किरायेदार को बेदखल करने के नियम - राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम, 2001 की धारा 9 भाग 1

राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम, 2001 की धारा 9 उन स्थितियों को परिभाषित करती है, जिनमें किसी मकान मालिक (Landlord) को अपने किरायेदार (Tenant) को बेदखल (Eviction) करने का कानूनी अधिकार होता है। यह प्रावधान अन्य किसी भी कानून या किराए के अनुबंध (Rent Agreement) से ऊपर माना जाता है, लेकिन इसे इस अधिनियम की अन्य धाराओं के अनुसार पढ़ा जाना चाहिए।
यह कानून यह सुनिश्चित करता है कि कोई मकान मालिक अपने किरायेदार को मनमाने तरीके से बेदखल न कर सके और उसे ऐसा करने के लिए कानूनी रूप से उचित कारण साबित करना होगा।
किरायेदार को बेदखल करने के लिए निम्नलिखित कारण स्वीकार्य माने गए हैं – किराया न देना, संपत्ति को नुकसान पहुँचाना, बिना अनुमति बदलाव करना, उपद्रव (Nuisance) करना, या बिना अनुमति किसी और को किराए पर देना।
यह प्रावधान मकान मालिक और किरायेदार दोनों के अधिकारों को संतुलित करने का प्रयास करता है। इस धारा को बेहतर समझने के लिए, हमें इन सभी आधारों को विस्तार से देखना होगा।
किराया न देने (Non-Payment of Rent) पर बेदखली का अधिकार
धारा 9(क) के अनुसार, यदि कोई किरायेदार लगातार चार महीने तक किराया नहीं देता है और ना ही उसे जमा करने की कोशिश करता है, तो मकान मालिक उसे बेदखल करने के लिए आवेदन कर सकता है। हालांकि, मकान मालिक को ऐसा करने से पहले कुछ अनिवार्य शर्तों को पूरा करना होगा।
मकान मालिक के लिए बैंक खाता जानकारी देना आवश्यक
कानून यह सुनिश्चित करता है कि मकान मालिक को अपने बैंक खाता (Bank Account) की जानकारी किरायेदार को देनी होगी। मकान मालिक को अपने बैंक का नाम और खाता संख्या किराए के अनुबंध (Rent Agreement) में लिखना होगा या पंजीकृत डाक (Registered Post) के माध्यम से किरायेदार को सूचित करना होगा। यदि मकान मालिक ऐसा नहीं करता है, तो वह किराया न देने के आधार पर बेदखली का दावा नहीं कर सकता।
बेदखली के लिए किरायेदार को पहले नोटिस देना आवश्यक
मकान मालिक बिना किसी सूचना के सीधे बेदखली की कार्यवाही (Eviction Proceedings) नहीं कर सकता। उसे पहले किरायेदार को पंजीकृत डाक (Registered Post) के माध्यम से लिखित नोटिस (Legal Notice) भेजना होगा, जिसमें बकाया किराया (Arrears of Rent) चुकाने के लिए 30 दिन का समय दिया जाएगा।
यदि किरायेदार इस अवधि में किराया चुका देता है, तो मकान मालिक को बेदखली का अधिकार नहीं मिलेगा। लेकिन अगर 30 दिनों में भी किराया नहीं चुकाया जाता है, तो मकान मालिक विधिक कार्यवाही कर सकता है।
वह तरीके जिनसे किराए का भुगतान वैध माना जाएगा
कानून के अनुसार, किरायेदार निम्नलिखित तरीकों से किराए का भुगतान कर सकता है, जिसे वैध (Valid) माना जाएगा:
1. मकान मालिक को सही पते पर मनी ऑर्डर (Money Order) भेजकर।
2. यदि मकान मालिक किराया स्वीकार नहीं करता है, तो इसे किराया प्राधिकरण (Rent Authority) में जमा करवाकर।
यदि किरायेदार ने इन तरीकों से भुगतान करने की कोशिश की है, तो मकान मालिक यह दावा नहीं कर सकता कि किराया नहीं दिया गया।
उदाहरण (Illustration)
राहुल ने श्री शर्मा से ₹10,000 प्रति माह के किराए पर एक मकान लिया। जनवरी से अप्रैल तक, राहुल किराया नहीं दे पाया। श्री शर्मा ने उसे कोई बैंक खाता विवरण नहीं दिया और सीधे मई में बेदखली का मुकदमा दायर कर दिया।
