुओं को दर्शाती हैं।

धारा 23: प्रवेश और निरीक्षण (Entry and Inspection) की शक्ति

धारा 23 राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (State Pollution Control Board) द्वारा अधिकृत (Authorised) अधिकारियों को यह अधिकार देती है कि वे ज़रूरत पड़ने पर किसी भी स्थान में प्रवेश कर निरीक्षण कर सकें।

प्रवेश और निरीक्षण का उद्देश्य (Purpose of Entry and Inspection)

यह शक्ति तीन मुख्य उद्देश्यों के लिए दी गई है।

पहला, अधिकारी बोर्ड को सौंपे गए कार्यों (Functions) को पूरा करने के लिए स्थान में प्रवेश कर सकते हैं। जैसे यह देखना कि पर्यावरण मानकों (Standards) का पालन हो रहा है या नहीं, आदेशों (Orders), नोटिस (Notices), या अनुमति (Authorisation) का पालन किया जा रहा है या नहीं।

दूसरा, अधिकारी यह तय कर सकते हैं कि क्या वास्तव में अधिनियम और नियमों का सही तरीके से पालन किया जा रहा है।

तीसरा, अधिकारी किसी भी संयंत्र (Plant), रिकॉर्ड (Record), रजिस्टर (Register), दस्तावेज़ (Documents) या अन्य वस्तुओं (Material objects) की जाँच कर सकते हैं। अगर उन्हें विश्वास है कि इस अधिनियम का उल्लंघन (Violation) हो रहा है या होने वाला है, तो वे तलाशी (Search) ले सकते हैं और आवश्यक सामग्री को ज़ब्त (Seizure) कर सकते हैं। यह ज़ब्त किया गया रिकॉर्ड बाद में अदालत (Court) में सबूत (Evidence) के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

आवासीय परिसरों (Residential Premises) में प्रवेश पर प्रतिबंध

धारा 23 यह भी सुनिश्चित करती है कि अधिकारों का दुरुपयोग न हो। अगर कोई कुआँ (Well) किसी आवासीय परिसर में है और उसका पानी केवल घरेलू (Domestic) उपयोग के लिए इस्तेमाल हो रहा है, तो अधिकारी केवल उचित समय (Reasonable Hours) पर ही वहाँ प्रवेश कर सकते हैं। इससे लोगों की निजता (Privacy) और अधिकारों की रक्षा होती है।

आपराधिक प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code – CrPC) का अनुप्रयोग

इस धारा में यह प्रावधान है कि इस अधिनियम के अंतर्गत होने वाली तलाशी (Search) और ज़ब्ती (Seizure) की प्रक्रिया वही होगी जो आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 (CrPC) में दी गई है। इसका मतलब है कि वारंट (Warrant), ज़ब्त सामग्री की सूची (Seizure List) और गवाहों (Witnesses) की उपस्थिति जैसी कानूनी सुरक्षा यहाँ भी लागू होगी।

"स्थान" (Place) की परिभाषा

धारा 23 में यह स्पष्ट किया गया है कि "स्थान" (Place) में जलयान (Vessel) भी शामिल है। इसका अर्थ यह है कि केवल भूमि पर ही नहीं बल्कि नाव, जहाज़ या अन्य जलयान से होने वाला प्रदूषण भी इस कानून के दायरे में आता है।

धारा 24: प्रदूषित पदार्थ डालने पर रोक (Prohibition on Disposal of Polluting Matter)

धारा 24 जल प्रदूषण रोकने की दिशा में मुख्य भूमिका निभाती है। इसमें स्पष्ट प्रावधान है कि कोई भी व्यक्ति किसी प्रदूषित या हानिकारक पदार्थ (Poisonous, Noxious, Polluting Matter) को किसी धारा (Stream), कुएँ (Well), नाले (Sewer) या भूमि (Land) में नहीं डालेगा।

प्रदूषण पर सामान्य रोक (General Prohibition on Pollution)

