जल अधिनियम, 1974 का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य यही है कि किसी भी जल स्रोत – जैसे नदी (Stream), कुआँ (Well), नाला (Sewer) या भूमि (Land) – को प्रदूषित होने से बचाया जा सके। धारा 25 इसी दिशा में एक बहुत अहम प्रावधान है। यह धारा उद्योगों, कारखानों, संस्थानों और अन्य गतिविधियों पर नियंत्रण लगाती है ताकि बिना अनुमति के कोई भी नया प्रदूषित जल निकासी (Discharge of Sewage or Trade Effluent) शुरू न हो सके।
सरल शब्दों में कहा जाए तो इस धारा के तहत यह नियम है कि यदि कोई नया उद्योग लगाना चाहता है, नया आउटलेट बनाना चाहता है या किसी भी तरह का नया अपशिष्ट जल (Effluent) छोड़ना चाहता है तो पहले उसे राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (State Pollution Control Board) से अनुमति (Consent) लेनी होगी।
धारा 25(1) : बिना अनुमति नए डिस्चार्ज की मनाही (Prohibition without Consent)
इस प्रावधान के अनुसार कोई भी व्यक्ति तब तक नया उद्योग, नया संचालन (Operation), नई प्रक्रिया (Process) या नया उपचार एवं निस्तारण प्रणाली (Treatment and Disposal System) स्थापित नहीं कर सकता जब तक कि उसे राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से लिखित अनुमति न मिल जाए।
तीन मुख्य परिस्थितियाँ यहाँ बताई गई हैं :
• नया उद्योग या प्रक्रिया स्थापित करना जिससे अपशिष्ट जल का निकास होगा।
• नया आउटलेट (New Outlet) बनाना जिससे प्रदूषित जल बाहर निकलेगा।
• नया डिस्चार्ज (New Discharge) शुरू करना।
यदि कोई व्यक्ति पहले से ही 1988 के संशोधन अधिनियम (Amendment Act, 1988) से पहले उद्योग शुरू करने की प्रक्रिया में था और तब तक अनुमति आवश्यक नहीं थी, तो उसे तीन महीने की छूट दी गई थी ताकि वह इस बीच अनुमति के लिए आवेदन कर सके।
धारा 25(2) : अनुमति हेतु आवेदन की प्रक्रिया (Application for Consent)
जो भी व्यक्ति नया डिस्चार्ज शुरू करना चाहता है उसे राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को एक निर्धारित फार्म (Prescribed Form) में आवेदन करना होगा।
इस आवेदन के साथ उसे आवश्यक विवरण (Particulars) और निर्धारित शुल्क (Fees) जमा करना अनिवार्य है।
धारा 25(3) : बोर्ड की जाँच (Inquiry by State Board)
जब कोई आवेदन जमा होता है, तो राज्य बोर्ड को यह अधिकार है कि वह आवश्यकतानुसार जाँच-पड़ताल (Inquiry) करे।
यह जाँच इस बात की पुष्टि के लिए होती है:
• प्रस्तावित उद्योग या आउटलेट पर्यावरणीय मानकों (Environmental Standards) का पालन कर रहा है या नहीं।
• अपशिष्ट जल (Effluent) को छोड़ने से जल स्रोत प्रदूषित तो नहीं होगा।
बोर्ड इस जाँच में वही प्रक्रिया अपनाएगा जो नियमों (Rules) में निर्धारित की गई है।
धारा 25(4) : अनुमति देना या न देना (Grant or Refusal of Consent)
राज्य बोर्ड के पास यह शक्ति है कि :
• वह अनुमति (Consent) दे सकता है लेकिन कुछ शर्तों (Conditions) के साथ। उदाहरण के लिए :
o आउटलेट (Outlet) की जगह तय करना।
o अपशिष्ट जल के तापमान (Temperature), रासायनिक संरचना (Composition), मात्रा (Volume) और प्रवाह दर (Rate of Discharge) को नियंत्रित करना।
o यह तय करना कि अनुमति कितने समय के लिए वैध होगी।
• यदि बोर्ड को लगता है कि प्रस्तावित उद्योग या डिस्चार्ज पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुँचाएगा तो वह अनुमति से इंकार (Refusal) कर सकता है।
