साक्ष्य दर्ज करने में भाषा की भूमिका: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 312

Update: 2024-12-19 12:15 GMT

भारत में न्याय प्रक्रिया में साक्ष्य (Evidence) का दर्ज होना एक महत्वपूर्ण चरण है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bhartiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) की धारा 312 यह सुनिश्चित करती है कि गवाही दर्ज करते समय भाषा से संबंधित कोई बाधा न्याय प्रक्रिया को प्रभावित न करे। इस लेख में हम सरल हिंदी में धारा 312 और इससे संबंधित प्रावधानों को समझेंगे। साथ ही, इसे समझने के लिए धारा 310 और 311 का भी उल्लेख करेंगे।

भाषा और साक्ष्य दर्ज करने की आवश्यकता

भारत जैसे बहुभाषी (Multilingual) देश में न्यायालय (Court) में गवाही देने वाले गवाहों (Witnesses) की भाषा अदालत की भाषा से भिन्न हो सकती है। न्याय सुनिश्चित करने के लिए यह आवश्यक है कि गवाह की गवाही को सही तरीके से दर्ज किया जाए और सभी संबंधित पक्षों को समझने योग्य बनाया जाए।

धारा 310 और 311 का संक्षिप्त परिचय

धारा 310: वारंट मामलों में साक्ष्य दर्ज करना

धारा 310 वारंट मामलों (Warrant Cases) में मजिस्ट्रेट (Magistrate) द्वारा साक्ष्य दर्ज करने की प्रक्रिया को बताती है। साक्ष्य आमतौर पर वर्णात्मक (Narrative) रूप में दर्ज किया जाता है, लेकिन प्रश्न-उत्तर (Question-Answer) के रूप में दर्ज करने की अनुमति भी दी गई है।

धारा 311: सत्र न्यायालय में साक्ष्य दर्ज करना

धारा 311 सत्र न्यायालय (Sessions Court) में साक्ष्य दर्ज करने की प्रक्रिया निर्धारित करती है। यहाँ साक्ष्य को न्यायाधीश (Judge) स्वयं या उनके निर्देशानुसार अदालत के अधिकारी द्वारा दर्ज किया जाता है।

धारा 312: साक्ष्य दर्ज करने में भाषा की भूमिका

धारा 312 यह बताती है कि यदि गवाह की भाषा अदालत की भाषा से अलग हो, तो साक्ष्य दर्ज करने की प्रक्रिया कैसे होनी चाहिए। इस प्रावधान को तीन भागों में समझा जा सकता है:

1. अदालत की भाषा में गवाही

यदि गवाह अपनी गवाही अदालत की भाषा (Language of the Court) में देता है, तो उसे उसी भाषा में दर्ज किया जाएगा।

उदाहरण:

यदि राजस्थान की अदालत में हिंदी अदालत की भाषा है और गवाह हिंदी में गवाही देता है, तो यह गवाही सीधे हिंदी में दर्ज की जाएगी।

2. अदालत की भाषा से अलग भाषा में गवाही

यदि गवाह किसी अन्य भाषा में गवाही देता है, तो:

• यदि संभव हो, तो गवाही गवाह की भाषा में दर्ज की जाएगी।

• यदि यह संभव नहीं है, तो गवाही का अदालत की भाषा में सही अनुवाद (Translation) तैयार किया जाएगा। यह अनुवाद मजिस्ट्रेट या न्यायाधीश द्वारा हस्ताक्षरित (Signed) होगा और रिकॉर्ड का हिस्सा बनेगा।

उदाहरण:

यदि एक तमिल भाषी गवाह दिल्ली की अदालत में गवाही देता है, जहाँ हिंदी अदालत की भाषा है, तो यदि अदालत में तमिल भाषा का अधिकारी उपलब्ध है, तो गवाही तमिल में दर्ज होगी। अन्यथा, गवाही का हिंदी अनुवाद तुरंत तैयार किया जाएगा।

3. गवाही के अनुवाद की प्रक्रिया

यदि गवाही अदालत की भाषा के अलावा किसी अन्य भाषा में दर्ज होती है, तो इसका सही अनुवाद अदालत की भाषा में जल्द से जल्द तैयार किया जाएगा। यह अनुवाद न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट के हस्ताक्षर के साथ रिकॉर्ड का हिस्सा बनेगा।

अंग्रेजी में गवाही के लिए छूट

यदि गवाही अंग्रेजी में दी जाती है और किसी भी पक्ष को अनुवाद की आवश्यकता नहीं होती है, तो अदालत अनुवाद प्रक्रिया से छूट दे सकती है।

उदाहरण:

यदि कर्नाटक की अदालत में एक विशेषज्ञ अंग्रेजी में गवाही देता है और सभी पक्ष इसे समझते हैं, तो इसका कन्नड़ में अनुवाद आवश्यक नहीं होगा।

धारा 312 की व्यावहारिक उपयोगिता

अनुवाद में सटीकता सुनिश्चित करना

अनुवाद (Translation) की सटीकता न्याय प्रक्रिया के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। गलत अनुवाद से मामले की गलत व्याख्या हो सकती है, जिससे न्याय प्रभावित हो सकता है। धारा 312 यह सुनिश्चित करती है कि अनुवाद न्यायिक अधिकारी के हस्ताक्षर से प्रमाणित हो।

उदाहरण:

यदि एक गुजराती गवाह महाराष्ट्र की अदालत में मराठी में अनुवादित गवाही देता है और यह गलत अनुवादित हो, तो मामले के तथ्यों का गलत निष्कर्ष निकल सकता है। धारा 312 ऐसी त्रुटियों को रोकने के लिए एक प्रक्रिया सुनिश्चित करती है।

प्रक्रिया और समावेशन में संतुलन

यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि प्रक्रिया कुशल (Efficient) हो और गवाहों की भाषा बाधा न बने। अंग्रेजी में गवाही के अनुवाद से छूट इसका एक अच्छा उदाहरण है।

धारा 310, 311 और 312 का संबंध

धारा 312, धारा 310 और 311 द्वारा निर्धारित प्रक्रिया में भाषा से संबंधित प्रावधान जोड़ती है। इन तीनों प्रावधानों के माध्यम से एक ऐसा तंत्र तैयार किया गया है, जो साक्ष्य दर्ज करने को पारदर्शी और न्यायसंगत बनाता है।

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 312 भारत की बहुभाषी न्याय प्रणाली में एक महत्वपूर्ण प्रावधान है। यह सुनिश्चित करता है कि साक्ष्य दर्ज करने की प्रक्रिया भाषा के आधार पर बाधित न हो। अनुवाद की सटीकता और न्याय प्रक्रिया में लचीलापन (Flexibility) के साथ यह प्रावधान न्याय के मूल सिद्धांतों को सुदृढ़ करता है।

चाहे गवाही गवाह की भाषा में दर्ज हो या अनुवाद के माध्यम से, धारा 312 न्याय सुनिश्चित करने के लिए एक निष्पक्ष और पारदर्शी प्रणाली स्थापित करती है।

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