इस स्थिति में, ट्रिब्यूनल (Tribunal) इस मुकदमे को खारिज कर देगा क्योंकि मकान मालिक ने आवश्यक जानकारी किरायेदार को नहीं दी थी। लेकिन अगर शर्मा जी ने पहले ही अपने बैंक खाते की जानकारी दे दी होती और अप्रैल में कानूनी नोटिस भेजा होता, तो राहुल को 30 दिनों के अंदर किराया देना पड़ता। अगर वह नहीं देता, तो शर्मा जी को बेदखली का अधिकार होता।
संपत्ति को गंभीर नुकसान (Substantial Damage to the Premises) पहुँचाना
धारा 9(ख) के तहत, यदि किरायेदार ने जानबूझकर या अनुमति देकर संपत्ति को गंभीर रूप से नुकसान पहुँचाया है, तो मकान मालिक उसे बेदखल करने के लिए आवेदन कर सकता है।
यह नुकसान 'गंभीर' (Substantial) होना चाहिए, अर्थात ऐसा जो संपत्ति की संरचना (Structure) को प्रभावित करे या उसकी कीमत को घटा दे। मामूली घिसावट या रंग-रोगन का खराब होना इसमें शामिल नहीं है, लेकिन दीवारें तोड़ना, फर्श को नुकसान पहुँचाना, या स्थायी निर्माण हटाना इसमें आता है।
उदाहरण (Illustration)
सुरेश ने एक दुकान किराए पर ली और उसमें ऐसे रसायन (Chemicals) स्टोर करने शुरू कर दिए, जिससे दुकान की दीवारों और फर्श को स्थायी नुकसान हुआ। जब मकान मालिक ने देखा कि दुकान की संरचना कमजोर हो गई है, तो उसने बेदखली की याचिका दायर की। चूंकि यह नुकसान जानबूझकर किया गया था, तो ट्रिब्यूनल किरायेदार को बेदखल करने का आदेश दे सकता है।
बिना अनुमति निर्माण (Unauthorized Construction or Alterations)
धारा 9(ग) के अनुसार, यदि किरायेदार मकान मालिक की लिखित अनुमति के बिना किसी तरह का स्थायी निर्माण (Permanent Construction) करता है या संपत्ति में बदलाव करता है, जिससे उसकी कीमत घट सकती है, तो यह बेदखली का आधार बन सकता है।
छोटे-मोटे बदलाव जैसे दीवारों को पेंट करना या अलमारियाँ लगाना इसमें शामिल नहीं है, लेकिन बिना अनुमति नई दीवारें खड़ी करना, छत को तोड़कर बदलना, या कोई अन्य स्थायी बदलाव करना अवैध माना जाएगा।
उदाहरण (Illustration)
रामेश्वर ने एक पुराना फ्लैट किराए पर लिया और मकान मालिक की अनुमति के बिना बालकनी को बढ़ाकर पार्किंग क्षेत्र में बना दिया। इस बदलाव से न केवल इमारत की संरचना बदली, बल्कि संपत्ति के मूल्य पर भी प्रभाव पड़ा। जब मकान मालिक को इस बारे में पता चला, तो उसने बेदखली के लिए आवेदन किया और ट्रिब्यूनल ने उसके पक्ष में निर्णय दिया।
उपद्रव (Nuisance) या अनुचित उपयोग (Misuse of Premises)
धारा 9(घ) के तहत, यदि किरायेदार कोई ऐसा काम करता है जो मकान मालिक के हितों को गंभीर रूप से नुकसान पहुँचाता है या जिस उद्देश्य के लिए किराए पर लिया गया था उसके विपरीत कार्य करता है, तो उसे बेदखल किया जा सकता है।
यदि मकान को रहने के लिए किराए पर लिया गया था लेकिन उसे व्यावसायिक गतिविधियों (Commercial Activities) के लिए उपयोग किया जा रहा है, या यदि किरायेदार पड़ोसियों के लिए परेशानी पैदा कर रहा है, तो मकान मालिक कानूनी कार्रवाई कर सकता है।
उदाहरण (Illustration)
पूजा ने एक फ्लैट किराए पर लिया लेकिन वहाँ से घरेलू सामान बेचने का व्यवसाय शुरू कर दिया, जिससे हर दिन ग्राहकों की भीड़ आने लगी और पड़ोसियों को परेशानी होने लगी। मकान मालिक ने उसे चेतावनी दी, लेकिन उसने ध्यान नहीं दिया। इस स्थिति में, मकान मालिक बेदखली की कार्यवाही कर सकता है।
राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम, 2001 की धारा 9 किरायेदारों को बेदखल करने के सख्त नियम तय करती है ताकि मकान मालिक बिना उचित कारण किसी को न निकाल सके। लेकिन यदि कोई किरायेदार कानूनी नियमों का उल्लंघन करता है, तो मकान मालिक को उचित कार्रवाई करने का अधिकार भी दिया गया है।