सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 17, 18 और 19 : प्रमाणन प्राधिकरणों का विनियमन
अध्याय VI – प्रमाणन प्राधिकरणों का विनियमन
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम का अध्याय VI, भारत में डिजिटल हस्ताक्षर और प्रमाणन तंत्र को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए बनाए गए प्रमाणन प्राधिकरणों (Certifying Authorities) के नियमन (regulation) से संबंधित है।
यह अध्याय विशेष रूप से यह सुनिश्चित करता है कि डिजिटल प्रमाणन प्रणाली में पारदर्शिता, विश्वसनीयता और सरकारी निगरानी बनी रहे। इस अध्याय में कुल तीन धाराएं शामिल हैं—धारा 17, 18 और 19, जो नियंत्रक (Controller) की नियुक्ति, उनके कार्यों और विदेशी प्रमाणन प्राधिकरणों की मान्यता से संबंधित हैं।
धारा 17 – नियंत्रक एवं अन्य अधिकारियों की नियुक्ति
इस धारा के अनुसार, भारत सरकार, राजपत्र (Official Gazette) में अधिसूचना के माध्यम से एक Controller of Certifying Authorities नियुक्त कर सकती है। इस पद का मुख्य उद्देश्य पूरे देश में प्रमाणन प्राधिकरणों की गतिविधियों को देखना, नियंत्रित करना और उनकी निगरानी करना है।
सरकार आवश्यकता अनुसार, एक ही अधिसूचना या अलग से अधिसूचना जारी करके उप नियंत्रक (Deputy Controllers), सहायक नियंत्रक (Assistant Controllers) एवं अन्य अधिकारी तथा कर्मचारी भी नियुक्त कर सकती है।
सरकार के नियंत्रण में काम करेगा नियंत्रक
इस धारा की उपधारा (2) यह स्पष्ट करती है कि नियंत्रक सरकार के सामान्य नियंत्रण और दिशा-निर्देशों के अधीन कार्य करेगा। यानी कि नियंत्रक स्वतंत्र रूप से कार्य नहीं करेगा, बल्कि केंद्रीय सरकार की निगरानी और नीति-निर्देशन के अधीन रहकर कार्य करेगा।
उप और सहायक नियंत्रकों की भूमिका
धारा 17 की उपधारा (3) के अनुसार, उप नियंत्रक और सहायक नियंत्रक वे कार्य करेंगे जो नियंत्रक द्वारा सौंपे जाएंगे, और वे नियंत्रक के अधीन रहेंगे।
उदाहरण के लिए, यदि किसी राज्य में कार्यरत एक प्रमाणन प्राधिकरण की गतिविधियों की समीक्षा करनी है, तो नियंत्रक यह कार्य उप नियंत्रक को सौंप सकता है, जो उसकी रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई तय करेगा।
अर्हता और सेवा शर्तें
धारा 17 की उपधारा (4) में यह प्रावधान है कि नियंत्रक, उप नियंत्रक, सहायक नियंत्रक एवं अन्य कर्मचारियों की योग्यता, अनुभव और सेवा की शर्तें केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित की जाएंगी।
कार्यालय का स्थान और मुहर
धारा 17 की उपधारा (5) और (6) यह कहती हैं कि नियंत्रक का मुख्य कार्यालय और शाखा कार्यालय किन स्थानों पर होंगे, यह सरकार तय करेगी। साथ ही, नियंत्रक कार्यालय की अपनी आधिकारिक मुहर (seal) होगी, जिसका उपयोग आधिकारिक दस्तावेजों की प्रमाणिकता के लिए किया जाएगा।
धारा 18 – नियंत्रक के कार्य
धारा 18 बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें नियंत्रक के सभी प्रमुख कार्यों का विस्तार से उल्लेख किया गया है। नियंत्रक के पास निम्न कार्यों को करने का अधिकार होगा:
प्रमाणन प्राधिकरणों की निगरानी
नियंत्रक सभी प्रमाणन प्राधिकरणों की गतिविधियों की निगरानी करेगा, जैसे वे डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाणपत्र कैसे जारी कर रहे हैं, क्या वे सभी नियमों का पालन कर रहे हैं आदि।
उदाहरण: यदि कोई प्रमाणन प्राधिकरण असुरक्षित तरीके से डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाणपत्र जारी कर रहा है, तो नियंत्रक जांच कर सकता है और आवश्यक कार्रवाई कर सकता है।
सार्वजनिक कुंजी का प्रमाणीकरण
नियंत्रक, प्रमाणन प्राधिकरणों की Public Key (सार्वजनिक कुंजी) का प्रमाणीकरण करेगा ताकि प्रमाणपत्र में भरोसा बना रहे।
मानकों और योग्यता का निर्धारण