इस धारा के अनुसार, कोई व्यक्ति जानबूझकर ऐसे पदार्थ को पानी में नहीं डालेगा जो राज्य बोर्ड द्वारा तय मानकों (Standards) के अनुसार प्रदूषक है।

साथ ही, यह रोक केवल विषैले पदार्थों तक सीमित नहीं है। यदि कोई व्यक्ति ऐसे पदार्थ को धारा (Stream) में डालता है जो पानी के प्राकृतिक बहाव (Natural Flow) को रोकता है और इससे प्रदूषण बढ़ता है, तो यह भी अपराध (Offence) माना जाएगा।

सामान्य नियम से अपवाद (Exceptions to General Rule)

धारा 24(2) में कुछ अपवाद दिए गए हैं जहाँ ऐसे कार्य अपराध नहीं माने जाएंगे।

जैसे, किसी धारा के किनारे या तल (Bed) पर पुल (Bridge), बाँध (Dam), घाट (Pier), नाला (Drain) आदि का निर्माण करना यदि व्यक्ति को वैधानिक अधिकार (Legal Right) है।

इसी तरह, भूमि को मजबूत करने या कटाव रोकने के लिए किनारे पर मिट्टी या पत्थर डालना भी अपराध नहीं है, बशर्ते वे प्रदूषण पैदा न करें।

अगर धारा में रेत (Sand) या कंकड़ (Gravel) प्राकृतिक बहाव से जमा होते हैं तो वह भी अपराध नहीं है।

साथ ही, राज्य बोर्ड की अनुमति (Consent of State Board) से कुएँ, तालाब या जलाशय की गाद (Silt/Deposit) को धारा में डालने की भी छूट है।

राज्य सरकार द्वारा छूट (Exemption by State Government)

धारा 24(3) राज्य सरकार को यह शक्ति देती है कि वह राज्य बोर्ड से परामर्श (Consultation) या उसकी अनुशंसा (Recommendation) के आधार पर किसी व्यक्ति को इस धारा से छूट (Exemption) दे सकती है। ऐसी छूट कुछ शर्तों (Conditions) पर आधारित हो सकती है और सरकार बाद में उन शर्तों को बदल भी सकती है।

पर्यावरण संरक्षण में धारा 23 और 24 का महत्व (Importance of Sections 23 and 24 in Environmental Protection)

धारा 23 और 24 मिलकर जल अधिनियम के प्रवर्तन (Enforcement) और रोकथाम (Prevention) दोनों पहलुओं को मजबूत करते हैं।

धारा 23 सुनिश्चित करती है कि अधिकारी उद्योगों और व्यक्तियों की गतिविधियों की जाँच कर सकें और ज़रूरत पड़ने पर सबूत इकट्ठा कर सकें। अगर यह शक्ति न होती तो बड़े उद्योगों के खिलाफ कार्यवाही करना कठिन होता।

धारा 24 सीधे तौर पर प्रदूषण करने वाले कृत्यों (Acts) को अपराध घोषित करती है। यह प्रावधान लोगों और उद्योगों को चेतावनी देता है कि प्रदूषण फैलाना कानूनी अपराध है।

इन धाराओं से यह भी स्पष्ट होता है कि प्रदूषण नियंत्रण केवल एक विभाग का कार्य नहीं है बल्कि इसमें राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राज्य सरकार और न्यायालय सभी की भूमिका है।

जल अधिनियम, 1974 का मुख्य उद्देश्य जल संसाधनों (Water Resources) की रक्षा करना है। धारा 23 और 24 इस उद्देश्य को प्राप्त करने में बेहद महत्त्वपूर्ण हैं। धारा 23 अधिकारियों को निरीक्षण, तलाशी और ज़ब्ती की शक्ति देती है, जबकि धारा 24 स्पष्ट रूप से प्रदूषित पदार्थ डालने पर रोक लगाती है।

इन दोनों धाराओं से यह स्पष्ट संदेश जाता है कि स्वच्छ जल (Clean Water) केवल पर्यावरणीय आवश्यकता (Ecological Necessity) ही नहीं, बल्कि एक कानूनी अधिकार (Legal Right) भी है।

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