ऐसी स्थिति में बोर्ड को लिखित रूप में कारण बताना होगा।
धारा 25(5) : बिना अनुमति कार्य करने पर दंडात्मक कार्यवाही (Action without Consent)
यदि कोई उद्योग या व्यक्ति बिना अनुमति के नया आउटलेट या नया डिस्चार्ज शुरू करता है, तो बोर्ड उसे नोटिस (Notice) जारी करेगा।
इस नोटिस में वही शर्तें लगाई जाएंगी जो आवेदन के समय लगाई जा सकती थीं।
इसका मतलब यह है कि बोर्ड के पास यह शक्ति है कि वह अवैध रूप से चल रहे उद्योग पर तुरंत नियंत्रण लगाए।
धारा 25(6) : रजिस्टर का रख-रखाव (Maintenance of Register)
हर राज्य बोर्ड को यह निर्देश है कि वह एक रजिस्टर (Register) रखे जिसमें सभी उद्योगों और आउटलेट्स पर लगाए गए शर्तों का उल्लेख हो।
यह रजिस्टर किसी भी ऐसे व्यक्ति के लिए खुला रहेगा जो उस आउटलेट या डिस्चार्ज से प्रभावित है।
इससे पारदर्शिता (Transparency) बनी रहती है और लोग देख सकते हैं कि बोर्ड ने किन-किन शर्तों पर अनुमति दी है।
धारा 25(7) : समय-सीमा (Time Limit of Four Months)
यदि बोर्ड को आवेदन मिलने के चार महीने के भीतर न तो अनुमति दी जाती है और न ही अस्वीकार किया जाता है, तो यह माना जाएगा कि अनुमति बिना शर्त (Unconditional Consent) दे दी गई है।
यह प्रावधान उद्योगों और व्यवसायों को अनिश्चितकालीन प्रतीक्षा (Indefinite Delay) से बचाने के लिए जोड़ा गया था।
धारा 25(8) : "नए आउटलेट" और "नए डिस्चार्ज" की परिभाषा (Definitions)
इस धारा में दो महत्वपूर्ण परिभाषाएँ दी गई हैं :
• नया या परिवर्तित आउटलेट (New or Altered Outlet) :
कोई भी आउटलेट जो अधिनियम लागू होने के बाद बनाया गया हो, या पहले बने हुए आउटलेट में कोई बड़ा परिवर्तन किया गया हो।
• नया डिस्चार्ज (New Discharge) :
कोई भी ऐसा अपशिष्ट जल का निकास (Discharge) जो पिछले बारह महीनों में पहले किए गए डिस्चार्ज की तुलना में प्रकृति (Nature), संरचना (Composition), तापमान (Temperature), मात्रा (Volume) या प्रवाह दर (Rate of Discharge) में नया हो।
हालाँकि यदि केवल तापमान, मात्रा या प्रवाह दर में कमी की जाती है, तो उसे नया डिस्चार्ज नहीं माना जाएगा।
महत्व (Significance of Section 25)
धारा 25 यह सुनिश्चित करती है कि :
• कोई भी नया उद्योग या नया डिस्चार्ज पर्यावरणीय मानकों के बिना शुरू न हो।
• प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनुमति के बिना जल स्रोतों में गंदा जल न छोड़ा जाए।
• नियमों के उल्लंघन पर बोर्ड को तुरंत कार्यवाही करने का अधिकार मिले।
• जनता यह जान सके कि उनके इलाके में किस उद्योग को अनुमति मिली है और किन शर्तों पर।
यह प्रावधान प्रदूषण नियंत्रण के लिए अत्यंत प्रभावी है क्योंकि यह “पहले अनुमति, फिर काम” (Consent Before Operation) के सिद्धांत को लागू करता है।
जल अधिनियम, 1974 की धारा 25 एक ऐसा प्रावधान है जो औद्योगिक प्रदूषण पर सीधा नियंत्रण स्थापित करता है। यह न केवल जल स्रोतों की रक्षा करता है बल्कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को भी पर्याप्त अधिकार देता है कि वे उद्योगों पर निगरानी रखें।
इस धारा का सही पालन जल प्रदूषण की समस्या को काफी हद तक कम कर सकता है और जल संसाधनों को आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित बना सकता है।