भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 12-15 : CCI के अध्यक्ष और सदस्यों के लिए सेवा के नियम

Update: 2025-08-04 11:09 GMT

हमने पिछले खंडों में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (Competition Commission of India - CCI) के गठन, संरचना और सदस्यों के कार्यकाल से संबंधित महत्वपूर्ण प्रावधानों को देखा। अब हम इस बात पर चर्चा करेंगे कि जब अध्यक्ष (Chairperson) और सदस्य (Members) अपना कार्यकाल पूरा कर लेते हैं, तो उनके लिए क्या नियम होते हैं।

साथ ही, CCI के भीतर उनके प्रशासनिक अधिकार, वेतन और सेवा की शर्तें क्या हैं, और कुछ कमियों के बावजूद आयोग का काम कैसे जारी रहता है। भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 12 (Section 12), 13 (Section 13), 14 (Section 14) और 15 (Section 15) इन्हीं विषयों पर प्रकाश डालती हैं।

धारा 12: सेवा निवृत्ति के बाद रोजगार पर प्रतिबंध (Restriction on Post-Retirement Employment)

धारा 12 एक महत्वपूर्ण नैतिक नियम (ethical rule) स्थापित करती है। यह कहती है कि अध्यक्ष और सदस्य, पद छोड़ने की तारीख से दो साल की अवधि तक, किसी भी ऐसे उद्यम में कोई भी रोजगार स्वीकार नहीं करेंगे जो इस अधिनियम के तहत आयोग के समक्ष किसी कार्यवाही (proceeding) का पक्ष रहा हो।

• उदाहरण: मान लीजिए कि एक कंपनी पर CCI ने Competition-विरोधी व्यवहार के लिए जुर्माना लगाया था। उस मामले में शामिल कोई भी सदस्य अपने कार्यकाल के बाद दो साल तक उस कंपनी में नौकरी नहीं कर सकता।

• उद्देश्य: इस नियम का मुख्य उद्देश्य हितों के टकराव (conflict of interest) को रोकना और यह सुनिश्चित करना है कि CCI के सदस्य अपने कार्यकाल के दौरान निष्पक्ष निर्णय लें। यह उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद की नौकरी के लालच में आकर किसी खास कंपनी का पक्ष लेने से रोकता है।

परंतु (Proviso) में एक महत्वपूर्ण अपवाद दिया गया है: यह प्रतिबंध केंद्र सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय प्राधिकरण, या किसी भी सरकारी कंपनी या statutory authority (वैधानिक प्राधिकरण) में रोजगार पर लागू नहीं होता है। इसका मतलब है कि सदस्य सेवानिवृत्ति के बाद इन सरकारी निकायों में नौकरी कर सकते हैं, क्योंकि यहाँ हितों के टकराव की संभावना कम होती है।

धारा 13: अध्यक्ष की प्रशासनिक शक्तियाँ (Administrative Powers of the Chairperson)

धारा 13 अध्यक्ष की भूमिका को स्पष्ट करती है। इसमें कहा गया है कि अध्यक्ष के पास आयोग के सभी प्रशासनिक मामलों (administrative matters) के संबंध में सामान्य अधीक्षण (superintendence), निर्देश (direction) और नियंत्रण (control) की शक्तियां होंगी।

• सरल शब्दों में: अध्यक्ष CCI के दैनिक प्रशासनिक कार्यों के प्रमुख होते हैं। वे यह सुनिश्चित करते हैं कि आयोग सुचारू रूप से काम करे।

परंतु (Proviso) में कहा गया है कि अध्यक्ष अपनी प्रशासनिक शक्तियों को किसी अन्य सदस्य या आयोग के अधिकारी को सौंप सकते हैं, यदि वे ऐसा उचित समझें। यह अध्यक्ष को अपने काम का बोझ कम करने और प्रशासनिक कार्यों को अधिक कुशलता से प्रबंधित करने का लचीलापन देता है।

धारा 14: वेतन और भत्ते (Salary and Allowances)

धारा 14(1) अध्यक्ष और अन्य सदस्यों के वेतन (salary) और सेवा की अन्य शर्तों (terms and conditions of service) के बारे में बताती है। इसमें यात्रा खर्च, मकान किराया भत्ता, वाहन सुविधा, सत्कार भत्ता (sumptuary allowance) और चिकित्सा सुविधाएं शामिल हैं। ये सभी नियम निर्धारित किए जाएंगे, जिसका अर्थ है कि उन्हें सरकार द्वारा नियमों के माध्यम से तय किया जाएगा।

धारा 14(2) एक बहुत ही महत्वपूर्ण सुरक्षा उपाय प्रदान करती है। यह कहती है कि अध्यक्ष या किसी सदस्य के वेतन, भत्ते और सेवा की अन्य शर्तों को उनकी नियुक्ति के बाद उनके नुकसान के लिए बदला नहीं जाएगा। यह नियम सदस्यों की स्वतंत्रता की रक्षा करता है। यह सरकार को सदस्यों पर दबाव डालने के लिए उनकी सेवा की शर्तों को खराब करने से रोकता है, जिससे वे अपने निर्णय बिना किसी डर के ले सकते हैं।

धारा 15: रिक्ति आदि से कार्यवाही अमान्य नहीं होगी (Vacancy, etc., not to Invalidate Proceedings)

धारा 15 एक ऐसा प्रावधान है जो यह सुनिश्चित करता है कि कुछ कमियों के बावजूद CCI का काम जारी रहे। यह कहता है कि आयोग का कोई भी कार्य या कार्यवाही केवल इन कारणों से अमान्य (invalid) नहीं होगी:

• आयोग में कोई रिक्ति (vacancy) हो, या उसके गठन में कोई दोष हो।

• अध्यक्ष या सदस्य के रूप में कार्य करने वाले व्यक्ति की नियुक्ति में कोई दोष हो।

• आयोग की प्रक्रिया में कोई अनियमितता हो जिसका मामले के गुण-दोषों (merits of the case) पर कोई प्रभाव न पड़ता हो।

• उद्देश्य: यह नियम CCI को छोटी-मोटी तकनीकी या प्रक्रियात्मक खामियों के कारण अपने कामकाज को रोकने से बचाता है। यह सुनिश्चित करता है कि आयोग की कानूनी कार्यवाही मजबूत रहे और उसका काम अनावश्यक देरी के बिना जारी रहे।

भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 12 से 15 तक CCI के सुचारू और प्रभावी कामकाज के लिए एक मजबूत ढाँचा बनाती हैं। ये धाराएं सेवानिवृत्ति के बाद के रोजगार पर प्रतिबंध लगाकर, अध्यक्ष के प्रशासनिक अधिकार निर्धारित करके, वेतन और सेवा शर्तों को सुरक्षित करके, और प्रक्रियात्मक कमियों से आयोग की कार्यवाही को बचाकर, CCI की निष्पक्षता, स्वतंत्रता और दक्षता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

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