नियंत्रक यह निर्धारित करेगा कि प्रमाणन प्राधिकरणों को किन तकनीकी मानकों का पालन करना है। साथ ही, इन संस्थाओं में कार्यरत कर्मचारियों की न्यूनतम योग्यता और अनुभव भी नियंत्रक द्वारा तय किया जाएगा।
उदाहरण: नियंत्रक यह तय कर सकता है कि प्रमाणन प्राधिकरण में कार्यरत किसी भी तकनीकी अधिकारी के पास कम से कम कंप्यूटर साइंस में स्नातक की डिग्री और तीन साल का अनुभव होना चाहिए।
व्यवसाय संचालन की शर्तें और विज्ञापन
नियंत्रक यह भी तय करेगा कि प्रमाणन प्राधिकरण अपने व्यवसाय को किन शर्तों के अधीन संचालित करेंगे। इसके अलावा, वे किस प्रकार के विज्ञापन या प्रचार सामग्री उपयोग कर सकते हैं, इसकी भी सीमाएं निर्धारित की जाएंगी।
उदाहरण: एक प्रमाणन प्राधिकरण गलत दावे वाला विज्ञापन चलाता है कि "हमारा डिजिटल हस्ताक्षर दुनिया में सबसे सुरक्षित है", तो नियंत्रक उसे प्रतिबंधित कर सकता है।
इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली की स्थापना
नियंत्रक यह सुनिश्चित करेगा कि प्रमाणन प्राधिकरण स्वयं या किसी अन्य संस्था के साथ मिलकर जो इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम तैयार करें, वे सुरक्षित और विनियमित हों।
विवादों का समाधान
यदि किसी प्रमाणन प्राधिकरण और उपभोक्ता (subscriber) के बीच विवाद उत्पन्न होता है, तो उसका समाधान करने का अधिकार भी नियंत्रक को होगा।
उदाहरण: एक उपभोक्ता शिकायत करता है कि उसका डिजिटल सर्टिफिकेट गलत तरीके से रद्द कर दिया गया है, तो नियंत्रक उस शिकायत पर सुनवाई कर सकता है।
प्रमाणन प्राधिकरणों के कर्तव्य और रिकॉर्ड
नियंत्रक यह तय करेगा कि प्रमाणन प्राधिकरणों के क्या कर्तव्य होंगे और वे किस प्रकार से अपना लेखा-जोखा (accounts) और रिकॉर्ड सार्वजनिक रूप से उपलब्ध रखें।
धारा 19 – विदेशी प्रमाणन प्राधिकरणों की मान्यता
आज के डिजिटल युग में बहुत सी अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट जारी करती हैं। इस संदर्भ में धारा 19 यह स्पष्ट करती है कि भारत सरकार विदेशी संस्थाओं को भी प्रमाणन प्राधिकरण के रूप में मान्यता दे सकती है।
मान्यता की प्रक्रिया
नियंत्रक, केंद्र सरकार की पूर्व स्वीकृति के बाद, किसी विदेशी प्रमाणन प्राधिकरण को मान्यता दे सकता है। यह कार्य राजपत्र में अधिसूचना प्रकाशित करके किया जाएगा। हालांकि, यह मान्यता कुछ शर्तों और प्रतिबंधों के अधीन होगी, जो नियमों द्वारा निर्धारित किए जाएंगे।
उदाहरण: यदि अमेरिका की कोई संस्था भारतीय मानकों के अनुरूप डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाणपत्र जारी करती है, तो उसे भारत में मान्यता दी जा सकती है।
प्रमाणपत्र की वैधता
जिस विदेशी प्रमाणन प्राधिकरण को भारत में मान्यता प्राप्त हो जाती है, उसके द्वारा जारी किए गए डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाणपत्र को इस अधिनियम के तहत वैध माना जाएगा।
मान्यता रद्द करने का अधिकार
यदि नियंत्रक को यह पता चलता है कि कोई विदेशी प्रमाणन प्राधिकरण भारत द्वारा निर्धारित शर्तों का उल्लंघन कर रहा है, तो वह अपनी मान्यता रद्द कर सकता है। यह कार्य भी राजपत्र में अधिसूचना प्रकाशित करके किया जाएगा और कारणों को लिखित रूप में दर्ज करना होगा।
उदाहरण: यदि कोई विदेशी संस्था भारत में बिना किसी सुरक्षा मापदंड के प्रमाणपत्र जारी कर रही है, तो नियंत्रक उसकी मान्यता समाप्त कर सकता है।
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम का अध्याय VI यह सुनिश्चित करता है कि डिजिटल हस्ताक्षर और इलेक्ट्रॉनिक प्रमाणन की संपूर्ण प्रणाली एक केंद्रित और नियंत्रित प्रक्रिया के अधीन हो। यह अध्याय न केवल प्रमाणन प्राधिकरणों की जवाबदेही सुनिश्चित करता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि डिजिटल लेनदेन में लोगों का भरोसा बना रहे। नियंत्रक की भूमिका इस संपूर्ण तंत्र में न्यायिक, तकनीकी और प्रशासनिक निगरानी करने की है, जिससे डिजिटल इंडिया का सपना सुरक्षित और भरोसेमंद तरीके से साकार हो सके।