BNSS, 2023 की धारा 400 में न्यायालय द्वारा अभियुक्त को शिकायतकर्ता के कानूनी खर्चों के भुगतान

Update: 2025-03-28 11:29 GMT
BNSS, 2023 की धारा 400 में न्यायालय द्वारा अभियुक्त को शिकायतकर्ता के कानूनी खर्चों के भुगतान

भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code) में विभिन्न प्रावधान शामिल हैं जो न्यायिक प्रक्रियाओं को संचालित करते हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण प्रावधान धारा 400 है, जो गैर-संज्ञेय अपराधों (Non-Cognizable Offenses) के मामलों में अभियुक्त को अभियोजन की लागत (Cost of Prosecution) का भुगतान करने का आदेश देने से संबंधित है।

यह धारा यह सुनिश्चित करती है कि शिकायतकर्ता (Complainant) को न्यायिक प्रक्रिया में हुए खर्चों की प्रतिपूर्ति (Reimbursement) मिल सके, जिससे न्याय तक पहुंच अधिक सुलभ हो।

गैर-संज्ञेय अपराध क्या हैं?

गैर-संज्ञेय अपराध वे अपराध होते हैं जिनमें पुलिस को बिना मजिस्ट्रेट की अनुमति के गिरफ्तारी या जांच करने का अधिकार नहीं होता। ये आमतौर पर कम गंभीर अपराध होते हैं, जैसे मानहानि (Defamation), धोखाधड़ी (Cheating) या सार्वजनिक उपद्रव (Public Nuisance)। इन मामलों में, शिकायतकर्ता को सीधे न्यायालय में शिकायत दर्ज करनी होती है, और न्यायालय की अनुमति से ही पुलिस कार्रवाई कर सकती है।

धारा 400 का सारांश

धारा 400 के अनुसार, जब किसी गैर-संज्ञेय अपराध की शिकायत न्यायालय में की जाती है और यदि न्यायालय अभियुक्त को दोषी ठहराता है, तो न्यायालय, आरोपित दंड के अलावा, अभियुक्त को आदेश दे सकता है कि वह शिकायतकर्ता को अभियोजन में हुए खर्चों का पूरा या आंशिक भुगतान करे। यदि अभियुक्त इस भुगतान में विफल रहता है, तो उसे अधिकतम तीस दिनों तक के साधारण कारावास (Simple Imprisonment) की सजा दी जा सकती है। इन लागतों में प्रक्रिया शुल्क (Process Fees), गवाहों के खर्च (Witness Expenses), और वकील की फीस (Advocate's Fees) शामिल हो सकते हैं, जिन्हें न्यायालय उचित मानता है।

धारा 400 के प्रमुख प्रावधान

1. अभियोजन लागत का भुगतान: यदि न्यायालय अभियुक्त को दोषी ठहराता है, तो वह उसे आदेश दे सकता है कि वह शिकायतकर्ता को अभियोजन में हुए खर्चों का पूरा या आंशिक भुगतान करे।

2. अधिकतम कारावास की अवधि: यदि अभियुक्त भुगतान करने में विफल रहता है, तो उसे अधिकतम तीस दिनों तक के साधारण कारावास की सजा दी जा सकती है।

3. लागतों का समावेश: इन लागतों में प्रक्रिया शुल्क, गवाहों के खर्च, और वकील की फीस शामिल हो सकते हैं, जिन्हें न्यायालय उचित मानता है।

4. अपील और पुनरीक्षण में लागू: यह आदेश अपीलीय न्यायालय (Appellate Court), उच्च न्यायालय (High Court), या सत्र न्यायालय (Court of Session) द्वारा पुनरीक्षण (Revision) की शक्ति का प्रयोग करते समय भी दिया जा सकता है।

धारा 400 का उद्देश्य और महत्व

धारा 400 का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि गैर-संज्ञेय अपराधों के मामलों में शिकायतकर्ता को न्याय प्राप्त करने में आर्थिक कठिनाइयों का सामना न करना पड़े। अक्सर, ऐसे मामलों में शिकायतकर्ता को अपने संसाधनों से न्यायालय में मामला दर्ज करना पड़ता है, जिससे उन्हें वित्तीय बोझ उठाना पड़ता है। यह प्रावधान अभियुक्त को अभियोजन की लागत का भुगतान करने के लिए बाध्य करता है, जिससे शिकायतकर्ता को राहत मिलती है और न्याय तक पहुंच सुलभ होती है।

अन्य संबंधित प्रावधानों से तुलना

धारा 400 की तुलना अन्य प्रावधानों से की जा सकती है जो अभियोजन लागत या मुआवजे से संबंधित हैं। उदाहरण के लिए, भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 359, जो गैर-संज्ञेय मामलों में लागत भुगतान के आदेश से संबंधित है, धारा 400 के समान प्रावधान करती है। हालांकि, धारा 400 विशेष रूप से गैर-संज्ञेय अपराधों के मामलों में लागत भुगतान पर केंद्रित है, जबकि अन्य प्रावधान विभिन्न संदर्भों में लागत या मुआवजे से संबंधित हो सकते हैं।

धारा 400 गैर-संज्ञेय अपराधों के मामलों में शिकायतकर्ताओं को न्याय प्राप्त करने में सहायता करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रावधान है। यह सुनिश्चित करता है कि अभियुक्त को दोषी ठहराए जाने पर, शिकायतकर्ता को अभियोजन में हुए खर्चों की प्रतिपूर्ति मिले, जिससे न्यायिक प्रक्रिया में उनकी भागीदारी को प्रोत्साहन मिलता है। यह प्रावधान न्याय तक पहुंच को सुलभ बनाता है और न्यायिक प्रणाली में विश्वास को मजबूत करता है।

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